आड़ू के बाग में गम्मोसिस रोग फैला! पूसा की सलाह से ऐसे पाएं छुटकारा
26 जुलाई 2025, नई दिल्ली: आड़ू के बाग में गम्मोसिस रोग फैला! पूसा की सलाह से ऐसे पाएं छुटकारा – आड़ू की बागवानी करने वाले किसानों के लिए एक अहम चेतावनी आई है। पूसा संस्थान ने जानकारी दी है कि इन दिनों आड़ू के कई बागानों में गम्मोसिस रोग का प्रकोप देखने को मिल रहा है। यह रोग पौधों के तनों और शाखाओं से गोंद निकलने की समस्या के रूप में सामने आता है, जो धीरे-धीरे पूरे पेड़ को कमजोर कर सकता है।
विशेषज्ञों के अनुसार, यदि समय रहते इस रोग पर नियंत्रण न पाया जाए तो आड़ू के पौधों की उत्पादन क्षमता पर बुरा असर पड़ सकता है। फलों की गुणवत्ता घटने के साथ-साथ पेड़ सूखने की कगार पर पहुंच सकते हैं।
क्या है गम्मोसिस रोग?
गम्मोसिस रोग में पौधे की छाल फटने लगती है और वहां से चिपचिपा गोंद निकलता है। यह गोंद संक्रमण के कारण बनता है और पौधे की आंतरिक प्रणाली को प्रभावित करता है। आमतौर पर यह रोग ज्यादा नमी, कीट प्रकोप या मिट्टी की खराब जल निकासी व्यवस्था के कारण फैलता है।
पूसा संस्थान की सलाह: ऐसे करें नियंत्रण
पूसा के वैज्ञानिकों ने किसानों को सलाह दी है कि वे इस रोग के शुरुआती लक्षण दिखते ही निम्न उपाय अपनाएं:
- कॉपर ऑक्सीक्लोराइड – 500 ग्राम
- स्ट्रेप्टोसाइक्लिन – 20 ग्राम
- पानी – 200 लीटर
इन तीनों को मिलाकर एक घोल तैयार करें और उसका एक एकड़ क्षेत्र में छिड़काव करें। यह मिश्रण फंगल और बैक्टीरियल दोनों ही प्रकार के संक्रमण को नियंत्रित करने में प्रभावी माना गया है।
बाग की देखरेख में बरतें ये सावधानियां:
- पानी का निकास सही रखें ताकि जड़ों में नमी ज्यादा न हो।
- रोगग्रस्त शाखाओं की छंटाई समय पर करें।
- रोग के लक्षण दिखते ही घोल का छिड़काव करें, देर न करें।
- गिरी हुई संक्रमित पत्तियों और शाखाओं को नष्ट करें।
किसानों को चेतावनी और उम्मीद
विशेषज्ञों का मानना है कि गम्मोसिस रोग यदि समय रहते रोका जाए, तो पेड़ों की उत्पादकता को बचाया जा सकता है। यह जरूरी है कि किसान बागों की नियमित निगरानी करें और पूसा संस्थान या कृषि विज्ञान केंद्रों से परामर्श लेते रहें।
आड़ू की खेती में मेहनत का फल तभी मिलता है जब पौधे स्वस्थ हों। ऐसे में, थोड़ी सी सावधानी और सही जानकारी आपकी पूरी फसल को सुरक्षित कर सकती है।
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