मध्य भारत के किसानों के लिए वरदान बनी करन मंजरी गेहूं किस्म, एक हेक्टेयर में देगी 56.5 क्विंटल तक उपज
11 अक्टूबर 2025, भोपाल: मध्य भारत के किसानों के लिए वरदान बनी करन मंजरी गेहूं किस्म, एक हेक्टेयर में देगी 56.5 क्विंटल तक उपज – इस साल देश के कई हिस्सों में मानसून मेहरबान रहा, जिसके चलते खेतों में मिट्टी की नमी बेहतर बनी हुई है। इस स्थितियों में रबी सीजन की तैयारी कर रहे किसानों के लिए ‘करन मंजरी’ यानी DDW 55 (D) गेहूं की किस्म किसी वरदान से कम नहीं है। खास तौर पर उन इलाकों के लिए जहां पानी की किल्लत रहती है। यह वैरायटी खासतौर पर मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान के कोटा-उदयपुर डिविजन, छत्तीसगढ़, और यूपी का झांसी इलाके के लिए उपयुक्त है।
ये किस्म भारतीय कृषि वैज्ञानिकों ने तैयार की है और इसकी सबसे बड़ी खासियत है कम पानी में भी ज्यादा पैदावार देती है। यह किस्म एक हेक्टेयर में 56.5 क्विंटल तक पैदावार देने की क्षमता रखती है। सामान्य स्थितियों में यह 35-36 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उपज देने की क्षमता रखती है, जो बाक़ी किस्मों जैसे HW 8623, DDW 47 और HW 8823 से काफी बेहतर है।
बुआई, उर्वरक और रोग प्रतिरोधक क्षमता: जानें पूरी तकनीकी जानकारी
किसानों को सलाह दी गई है कि 20 अक्टूबर से 5 नवंबर के बीच करन मंजरी की बुआई करें। प्रति हेक्टेयर बुआई के लिए 100 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है। बुआई से पहले बीज को टेबुकोनाजोल 2% DS @ 1 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज से उपचारित करना जरूरी है ताकि बीज जनित रोगों से सुरक्षा मिल सके।
खाद की बात करें तो, सीमित सिंचाई में 90:60:40 किलो NPK/हेक्टेयर देना चाहिए। बुआई के वक्त आधी नाइट्रोजन, पूरी फास्फोरस और पोटाश डालें, बाकी की नाइट्रोजन 45-50 दिन बाद (पहली नोड स्टेज पर) दें। खास बात है कि इस वैरायटी में सिंचाई की भी झंझट नहीं है। आपको बस दो बार पानी देना है, एक बार बुआई से पहले और दूसरी बार 45-50 दिन बाद।
रोगों के मामले में भी करन मंजरी आगे है। ये गेहूं पीली रतुआ, तीलिया और कंडुआ जैसे बड़े रोगों के सामने टिकती है। रिसर्च में रस्ट सिर्फ 7 फीसदी, तीलिया 3% और कंडुआ 11% तक ही सीमित पाया गया- मतलब फसल काफी हद तक सुरक्षित किस्म है।
पोषण और गुणवत्ता के मामले में भी अव्वल
अब पोषण की बात करें तो, करन मंजरी गेहूं किस्म के दानों में प्रोटीन की मात्रा अच्छी-खासी होती है। इसके 1000 दानों का वजन 52 ग्राम तक पाया गया है, जो दर्शाता है कि ग्रेडिंग और मार्केटिंग के लिहाज से भी ये किस्म बढ़िया है। कुल मिलाकर, DDW 55 (D) यानी करन मंजरी – कम पानी, कम लागत और ज्यादा मुनाफा देने वाली गेहूं की नई किस्म है।
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