फसल की खेती (Crop Cultivation)

किसान हो जाएंगे मालामाल! गेहूं की ये टॉप 3 किस्में देंगी बंपर उत्पादन, मिलेंगे ज्यादा दाने और बेहतर गुणवत्ता

06 नवंबर 2025, नई दिल्ली: किसान हो जाएंगे मालामाल! गेहूं की ये टॉप 3 किस्में देंगी बंपर उत्पादन, मिलेंगे ज्यादा दाने और बेहतर गुणवत्ता – भारत में रबी सीजन की शुरुआत के साथ ही किसान गेहूं की बुवाई की तैयारी में जुट गए हैं। अगर आप भी इस बार गेहूँ की खेती करने जा रहे हैं, तो कुछ ऐसी किस्में हैं जो आपको कम समय में बंपर उत्पादन और बेहतर गुणवत्ता वाला अनाज दे सकती हैं। ICAR और राज्य कृषि विश्वविद्यालयों द्वारा विकसित ये किस्में न सिर्फ रोग प्रतिरोधी हैं, बल्कि इनमें ऊष्मा और सूखा सहनशीलता भी पाई जाती है। यहां जानें ऐसी ही टॉप 3 गेहूं की किस्मों के बारे में जो किसानों की आमदनी बढ़ाने में मददगार साबित हो सकती हैं।

1. करन आदित्य (Karan Aditya) – DBW 332

डेवलपर: ICAR-IIWBR, करनाल

मुख्य विशेषताएं:

1. औसत उपज: 78.3 क्विंटल/हेक्टेयर
2. संभावित उपज: 83.0 क्विंटल/हेक्टेयर
3. रोग प्रतिरोध: स्ट्राइप और लीफ रतुआ के प्रति प्रतिरोधी
4. प्रोटीन सामग्री: 12.2%

खासियत:

यह किस्म उन किसानों के लिए बेहतरीन विकल्प है जो उच्च प्रोटीन और बेहतर गुणवत्ता वाले गेहूँ की खेती करना चाहते हैं। करन आदित्य की पैदावार अधिक है और यह खाद्य उद्योगों के लिए भी उपयुक्त है, जहां उच्च प्रोटीन की मांग होती है।

2. एमपी 3465 (MP 3465)

डेवलपर: जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय (JNKVV), जबलपुर

मुख्य विशेषताएं:

1. औसत उपज: 59.41 क्विंटल/हेक्टेयर
2. संभावित उपज: 73.2 क्विंटल/हेक्टेयर
3. रोग प्रतिरोध: पत्ती और पीले रतुआ के प्रति प्रतिरोधी
4. गुणवत्ता: बेहतर दाना और प्रोटीन स्तर

खासियत:

मध्य भारत की सिंचित खेती के लिए यह किस्म बेहद लोकप्रिय है। यह मध्यम अवधि में तैयार हो जाती है और इसकी उपज स्थिर रहती है। अच्छी सिंचाई और संतुलित खाद प्रबंधन से किसान ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं।

 3. करन शिवानी (Karan Shivani) – DBW 327

डेवलपर: ICAR-IIWBR, करनाल

मुख्य विशेषताएं:

1. औसत उपज: 79.4 क्विंटल/हेक्टेयर
2. संभावित उपज: 87.7 क्विंटल/हेक्टेयर
3. ऊष्मा सहनशीलता सूचकांक: 0.81
4. सूखा सहनशीलता सूचकांक: 0.78
5. सूक्ष्म पोषक तत्व: जिंक (Zn) – 40.6 ppm
6. चपाती गुणवत्ता: 7.67/10

खासियत:

यह किस्म ऊष्मा और सूखा सहनशील है, इसलिए जलवायु परिवर्तन वाले क्षेत्रों के लिए बेहद उपयुक्त मानी जाती है। इसकी उपज क्षमता उच्च है और दाने की गुणवत्ता भी बेहतरीन होती है।

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