फसल की खेती (Crop Cultivation)

अगर किसान गन्ने की खेती से ज्यादा मुनाफा पाना चाहते हैं तो..

14 सितम्बर 2024, भोपाल: अगर किसान गन्ने की खेती से ज्यादा मुनाफा पाना चाहते हैं तो.. – व्यावसायिक फसलों में  गन्ने का महत्त्वपूर्ण स्थान है। विषम परिस्थितियां भी गन्ना की फसल को बहुत अधिक प्रभावित नहीं कर पाती। इन्हीं विशेष कारणों से गन्ना की खेती  अपने आप में सुरक्षित व फायदेमंद खेती है।

गन्ना एक प्रमुख नकदी फसल है, जिससे चीनी, गुड़ आदि का निर्माण होता हैं। अगर किसान गन्ने की खेती से ज्यादा मुनाफा पाना चाहते हैं तो बुवाई के तरीके जान लें। सही तरीके से बुवाई करने से फसल का उत्पादन बढ़ता है, जिससे कमाई भी बढ़ती है। कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक प्रचलित फसल चक्रों जैसे मक्का-गेहूं / धान-गेहूं / सोयाबीन-गेहूं की तुलना में अधिक मुनाफा मिलता है।

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यह कम से कम जोखिम भरी फसल है जिस पर रोग, कीट लगता है और विपरीत परिस्थितियों का अपेक्षाकृत कम असर होता है। गन्ना के साथ अंतरवर्ती फसल लगाकर 3-4 माह में ही शुरुआती लागत पाया जा सकता है। गन्ने की खेती के लिए गर्म जलवायु अच्छी मानी जाती है।अच्छे विकास के लिए तापमान 26-32 डिग्री से.ग्रे. उत्तम होता है। खेती के लिए मध्यम से काली कछारी एवं चिकनी दोमट मिट्टी डोरसा कन्हार सर्वोत्तम रहती है।  गन्ने की खेती के लिए खरीफ फसल काटने के बाद खेत की गहरी जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करें। इसके बाद देसी हल या कल्टीवेटर से जुताई करके पाटा चलाकर खेत समतल करें ।

अन्य फसल से प्रतिस्पर्धा नहीं

गन्ना की किसी भी अन्य फसल से प्रतिस्पर्धा नहीं है। वर्ष भर उपलब्ध साधनों और मजदूरों का इस्तेमाल होता है। गन्ना एक प्रमुख बहुवर्षीय फसल है। अच्छे प्रबंधन से साल दर साल 1,50,000 रुपये प्रति हेक्टेयर से अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है। गन्ने को अक्टूबर-नवम्बर शरद     ऋतु व फरवरी मार्च वसंत ऋतु में बोया जाता है। बसंत की अपेक्षा शरद  कालीन बुवाई से 20-25 उपज अधिक मिलती है।

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ध्यान देने वाली जरूरी बातें

– उन्नत जाति के स्वस्थ निरोग शुद्ध बीज का ही चुनें।
– गन्ना बीज की उम्र लगभग 8 माह या कम हो तो अंकुरण अच्छा होता है।
– बीज ऐसे खेत से लें जिसमें रोग व कीट का प्रकोप न हो और उसमें खाद पानी समुचित मात्रा में दिया जाता रहा हो।
– जहां तक हो नर्म गर्म हवा उपचारित (54 से.ग्रे. एवं 85 प्रतिशत आर्द्रता पर 4 घंटे) या टिश्यू कल्चर से उत्पादित बीज का ही चयन करें।
– हर 4-5 साल बाद बीज बदल दें क्योंकि समय के साथ रोग व कीट ग्रस्तता में बढ़ोतरी होती जाती है।
– बीज काटने के बाद कम से कम समय में बोनी कर दें।

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