फसल की खेती (Crop Cultivation)

पूसा 1641: गर्मी की इस मूंग वैरायटी से किसान कमा रहे हैं लाखों, आप भी जानें तरीका

21 अप्रैल 2025, नई दिल्ली: पूसा 1641: गर्मी की इस मूंग वैरायटी से किसान कमा रहे हैं लाखों, आप भी जानें तरीका –  मूंग की खेती भारतीय किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण और लाभकारी फसल है, खासकर गर्मी के मौसम में। रबी की फसलों के बाद खाली पड़े खेतों में मूंग की खेती न केवल मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाती है, बल्कि किसानों को अतिरिक्त आय भी प्रदान करती है। इस लेख में, हम मूंग की उन्नत किस्मों, सही सस्य क्रियाओं और कीट प्रबंधन के बारे में विस्तृत जानकारी दे रहे हैं, जो पूसा संस्थान के विशेषज्ञों की सलाह पर आधारित है।

मूंग की खेती का सही समय और वैरायटी चयन

गर्मी के मूंग की खेती के लिए सही वैरायटी का चयन अत्यंत महत्वपूर्ण है। गर्मी में उगाई जाने वाली मूंग की किस्में 55 से 60 दिनों में पककर तैयार हो जाती हैं। यदि किसान खरीफ या रबी की वैरायटी का उपयोग करते हैं, तो फसल को पकने में अधिक समय लगता है, जिससे उपज प्रभावित हो सकती है। इसलिए, गर्मी के लिए विशेष रूप से विकसित किस्मों का चयन करें।

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पूसा 1641 एक ऐसी उन्नत किस्म है, जो पूसा संस्थान द्वारा विशेष रूप से गर्मी के मौसम के लिए विकसित की गई है। यह किस्म दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र के लिए उपयुक्त है और इसकी बुवाई 10 से 15 अप्रैल तक कर लेनी चाहिए। पूसा 1641 की खासियत यह है कि इसमें रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है, विशेषकर मूंग येलो मोज़ेक वायरस (MYMV) जैसे रोगों के प्रति। इसकी बीज पूसा संस्थान से प्राप्त की जा सकती है। विभिन्न राज्यों में किसानों ने इस किस्म की खेती कर अच्छी उपज प्राप्त की है।

मिट्टी की जाँच और खाद प्रबंधन

मूंग की खेती से पहले मिट्टी की जाँच करवाना आवश्यक है। यदि खेत में पहले गेहूँ की फसल ली गई है, तो नाइट्रोजन की आवश्यकता नहीं होती, लेकिन जिंक की कमी हो सकती है। मिट्टी परीक्षण के आधार पर जिंक और अन्य पोषक तत्वों की पूर्ति करें। उचित खाद प्रबंधन से न केवल उपज बढ़ती है, बल्कि मिट्टी की उर्वरता भी बनी रहती है।

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सिंचाई प्रबंधन

मूंग की खेती में सिंचाई का विशेष ध्यान रखना होता है। बुवाई से पहले पलेवा (प्रारंभिक सिंचाई) करके खेत तैयार करें। बुवाई के बाद पहले 20 से 25 दिनों तक सिंचाई से बचें, क्योंकि इस दौरान पानी देने से मिट्टी सख्त हो सकती है, जिसका असर उपज पर पड़ता है। इसके बाद, फसल के विकास के अनुसार आवश्यकतानुसार सिंचाई करें। जब फसल 50 से 55 दिन की हो जाए, तब सिंचाई बंद कर दें। इस समय फसल 60 से 65 दिनों में पककर कटाई के लिए तैयार हो जाती है।

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कीट और रोग नियंत्रण

गर्मी के मौसम में मूंग की फसल पर कीटों का प्रकोप अधिक होता है, क्योंकि आसपास अन्य फसलें कम होती हैं। कीट मूंग की फसल पर अंडे देना शुरू कर देते हैं, जिससे फसल को नुकसान हो सकता है। किसानों को नियमित अंतराल (20-25 दिन) पर फसल की जाँच करनी चाहिए।

कीट नियंत्रण के लिए सिस्टेमिक कीटनाशक का छिड़काव 20-25 दिनों के अंतराल पर करें। इससे कीट प्रकोप को प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया जा सकता है। इसके अलावा, पूसा 1641 जैसी रोग प्रतिरोधी किस्मों का उपयोग करने से रोगों का खतरा कम रहता है।

बुवाई और अन्य सस्य क्रियाएँ

  • बुवाई का समय: गर्मी के मूंग की बुवाई 10 से 15 अप्रैल तक कर लेनी चाहिए।
  • बीज की मात्रा: प्रति हेक्टेयर 15-20 किलोग्राम बीज पर्याप्त होता है।
  • पंक्ति दूरी: पंक्तियों के बीच 30 सेमी और पौधों के बीच 10 सेमी की दूरी रखें।
  • खरपतवार नियंत्रण: बुवाई के 20-25 दिन बाद खरपतवार निकालें या आवश्यकतानुसार खरपतवारनाशक का उपयोग करें।

मूंग की खेती न केवल किसानों के लिए अतिरिक्त आय का स्रोत है, बल्कि यह मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाने में भी सहायक है। सही वैरायटी का चयन, मिट्टी की जाँच, उचित खाद और सिंचाई प्रबंधन, तथा कीट नियंत्रण के साथ मूंग की खेती से अच्छी उपज प्राप्त की जा सकती है। पूसा 1641 जैसी उन्नत किस्में और आधुनिक सस्य क्रियाएँ अपनाकर किसान अपनी आय और मिट्टी की सेहत दोनों में सुधार कर सकते हैं।

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