राज्य कृषि समाचार (State News)फसल की खेती (Crop Cultivation)

ककून मार्केट में रेशम कोया विक्रय से रेशम कृषकों में भारी उत्साह

4 दिसम्बर 2022, भोपाल । ककून मार्केट में रेशम कोया विक्रय से रेशम कृषकों में भारी उत्साह – रेशम उत्पादन एक ग्रामीण कृषि आधारित उद्योग है जो कि विश्व  स्तर पर अपनाया जा रहा है। इससे बहुत ही अधिक मांग में रहा प्राकृतिक रेषम जो कि वस्त्रों की रानी भी कहलाता है। यह ग्रामीण कृषकों के लिए अद्वितीय कार्यकलाप है और निर्धनों को पर्याप्त आय व रोजगार का अवसर प्रदान करता है। जिससे कम समय अधिक धनराषि से प्रायः मासिक अंतराल में अधिक रोजगार और आकर्षक आय प्राप्त होती है। भारत लगभग 35,000 मी. टन वार्षिक उत्पादन करने के साथ दुनिया में द्वितीय स्थान पर है और रेशमका बड़ा उपभोक्ता भी है। रेषम का उत्पादन जम्मू व कष्मीर, पष्चिम बंगाल, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश और तमिलनाडु में परम्परागत रूप से हो रहा है। यह उद्योग दक्षिण भारत के राज्यों के अलावा देश के अन्य राज्यों में भी लोकप्रिय हो रहा है।

केन्द्रीय रेषम बोर्ड एवं राज्य रेषम विभाग के सख्त सहयोग से तथा कृषकों के अथक प्रयासों से भी देष के उतरी मध्य राज्यों में खासकर मध्यप्रदेष में विगत 20 वर्षों से कृषकों द्वारा रेषम कार्य अपनाया जा रहा है। मध्यप्रदेष राज्य की विशेषता यह है कि भारत देष में पाया जाने वाला चारो प्रकार का वाणिज्यिकी फसल जैसे षहतूत, एरी, मूगा एवं तसर की पैदावार होषंगाबाद जिले में होती है।

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 मध्यप्रदेष के रेशम उत्पादक कृषकों के सामने मुख्य समस्या उचित कोया विक्रय बाजार की रही है। विगत वर्षों में मध्यप्रदेष सिल्क फैडरेषन द्वारा कोया खरीद चार्ट के अनुसार अनुमोदित (कोया की गुणवत्ता के आधार पर) द्विप्रज संकर रेषम कोया की अधिकतम दर प्रति किलाग्राम रूपये 350.00 एवं न्यूनतम दर रूपये 130.00 की दर से एवं बहुफसलीय कोया की दर रूपये 220/-व रूपये 90/-की दर पर खरीद की जा रही थी। अनुसंधान प्रसार केन्द्र, होषंगाबाद के अध्ययन के आधार पर एक किलोग्राम रेषम कोया उत्पादन के लिये न्यूनतम रूपये 220/-से रूपये 250/-तक की लागत खर्च का आंकलन किया गया है। क्योंकि रेषम कृषको ने विक्रय दर कम होने पर अपेक्षा अनुरूप आय/लाभ प्राप्त नहीं होने से समय≤ पर असंतोष प्रकट किया था। इस संबंध में मध्यप्रदेष सरकार के रेषम विभाग ने संज्ञान में लेते हुए रेषम कृषकों के हित में षासकीय ककून मार्केट, जिला रेषम कार्यालय परिसर मालाखेड़ी, नर्मदापुरम में व्यवस्थित रेषम कोया क्रय-विक्रय मार्केट की व्यवस्था को वर्तमान में चालु की गई है। उक्त ककून मार्केट में सरकार की ओर सभी सुविधायें के साथ रेषम उत्पादक कृषक एवं मध्यप्रदेष एवं अन्य राज्यों के पश्चिम बंगाल, कर्नाटक के रीलर्स/व्यापारियों द्वारा नीलामी प्रक्रिया में भाग लेकर रेषम कोया की खरीद की जा रही हैं। विगत माह में खुले बाजार में द्विप्रज संकर रेषम कोया का औसत दर प्रति किलोग्राम लगभग रूपये 500.00 की दर से व्यापारियों द्वारा खरीद की की गई है। कोया बाजार में रेषम उत्पादक कृषक अपना उत्पादित रेषम कोया को उचित दर पर विक्रय कर अधिक लाभ अर्जित कर रहे है। रेषम कृषकों को दुगुना (डबल आय) लाभ मिलने से रेषम उत्पादक कृषकों में नई उमंग के साथ उत्साह का संचार हुआ है। इस व्यवस्था का खुले मन से रेषम कृषकों ने स्वागत कर प्रषंसा व्यक्त की है। देष के माननीय प्रधानमंत्री श्रीमान नरेन्द्र मोदी का कृषकों को खेती से डबल आय का मंत्र वर्तमान में रेषम खेती से संभव हो रहा है। आगे रेषम कृषक नये ढंग से रेषम की खेती करने मे ओर अधिक रूचि अपनाएंगे। इस संबंध में पूर्व आयुक्त, श्रीमान विषेष गढ़पाले, (आई.ए.एस.) महोदय ने संज्ञान में लेकर कोया मार्केट की व्यवस्था में अपना योगदान देकर मार्केट को सफलतापुर्वक संचालन कराने में अहम भूमिका का निर्वहन के लिए रेषम उद्योग मध्यप्रदेश की ओर से सादर आभार।

इसी प्रयास का वैज्ञानिक-डी अनुसंधान प्रसार केन्द्र, केन्द्रीय रेशम बोर्ड, होषंगाबाद ने भी विस्तार क्षेत्र के समस्त रेषम हितग्राहियों, रीलर्स एवं जिला रेषम कार्यालय का सादर आभर ज्ञापित किया। वैज्ञानिक-डी की ओर से समस्त रेषम कृषकों को संबोधित करते हुए आग्रह किया कि षहतूत बगीचे का उचित रख-रखाव के साथ ही रेषम कीटपालन कार्य में नवीन प्रौद्योगिकी का प्रयोग कर अधिक से अधिक मात्रा में गुणवत्तायुक्त रेषम कोया उत्पादन कर ओर अधिक आय अर्जित कर सकते है। आगे उन्होने बताया कि कृषक दो एकड़ षहतूत बगीचे से हर माह 250 डी.एफ.एल्स का कीटपालन कर लगभग 200 किलोग्राम कोया उत्पादित कर उक्त विक्रय दर से प्रति माह लगभग एक लाख रूपये की कमाई की जा सकती है जो कि शुद्ध लाभ प्रतिमाह लगभग रूपये 60,000 से 70,000 तक मिल सकता है।

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  • सौजन्य : वैज्ञानिक-डी अनुसंधान प्रसार केन्द्र, केन्द्रीय रेशम बोर्ड, होशंगाबाद

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