फसल की खेती (Crop Cultivation)

सर्दियों में उगाएं पालक, मेथी, बथुआ और सरसों, कम लागत में ज्यादा मुनाफा

25 अक्टूबर 2025, नई दिल्ली: सर्दियों में उगाएं पालक, मेथी, बथुआ और सरसों, कम लागत में ज्यादा मुनाफा –  जब भी पोषण सुरक्षा की बात आती है, तो पत्तेदार हरी सब्जियां सबसे ऊपर आती हैं। ये न सिर्फ अच्छी सेहत के लिए खजाना हैं, बल्कि आपके खेतों में सर्दियों के मौसम में अच्छी कमाई का जरिया भी बन जाती हैं। पालक, मेथी, बथुआ, सरसों का साग जैसी फसलें जाड़े के मौसम में उगाई जाती है। आज हम आपको बताएंगे हरी सब्जियां की खेती की टिप्स, अगर आप भी इस सीजन में हरी सब्जिया उगा रहे हैं, तो ये आर्टिकल आखिर तक पढ़ें।

हरी सब्जियां विटामिन A, C, आयरन और फाइबर से भरपूर होती हैं, जो सेहत के लिए बहुत अच्छी होती हैं। किसानों के लिए इसे उगाना फायदेमंद साबित होता है। हरी सब्जियां कम लागत में कम समय में अच्छी  पैदावार देती है और बाजार में हमेशा अच्छी डिमांड रहती है। सर्दियों में ये फसलें 45-60 दिनों में तैयार हो जाती हैं, और एक हेक्टेयर से 10-15 टन तक उपज मिल सकती है।

पालक की पोपुलर किस्म

पूसा की पुरानी और पॉपुलर वैरायटी है ऑलग्रीन इसके गहरे हरे, मुलायम पत्ते सब्जी को स्वादिष्ट बनाते हैं। नई वैरायटी पूसा भारती थोड़े हल्के हरे रंग की है, लेकिन टेस्ट में कमाल। इन दोनों किस्मो की विशेषता है की इनके पत्ते नरम होते है और इनकी ग्रोथ जल्दी होती है। प्रति हेक्टेयर 20 से 25 किलोग्राम की बीज दर से इनकी बुआई करना उपयुक्त है। पहाड़ी इलाकों के लिए वर्जनिया शेवोय या नई पूसा विलायती पालक ट्राई करें, ये किस्म ठंड सहन करने में अच्छी हैं।

मेथी: हेल्थ और फ्लेवर का डबल डोज

मैथी की बात करे तो, मेथी के लिए पुरानी प्रजाति है पूसा अर्ली बंचिंग और एक दूसरी मेथी होती है जो कसूरी मेथी जिसके पत्ते हम सुखा के भी हम ड्राई रूप में भी हम लंबे समय तक उपयोग करते हैं। उसके लिए है पूसा कसूरी। मैथी में मल्टीकट की विशेषता होती है यानी इसकी 3 से 4 बार कटाई की जा सकती है, प्रति हेक्टेयर 15 से 20 किलोग्राम की बीज दर से इनकी बुआई करना उपयुक्त है।

बथुआ खरपतवार से बनी कैश क्रॉप

बथुआ को पहले खरपतवार समझा जाता था, लेकिन अब ये कैश क्रॉप है। पूसा की पूसा बथुआ वन वैरायटी में हल्का पर्पल शेड के पत्ते होते हैं, जबकि पूसा ग्रीन पूरी तरह हरी है कोई बैंगनी रंग नहीं। बथुआ में भी मल्टीकट की विशेषता होती है यानी इसकी 4 से 5 बार कटाई की जा सकती है, प्रति हेक्टेयर 2 किलोग्राम की बीज दर से इनकी बुआई करना उपयुक्त है। ये किस्मे जंगली बथुआ से बेहतर टेस्ट और न्यूट्रिशन देती है।

सरसों की किस्म

सरसों का साग सर्दियों में हर बाजार में मिलता है। पूसा की पूसा साग वन वैरायटी बहुत पोपुलर है। सरसों को विशेषता है की यह  ठंडी जलवायु के लिए सबसे अच्छी होती है। प्रति  हेक्टेयर 3 किलोग्राम की बीज दर से इनकी बुआई करना उपयुक्त है।

हरी सब्जियों की खेती में इन चीजों का ध्यान रखे

फसल की बुआई के लिए सबसे उपयुक्त समय अक्टूबर से नवंबर के बीच माना जाता है। यह अवधि पीक विंटर विंडो कहलाती है, जब तापमान और नमी फसल के तेज़ विकास के लिए आदर्श होते हैं। अगर बुआई में देरी की जाए तो उत्पादन में गिरावट आ सकती है। मिट्टी के चुनाव की बात करें तो बलुई दोमट मिट्टी सबसे बेहतर रहती है, जहां ऑर्गेनिक कार्बन की मात्रा अधिक हो। हालांकि यह फसल किसी भी मिट्टी में उग सकती है, लेकिन अच्छी ड्रेनेज होना बेहद ज़रूरी है ताकि जलभराव से नुकसान न हो।

बेहतर ग्रोथ के लिए प्रति हेक्टेयर कम से कम 25 टन गोबर की खाद डालनी चाहिए। इससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है और पौधों की जड़ें मजबूत बनती हैं, जिससे विकास तेज़ी से होता है। खरपतवार नियंत्रण के लिए बुआई के तुरंत बाद पेंडीमेथालिन (3 मिली प्रति लीटर पानी) का छिड़काव करना चाहिए, जिससे खेत करीब 30 दिनों तक खरपतवार-मुक्त रहता है। सिंचाई के लिए बुआई के 8–10 दिन बाद हल्की पानी की जरूरत होती है, जिससे अंकुरण तेज़ होता है और पौधे स्वस्थ रहते हैं। ध्यान रखें, ज़्यादा पानी देने से जड़ों में सड़न (रूट रॉट) की समस्या हो सकती है।

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