किसान ग्वार का ज्यादा उत्पादन पाकर अपना मुनाफा बढ़ा सकते हैं
02 सितम्बर 2024, भोपाल: किसान ग्वार का ज्यादा उत्पादन पाकर अपना मुनाफा बढ़ा सकते हैं – राजस्थान के कृषि विभाग ने क्षेत्र के उन किसानों को विशेषतः सावधानी बरतने के लिए सलाह दी है जिनकी खरीफ की फसलों में कीट एवं रोगों का प्रकोप है।
ग्वार फसल में सिलर जरूर चलाएं
विभागीय अधिकारियों ने खरीफ फसलों में कीट एवं रोगों का प्रकोप होने पर कीटनाशी रसायनों व फफूदनाशी का छिड़काव कर नियंत्रण और रोकथाम की जा सकती है। ऐसे में किसान ग्वार का ज्यादा उत्पादन पाकर अपना मुनाफा बढ़ा सकते हैं। ग्वार की फसल में फिजियोलॉजिकल विल्ट एवं जड़ गलन का प्रकोप पाया गया है। इस समस्या से निजात पाने के लिये अधिक वर्षा की स्थिति में पानी को क्यारी से सिंचाई खालों में निकाले एवं पानी सूखने के बाद ग्वार फसल
में सिलर जरूर चलाएं, जिससे पौधों के जड़ क्षेत्र में हवा का प्रवाह सही होगा व समस्या से निजात मिलेगी।
ग्वार फसल में जड़ गल नियंत्रण के लिये कार्बेन्डाजिम 50% का 2 ग्राम प्रति किलोग्राम की दर से बीज उपचार अतिआवश्यक है व भूमि उपचार के लिये ट्राईकोड्ररमा 2 किलोग्राम/100 किलोग्राम गोबर की खाद में प्रति हेक्टयर की दर से उपयोग करना भी अतिआवश्यक है। ग्वार की खड़ी फसल में जड़ गलन नियंत्रण के लिये 5 ग्राम ट्राईकोड्ररमा प्रति लीटर पानी की दर से बीमारी के लक्षण दिखाई देते ही मृदा निक्षेप करें या कार्बेन्डाजिम 50% 1 ग्राम प्रति लीटर के हिसाब से मृदा निक्षेप करें।
वर्तमान में खरीफ फसलों में फंगस रोगों के संबंध में बताया कि इस समय मूंग ग्वार, कपास व अन्य फसलों में अधिक सापेक्षिक आर्द्रता, अधिक नमी व अधिक तापक्रम के चलते अलग-अलग प्रकार के रोग दिखाई दे रहे हैं. मूंग में जीवाणु झुलसा रोग, इस रोग के लक्षण पत्तियों पर गहरे भूरे रंग के धब्बे दिखाई पड़ते हैं, जो बाद में तने और फलियां पर भी हो जाते हैं. इसकी रोकथाम के लिए स्ट्रेप्टोसाइक्लिन 5 ग्राम और कॉपर ऑक्सिक्लोराइड 300 ग्राम प्रति 100 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति बीघा छिड़काव करें। सर्कोस्पोरा रोग भी फफूंदी जनित रोग है। इसमें पत्तियों पर कोणाकार भूरे लाल रंग के धब्बे दिखाई देते हैं, जो फली और शाखाओं पर भी हो जाते हैं. इसकी रोकथाम के लिए कार्बनडाजिम 50 प्रतिशत 1 ग्राम प्रति लीटर पानी का घोल बनाकर छिड़काव करें।
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