गुलाबी सुंडी का उचित रोकथाम, यूपीएल के सॉर्टर के साथ
- अभिजीत जगदले
क्रॉप मैनेजर – कॉटन
यूपीएल लि.
5 अगस्त 2021, गुलाबी सुंडी का उचित रोकथाम, यूपीएल के सॉर्टर के साथ – गुलाबी सुंडी (पेक्टिनोफोरा गॉस्सिपिएला) कपास की खेती में पाया जाने वाला एक कीट है। वयस्क कीट एक छोटा, पतला, धूसर रंग का छब्बेदार पंखों वाला पतंगा होता है। लार्वा एक धुंधले सफेद रंग की आठ जोड़ी पैरों वाली इल्ली होती है, जिसके धड़ पर स्पष्ट गुलाबी रंग की पट्टियां होती है। लार्वा आधा इंच तक लंबा हो सकता है।
मादा सुंडी कपास के डेंडू पर अंडे देती है और अंडों से लार्वा निकलने पर, वे डेंडुओं को खाकर उन्हें नुकसान पहुंचाना शुरू कर देते हैं। वे कपास के रेशे को चबाते हुए बीजों को अपना आहार बनाते हैं। कपास का इस्तेमाल- फायबर (रेशे) तथा बीज से तेल, दोनों रूपों में होता है, इसलिए यहां दोहरा नुकसान होता है। डेंडू के चारों और के सुरक्षाकारी टिश्यू को नुकसान पहुंचने का मतलब होता है दूसरे कीटों और फफूंद के लिए प्रवेश मार्ग का खुलना।
गुलाबी सुंडी का मूल स्थान एशिया है लेकिन अब दुनिया के ज़्यादातर कपास उगाने वाले क्षेत्रों में इसकी प्रजातियां पायी जाती हैं।
नुकसान के लक्षण
गुच्छेदार पुष्प
- लार्वा द्वारा खाए गए डेंडुओं के छिद्रों पर अवशिष्ट देखे जाते हैं। डेंडुओं को खोलने पर, क्षतिग्रस्त बीज पाए जाते हैं।
- वे दो जुड़े बीजों में खिडक़ीनुमा छिद्र (इंटरलोकुलर बरोइंग) बना देते हैं जिससे उन्हें ‘‘दोहरे बीज’’ का रूप मिल जाता है।
- कलियों पर हमला होने से कच्चे डेंडू झड़ जाते हैं।
- बदरंग रेशे तथा खोखले बीज।
गुलाबी डेंडू सुंडी की रोकथाम
IPM नज़रिया-गुलाबी डेंडू सुंडी की रोकथाम समेकित रूप से यानी कल्चरल, बायोलॉजिकल तथा केमिकल उपायों से करके उनके संक्रमण को घटाया जा सकता है।
कल्चरल तरीका
- प्यूपा अवस्था में रोकथाम के लिए कपास के ठूंठों को जलाना।
- अप्रैल और मई के महीनों में गहरी जुताई करना।
बायोलॉजिकल तरीका
मौसम के दौरान डेल्टा ड्रैप (फेरोमॉन ट्रैप) का इस्तेमाल
केमिकल रोकथाम
सॉर्टर का 500 ग्राम/एकड़ की दर से इस्तेमाल।