आम की फसल में एन्थ्रेक्नोज रोग पर नियंत्रण के लिए Carbendazim 46.27% SC का प्रभावी उपयोग
16 मई 2025, नई दिल्ली: आम की फसल में एन्थ्रेक्नोज रोग पर नियंत्रण के लिए Carbendazim 46.27% SC का प्रभावी उपयोग – भारत में आम की खेती लाखों किसानों की आजीविका का आधार है। मगर यह बहुमूल्य फसल अनेक रोगों की चपेट में आ सकती है, जिनमें से एन्थ्रेक्नोज एक अत्यंत आम और विनाशकारी रोग है। यह रोग फलों, पत्तियों, फूलों और तनों पर काले या भूरे धब्बों के रूप में उभरता है, जिससे उत्पादन की मात्रा और गुणवत्ता दोनों बुरी तरह प्रभावित होती हैं। इस रोग से निपटने के लिए Carbendazim 46.27% SC एक अत्यंत प्रभावी फफूंदनाशी के रूप में वैज्ञानिकों द्वारा अनुशंसित है।
Carbendazim एक बेन्जीमिडाज़ोल वर्ग का प्रणालीगत फफूंदनाशी है, जो रोगजनक कवक की कोशिकीय क्रिया को बाधित करता है। यह पौधे के अंदर प्रवेश कर वहां से पूरे तने और पत्तियों में फैलता है, जिससे संपूर्ण फसल को सुरक्षा मिलती है। Carbendazim 46.27% SC एक नई पीढ़ी का फॉर्मुलेशन है, जिसमें सक्रिय घटक का प्रतिशत अधिक होता है और यह लंबे समय तक प्रभाव बनाए रखता है।
इसका प्रयोग आम की फसल में एन्थ्रेक्नोज के लक्षण दिखने पर किया जाता है। मानक सिफारिश के अनुसार, इसे 0.05% सक्रिय घटक (a.i.)की दर से उपयोग करना चाहिए, जो फॉर्मुलेशन के अनुसार 0.1% या 100 मिलीलीटर प्रति 100 लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव किया जाता है। फसल के आकार और घनत्व को देखते हुए यह मात्रा हेक्टेयर के हिसाब से समायोजित की जा सकती है।
इस फफूंदनाशी का उपयोग रोग के शुरुआती चरण में करने से संक्रमण को फैलने से रोका जा सकता है। एक बार जब रोग नियंत्रण में आ जाए, तो जरूरत के अनुसार 10-15 दिनों के अंतराल पर दोहराया जा सकता है। इससे पत्तियां हरी-भरी और फल स्वस्थ रहते हैं, जिससे बेहतर उपज और बाजार में अच्छी कीमत मिलती है।
किसानों को यह ध्यान रखना चाहिए कि छिड़काव और कटाई के बीच कम से कम 10 दिनों का प्रतीक्षा काल (waiting period) रखा जाए, ताकि रसायन के अवशेष फलों में हानिरहित स्तर तक सीमित रहें। इसके अलावा, छिड़काव करते समय सुरक्षात्मक उपाय जैसे दस्ताने, मास्क और चश्मे का उपयोग करना अनिवार्य है।
Carbendazim 46.27% SC का समुचित और अनुशंसित उपयोग आम के बागों को एन्थ्रेक्नोज जैसे रोग से बचाकर उच्च गुणवत्ता वाली फसल सुनिश्चित करता है। यह न केवल उत्पादन बढ़ाता है, बल्कि निर्यात गुणवत्ता के फलों की प्राप्ति में भी मदद करता है।
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