फसल की खेती (Crop Cultivation)

नैनो यूरिया प्लस: एक नया विकल्प, प्रयोग और संभावनाएं

21 मई 2025, नई दिल्ली: नैनो यूरिया प्लस: एक नया विकल्प, प्रयोग और संभावनाएं – भारतीय सहकारी संस्था इफको (IFFCO) द्वारा विकसित नैनो यूरिया प्लस को हाल ही में पारंपरिक यूरिया के विकल्प के रूप में बाजार में पेश किया गया है। यह उत्पाद नैनो तकनीक पर आधारित है और इसे तरल रूप में पत्तियों पर छिड़काव के लिए तैयार किया गया है। इसका उद्देश्य फसलों की नाइट्रोजन आवश्यकता को पूरा करने के साथ-साथ उर्वरक उपयोग की दक्षता में सुधार करना है।

क्या है नैनो यूरिया प्लस?

नैनो यूरिया प्लस में नाइट्रोजन की सांद्रता लगभग 20 प्रतिशत है। इसमें नाइट्रोजन के तीन स्वरूप शामिल हैं: अमाइड, अमोनिकल और अमीनो, जिन्हें जैविक पॉलिमर के साथ सक्रिय किया गया है। यह फॉर्मूलेशन इसे पौधों द्वारा अवशोषण में सहायक बनाता है। उत्पाद का आकार 100 नैनोमीटर से कम बताया गया है, जिससे यह पत्तियों की सतह पर फैलकर तेजी से अवशोषित हो सकता है।

प्रयोग की विधि और समय

इसे पत्तियों पर छिड़काव के रूप में उपयोग किया जाता है। किसान इसे सामान्य नॉब स्प्रेयर, पावर स्प्रेयर या ड्रोन के माध्यम से छिड़क सकते हैं। अनुशंसा के अनुसार, एक एकड़ में 250 से 500 मिली की मात्रा पर्याप्त मानी जाती है, जो फसल की अवस्था और आवश्यकता पर निर्भर करती है।छिड़काव का सही समय फसल की वृद्धि अवस्था, जैसे कि टिलरिंग, फूल आने और ग्रेन फिलिंग के अनुसार तय किया गया है। मौसम की स्थिति, जैसे वर्षा होने पर छिड़काव दोहराने की आवश्यकता भी बताई गई है।

लाभ और सीमाएं: दो पहलुओं पर चर्चा

उत्पाद के पक्ष में प्रस्तुत आंकड़े बताते हैं कि यह परंपरागत यूरिया की तुलना में कम मात्रा में उपयोग होने के बावजूद समान या बेहतर परिणाम दे सकता है। इससे उर्वरकों की लागत में कमी और मिट्टी व जल स्रोतों में प्रदूषण घटने की संभावना बताई जा रही है।हालांकि, इसके प्रभाव को लेकर सभी किसान अनुभवों और परिणामों में एकरूपता की पुष्टि नहीं करते। कुछ जगहों पर फसल की प्रतिक्रिया भिन्न रही है, जो फसल, मिट्टी और जलवायु पर निर्भर हो सकती है। इसके अलावा, पूरी तरह पारंपरिक यूरिया को हटाकर केवल नैनो उत्पादों पर निर्भरता को लेकर भी कृषि वैज्ञानिकों में भिन्न मत हैं।

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