किसानों और AI के बीच मुकाबला: चीन के स्मार्ट खेती प्रयोग का दूसरा चरण शुरू
13 जून 2025, नई दिल्ली: किसानों और AI के बीच मुकाबला: चीन के स्मार्ट खेती प्रयोग का दूसरा चरण शुरू – चीन के सिचुआन प्रांत के चोंगझोऊ इलाके में धान के खेत इन दिनों एक अनोखे प्रयोग का केंद्र बन गए हैं। यहाँ परंपरागत खेती और आधुनिक तकनीक के बीच सीधा मुकाबला हो रहा है — क्या कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) सदियों पुराने किसानों के अनुभव को पछाड़ सकती है?
इस प्रतियोगिता में 6 किसान टीमें और 4 AI संचालित टीमें हिस्सा ले रही हैं। करीब 1000 मू (लगभग 66.7 हेक्टेयर) उपजाऊ खेतों में यह परीक्षण हो रहा है। मई के मध्य में शुरू हुई यह प्रतियोगिता सितंबर के अंत तक चलेगी। लक्ष्य है — क्या मशीनें किसानों से बेहतर खेती कर सकती हैं?
कैसे काम कर रहा है AI खेती में
AI आधारित सिस्टम खेतों में लगे मल्टीस्पेक्ट्रल कैमरों, सौर ऊर्जा से चलने वाले निगरानी पोलों और सेंसरों से डेटा इकट्ठा करते हैं। यह सिस्टम फसल की सेहत, मिट्टी की स्थिति, कीट प्रकोप और मौसम की जानकारी इकट्ठा करता है। फिर यह जानकारी क्लाउड-बेस्ड AI में जाकर विश्लेषित होती है, जो किसानों को उर्वरक देने, सिंचाई करने और कीट नियंत्रण करने के सुझाव देता है।
प्रतियोगियों के अनुसार, AI खासकर नए किसानों को जल्दी सही सलाह देकर खेती सिखाने में मदद कर सकता है। मई 15 से 30 तक धान की रोपाई की गई। जुलाई में मध्यम अवधि का मूल्यांकन होगा और सितंबर में अंतिम उपज व गुणवत्ता का परीक्षण किया जाएगा।
पिछले साल से मिली सीख
यह प्रतियोगिता दूसरी बार हो रही है। पिछले वर्ष भी ऐसा ही मुकाबला हुआ था। तब AI ने कुछ नए किसानों से बेहतर प्रदर्शन किया था, लेकिन अनुभवी किसानों को मात नहीं दे सका था। AI संचालित टीम की औसत उपज 516 किलोग्राम प्रति मू रही, जो कि मानक उपज का लगभग 88% था। परंतु कुल रैंकिंग में AI अभी भी अनुभवी किसानों से पीछे रहा।
AI को सबसे ज्यादा मुश्किल अचानक बदलती परिस्थितियों को संभालने में आई, जिसे अनुभवी किसान अपने अनुभव से आसानी से संभाल लेते हैं।
AI कर रहा है निरंतर सीखने की कोशिश
वैज्ञानिकों ने बीते एक साल में डेटा संग्रहण और AI की सटीकता बढ़ाने पर काम किया है। अब फसल वृद्धि के हर चरण, मौसम, मिट्टी की नमी और कीट व्यवहार का विस्तृत डेटा तैयार कर लिया गया है, जिससे AI के निर्णय और सटीक हो रहे हैं। खासकर उर्वरक प्रबंधन और खरपतवार नियंत्रण में AI की सलाह पहले से बेहतर हो रही है।
फिर भी कुछ सीमाएँ बनी हुई हैं। AI हजारों डेटा पॉइंट्स को प्रोसेस कर सकता है, लेकिन खेत की तात्कालिक स्थिति को पूरी तरह समझने में अभी सुधार की जरूरत है। उपग्रह चित्रों से मिली जानकारी भी हमेशा सटीक नहीं रहती।
मुकाबला नहीं, बल्कि साझेदारी का रास्ता
इस प्रयोग का मकसद किसानों की जगह मशीनें लाना नहीं है, बल्कि उन्हें सहायक उपकरण देना है। छोटे किसान आज भी परंपरागत तरीकों पर निर्भर हैं और उनके पास आधुनिक तकनीक तक सीमित पहुंच है। AI उन्हें सही समय पर सटीक जानकारी देकर खेती के निर्णयों में मदद कर सकता है।
कुछ क्षेत्रों में AI से चलने वाली धान रोपाई मशीनों ने 20% तक अधिक दक्षता दिखाई है। किसान अपने मोबाइल पर कीट प्रकोप की चेतावनी भी समय रहते पा रहे हैं जिससे समय पर उपचार किया जा सके।
एक अनुभवी किसान ने बताया कि पिछले साल AI ने तने में लगने वाले कीट का तीन दिन पहले ही अलर्ट दिया था, लेकिन उसने रासायनिक दवाइयों के बजाय अपनी जैविक दवा का प्रयोग अधिक प्रभावी पाया।
भविष्य: किसान का अनुभव और AI की समझ मिलकर बनेंगे मजबूत साथी
चीन का यह प्रयोग दिखाता है कि सबसे बेहतरीन परिणाम तभी मिल सकते हैं जब किसान का अनुभव और AI की तकनीक मिलकर काम करें। AI आंकड़ों का विश्लेषण और समय पर सुझाव दे सकता है, लेकिन खेत की नब्ज को किसान की तरह कोई नहीं समझ सकता। परंपरा और तकनीक का यह संगम ही भविष्य में खेती को अधिक उपजाऊ, स्वस्थ और टिकाऊ बनाएगा।
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