टमाटर की फसल टूट रही है तनों से? जानिए फफूंद जनित रोग का इलाज और बचाव का तरीका
25 जुलाई 2025, नई दिल्ली: टमाटर की फसल टूट रही है तनों से? जानिए फफूंद जनित रोग का इलाज और बचाव का तरीका – हरियाणा और उत्तर भारत के कई हिस्सों में इस समय टमाटर की फसल में तनों के काले पड़ने और टूटने की गंभीर समस्या सामने आ रही है। किसान दिन-रात मेहनत करके पौधे तैयार करते हैं, लेकिन जब तने ही कमजोर होकर टूटने लगें, तो पूरी मेहनत पर पानी फिर जाता है।
पूसा संस्थान के विशेषज्ञों के मुताबिक, यह समस्या फफूंद जनित रोग (Fungal Disease) के कारण हो रही है, जो टमाटर के तनों और जड़ों को नुकसान पहुंचाता है।
क्या है यह बीमारी? कैसे होती है फसल को हानि?
यह रोग मिट्टी में मौजूद फफूंद के कारण होता है, जो नमी और गर्मी की स्थिति में तेजी से फैलता है। इससे पहले तनों पर काले धब्बे दिखाई देते हैं, फिर पौधे की मजबूती कम हो जाती है और वह जड़ से टूट जाता है। समय पर इलाज न किया जाए तो यह रोग पूरे खेत में फैल सकता है।
फफूंद जनित रोग से बचाव के लिए क्या करें?
पूसा वैज्ञानिकों ने इस रोग के नियंत्रण के लिए एक प्रभावी समाधान बताया है: थिरम (Thiram) या बाविस्टीन (Bavistin) फफूंदनाशक की 400 ग्राम मात्रा को 200 लीटर पानी में अच्छी तरह घोलें। इस घोल को 1 एकड़ की फसल में पौधों की जड़ों में सिंचाई के रूप में दें।
- इससे जड़ों में मौजूद फफूंद समाप्त हो जाती है
- पौधे मजबूत होते हैं
- तनों के काले धब्बे और टूटने की समस्या रुक जाती है
- फसल की पैदावार और गुणवत्ता में सुधार आता है
ये बातें रखें ध्यान में:
- छिड़काव या सिंचाई सुबह या शाम के समय करें
- खेत में जल जमाव न होने दें, क्योंकि नमी से फफूंद फैलता है
- फसल में रोग दिखते ही तुरंत उपचार शुरू करें
- बीज उपचार भी करें, ताकि शुरुआत से फसल सुरक्षित रहे
समय पर इलाज से बचेगी फसल, बचेगा मुनाफा
टमाटर की खेती में यह रोग एक बड़ी चुनौती बनता जा रहा है, लेकिन यदि किसान वैज्ञानिक सलाह के अनुसार थिरम या बाविस्टीन का प्रयोग करें, तो इस रोग पर आसानी से काबू पाया जा सकता है।
तो किसान भाइयों, अपनी मेहनत की फसल को इस खतरनाक फफूंद से बचाइए और बेहतर पैदावार पाइए।
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