मध्य प्रदेश सरकार किसानों से मूंग की खरीदी तत्काल शुरू करे
29 जून 2022, भोपाल । मध्य प्रदेश सरकार किसानों से मूंग की खरीदी तत्काल शुरू करे – मप्र कांग्रेस कमेटी मुख्यालय में विधायक कुणाल चौधरी एवं मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष अजय सिंह यादव ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा है कि भाजपा किसान विरोधी है। मध्यप्रदेश में साल दर साल मूंग का रकबा बढ़ता जा रहा है इस साल 5 लाख टन से अधिक ग्रीष्मकालीन मूंग का उत्पादन हुआ है। अकेले नर्मदापुरम जिले में 2.32 लाख हेक्टेयर हरदा जिले में 1.35 लाख हेक्टेयर मूंग की बुवाई की गई थी, बैतूल, नरसिंहपुर, भोपाल, रायसेन, विदिशा और सागर समेत अन्य जिलों में भी बड़े पैमाने पर किसानों ने मूंग की बुवाई की थी। किसान अपनी पैदावार के दाम चाहता है, लेकिन मप्र सरकार द्वारा मूंग की खरीदी समर्थन मूल्य पर प्रारंभ नहीं की गई, जिससे किसानों को भारी नुकसान हो रहा है। किसानों को 5000-5200 में अपनी फसल बेचना पड़ रही है, जिससे उनकी लागत भी नहीं निकल रही है। जबकि निर्धारित समर्थन मूल्य 7275 रूपए है।
चौधरी ने कहा कि कांग्रेस पार्टी की मांग है कि सरकार तत्काल मूंग की खरीदी समर्थन मूल्य पर प्रारंभ करे।उन्होंने कहा कि गेहूं खरीदी का भुगतान जो दो-तीन दिन में होना चाहिए 1 महीने से भी ज्यादा देरी से किया जा रहा है, जिस वजह से किसानों को कृषि ऋण पर मिलने वाले जीरो प्रतिशत ब्याज योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है। चौधरी ने कहा कि मध्यप्रदेश में बोवनी का समय आ गया है, लेकिन अभी तक प्राथमिक सहकारी समितियों के माध्यम से सोयाबीन,धान, मक्के एवं अन्य फसलों को उगाने के लिए बीज नहीं दिया जा रहा है । उन्होंने कहा कि जहां सोयाबीन के दाम बाजार में 6 हजार रूपए प्रति क्विंटल तक थे, अब 15 से 16 हजार प्रति क्विंटल तक बिक रहे हैं, सरकार द्वारा बीज उपलब्ध नहीं करवाने से किसानों को भारी नुकसान का सामना करना पढ़ रहा है। वहीं उद्यानिकी फसल का अभी तक भी फसल बीमा किसानों को नहीं हो पा रहा है, उद्यानिकी फसलों का भी फसल बीमा किया जाए।
श्री चौधरी ने कहा कि जहां कमलनाथ सरकार ने 25 लाख से ज्यादा किसानो के कृषि ऋण माफ किए थे, भाजपा की सरकार में सहकारी समितियों द्वारा किसानों को अब कृषि ऋण भी नहीं दिया जा रहा है। खरीफ की फसल की बोवनी प्रारंभ हो गई है, लेकिन सहकारी समितियों पर डीएपी खाद नहीं मिल रहा है डीएपी दामों में भारी वृद्धि के बाद भी किसानों को 400-500 रुपए तक ज्यादा दामों पर बाजार से डीएपी खरीदना पड़ रही है। वहीं DBT डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर योजना का किसानों को सही लाभ नहीं मिल रहा है,. इस योजना में प्रदेश सरकार को 100 में से केवल 60 अंक मिले थे।
चौधरी ने कहा कि फसल बीमा के नाम पर महाघोटाला किया गया, किसानों से हजारों रुपए के प्रीमियम भरवा कर फसल नुकसान होने पर खाते में 200–400 रुपए ही भेजे गए। कहीं-कहीं तो दो -चार रुपए ही भेज दिए गए। उन्होंने कहा कि गेहूं खरीदी में सरकार द्वारा बोनस नहीं दिया गया, जिस वजह से इस वर्ष 54% तक गेहूं खरीदी घट गई साथ ही गेहूं खरीदी के दौरान भी 20 रूपए प्रति क्विंटल छनवाई के लिए गए, 500 क्विंटल तक गेहूं डालने वाले किसान को 10000 रूपए अकेले छनवाई देना पड़ गई।
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