फसल की खेती (Crop Cultivation)

कैसे होती है मशरूम की खेती? जानिए बीज से लेकर तुड़ाई तक पूरी विधि

14 अक्टूबर 2025, नई दिल्ली: कैसे होती है मशरूम की खेती? जानिए बीज से लेकर तुड़ाई तक पूरी विधि – मशरूम की खेती पिछले कुछ वर्षों में किसानों के बीच एक आकर्षक विकल्प बन चुकी है, क्योंकि यह कम लागत में अच्छा मुनाफा देती है। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में मशरूम की खेती प्रमुख रूप से होती है। मशरूम को विभिन्न नामों जैसे खुम्ब, खुंभी, कुकुरमुत्ता आदि से जाना जाता है। इसके उत्पादन के लिए उपयुक्त मौसम और सही प्रजाति का चयन करना बहुत जरूरी होता है। खासकर, ढिंगरी मशरूम (ओएस्टर), बटन मशरूम और दूधिया (मिल्की) मशरूम की खेती ज्यादा प्रचलित है।

प्रत्येक प्रकार की मशरूम को एक विशेष मौसम में उगाया जाता है, जैसे ढिंगरी मशरूम की खेती सितम्बर से नवंबर तक, बटन मशरूम की खेती फरवरी से मार्च और मिल्की मशरूम की खेती जून से जुलाई तक की जाती है। यह खेती छोटी जगहों से लेकर बड़े खेतों तक आसानी से की जा सकती है।

Advertisement
Advertisement

मशरूम की खेती के लिए सबसे जरूरी घटक स्पॉन (बीज) होता है, जिसे गेहूं के बीज से तैयार किया जाता है। यदि बीज की गुणवत्ता खराब हो तो मशरूम की गुणवत्ता भी प्रभावित होती है। स्पॉन को किसी मान्यता प्राप्त कृषि संस्थान से खरीदा जा सकता है। इसके बाद, मशरूम की खेती के लिए प्लास्टिक बैग, भूसा (गेहूं, चावल, राई, कपास के भूसे) और एक आदर्श वातावरण की आवश्यकता होती है। मशरूम की खेती में इस्तेमाल होने वाले भूसे को विशेष रूप से उपचारित करना पड़ता है ताकि उसमें कोई भी बैक्टीरिया या सूक्ष्मजीव न हो। यह उपचार गर्म पानी या रासायनिक विधियों से किया जाता है। जब भूसा तैयार हो जाता है, तब उसमें स्पॉन मिलाकर प्लास्टिक बैग में भर दिया जाता है।

मशरूम की बुवाई और रखरखाव

मशरूम की बुवाई करने से पहले जिस कमरे में मशरूम की थैलियां रखनी हैं, उसे 2 प्रतिशत फार्मलीन से उपचारित किया जाता है ताकि बैक्टीरिया से बचाव हो सके। इसके बाद, 4 किलो भूसे में 100 ग्राम स्पॉन मिलाकर थैली में भरकर उसे प्लास्टिक की रबड़ से बंद कर दिया जाता है। इस थैली में हवा का प्रवाह बनाए रखने के लिए छोटे छेद किए जाते हैं। बुवाई के बाद, इन्हें उस कमरे में रखा जाता है, जो उपचारित और उचित तापमान पर हो। जैसे ही स्पॉन से कवक (mycelium) पूरी तरह से फैल जाए, तो प्लास्टिक बैग को धीरे-धीरे हटाना शुरू कर दिया जाता है।

Advertisement8
Advertisement

मशरूम की तुड़ाई और भंडारण

मशरूम का आकार बढ़ने पर, जब बाहरी किनारे ऊपर मुड़ने लगते हैं, तो तुड़ाई की जाती है। पहली तुड़ाई लगभग 15-25 दिन बाद होती है। तुड़ाई के बाद, मशरूम को तुरंत पैक नहीं करना चाहिए, बल्कि इन्हें करीब 3 घंटे तक खुले में रखा जाता है ताकि इनमें से अतिरिक्त नमी बाहर निकल जाए। इसके बाद, इन्हें अच्छे से पैक करके बाजार में बेचा जा सकता है। मशरूम की कीमत ₹200 से ₹300 प्रति किलो के आसपास होती है, और यह सूखने पर और भी महंगे बिक सकते हैं।

Advertisement8
Advertisement

मशरूम की खेती से न केवल किसानों को अच्छा मुनाफा होता है, बल्कि यह उनकी पारंपरिक खेती के साथ भी की जा सकती है। एक किलो सूखे भूसे से 600 से 650 ग्राम तक मशरूम की पैदावार हो सकती है। इस प्रकार, मशरूम की खेती के द्वारा किसान अपनी आय बढ़ा सकते हैं और कृषि अवशिष्टों का भी उपयोग कर सकते हैं।

आपने उपरोक्त समाचार कृषक जगत वेबसाइट पर पढ़ा: हमसे जुड़ें
> नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़व्हाट्सएप्प
> कृषक जगत अखबार की सदस्यता लेने के लिए यहां क्लिक करें – घर बैठे विस्तृत कृषि पद्धतियों और नई तकनीक के बारे में पढ़ें
> कृषक जगत ई-पेपर पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें: E-Paper
> कृषक जगत की अंग्रेजी वेबसाइट पर जाने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें: Global Agriculture

Advertisements
Advertisement5
Advertisement