धान की कटाई 2025: कीट और मौसम के खतरों से फसल बचाने के विशेषज्ञ सुझाव
29 सितम्बर 2025, नई दिल्ली: धान की कटाई 2025: कीट और मौसम के खतरों से फसल बचाने के विशेषज्ञ सुझाव – जैसे-जैसे अक्टूबर में धान की कटाई नजदीक आ रही है, भारतीय किसानों के लिए जलवायु परिवर्तन और कीटों के खतरे बढ़ते जा रहे हैं। बढ़ते तापमान, असमान मानसूनी बारिश और अधिक आर्द्रता कीटों और फंगल संक्रमण के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ बना रहे हैं, जो उत्पादन और अनाज की गुणवत्ता दोनों को प्रभावित कर सकते हैं। इस समय लाभकारी कटाई सुनिश्चित करने के लिए किसानों को जलवायु-सहिष्णु उपायों और प्रभावी फसल सुरक्षा तकनीकों को अपनाना अत्यंत आवश्यक है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, समय पर किए गए कदम और एकीकृत रणनीतियाँ इस मौसम में फसल की रक्षा कर सकती हैं।
नमी और जल प्रबंधन
असमान वर्षा के कारण धान के खेतों में जलभराव या अचानक सुखापन हो सकता है। किसानों को वैकल्पिक गीला और सुखा (AWD) सिंचाई प्रणाली अपनाने की सलाह दी जाती है, जिससे पानी का कुशल उपयोग होता है और मिट्टी की वायु संवहन क्षमता बेहतर होती है। उचित बांध निर्माण पानी के बहाव को रोकता है, जबकि लेजर लैंड लेवलिंग से नमी समान रूप से वितरित होती है। ये उपाय ब्राउन प्लान्थॉपर जैसे कीटों के प्रजनन स्थलों को भी कम करते हैं, जो जलजमाव वाली जगहों में तेजी से फैलते हैं।
मिट्टी और पोषण स्वास्थ्य
स्वस्थ मिट्टी मजबूत फसल का आधार है। ग्रीन खाद, जैव उर्वरक और जैविक संशोधन मिट्टी की गुणवत्ता बढ़ाते हैं और सूक्ष्मजीवों की संख्या को सहारा देते हैं। जस्ता और लोहा जैसे सूक्ष्म पोषक तत्वों का संतुलित उपयोग स्पाइकलेट स्टेरिलिटी को कम करता है और अनाज के भराव को बढ़ाता है। इसके अलावा, जलवायु-सहिष्णु धान किस्मों का चयन बदलती मौसम स्थितियों के दौरान फसल को बेहतर सहनशीलता प्रदान करता है।
कीट और रोग प्रबंधन
धान के दाने बनने और पकने की अवधि में, स्टेम बोरर, ब्राउन प्लान्थॉपर, गॉल मिड्ज और लीफ फोल्डर जैसे कीट गंभीर खतरा पैदा करते हैं, जबकि ब्लास्ट, शीथ ब्लाइट और बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट जैसे रोग यदि समय पर नहीं रोके गए तो भारी नुकसान कर सकते हैं। विशेषज्ञों की सलाह है कि किसानों को इंटीग्रेटेड पेस्ट मैनेजमेंट (IPM) अपनाना चाहिए, जिसमें रोकथाम और उपचार दोनों शामिल हों। कीटों का जल्दी पता लगाने के लिए फेरोमोन और लाइट ट्रैप का उपयोग किया जा सकता है, जबकि नीम आधारित और माइक्रोबियल फॉर्मुलेशन प्राकृतिक तरीके से कीटों की संख्या को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। स्टेम बोरर और हॉपर्स के नियंत्रण के लिए पौधे में जल्दी अवशोषित होने वाले सिस्टमिक कीटनाशक प्रभावी रहते हैं। इसके साथ ही, कवक और ब्लास्ट जैसी फंगल बीमारियों को रोकने के लिए प्रोटेक्टिव और क्यूरेटिव दोनों प्रकार के फंगीसाइड आवश्यक हैं।
स्मार्ट खेती के उपकरण
डिजिटल मौसम सलाहकार, सेंसर आधारित निगरानी और ड्रोन छिड़काव जैसी तकनीकों की मदद से किसान उपचार को अधिक सटीक ढंग से लागू कर सकते हैं, समय, श्रम और संसाधनों की बचत कर सकते हैं। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, मिट्टी के स्वास्थ्य के साथ लक्षित फसल सुरक्षा उपायों को जोड़कर किसानों को स्थायी परिणाम मिल सकते हैं। इन जलवायु-सहिष्णु उपायों के माध्यम से भारत के धान किसान इस अक्टूबर अपनी फसल को कीट और मौसम के खतरों से सुरक्षित रख सकते हैं और बेहतर उत्पादन तथा उच्च गुणवत्ता वाला अनाज प्राप्त कर सकते हैं।
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