गाजर की बंपर फसल: पूसा विशेषज्ञों की ये सीक्रेट टिप्स अपनाकर दोगनी करें कमाई
04 अक्टूबर 2025, नई दिल्ली: गाजर की बंपर फसल: पूसा विशेषज्ञों की ये सीक्रेट टिप्स अपनाकर दोगनी करें कमाई – सर्दियों की ठंडक दस्तक देने लगी है और किसान भाइयों के लिए गाजर की फसल एक सुनहरा मौका लेकर आ रही है। जड़ वाली सब्जियों में गाजर न सिर्फ पोषण का खजाना है खासकर विटामिन ए से भरपूर बल्कि यह आय बढ़ाने का भी शानदार जरिया साबित होती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सही किस्में चुनने और उर्वरक प्रबंधन से आप अपनी पैदावार को 35 टन प्रति हेक्टेयर तक पहुंचा सकते हैं? पूसा संस्थान के कृषि विशेषज्ञों ने हाल ही में किसानों के लिए गाजर की अगेती और मुख्य फसल पर खास सलाह जारी की है।
अगेती गाजर की देखभाल: बारिश से बचाव और पोषण का सही डोज
अगर आपने अगस्त के मध्य यानी 15 अगस्त के आसपास गाजर की अगेती फसल बोई है, तो अब सतर्क रहने का समय है। उत्तर भारतीय मैदानी क्षेत्रों में भारी बारिश से खेतों में पानी का जमाव फसल को नुकसान पहुंचा सकता है। सबसे पहले, पानी के निकास की पुख्ता व्यवस्था करें ड्रेनेज चैनल बनाएं या अतिरिक्त पानी पंप से निकालें, ताकि जड़ें सड़ने से बचें।
जब फसल एक महीने की हो जाए, तो निराई-गुड़ाई का काम जरूर करें। इसके साथ ही, 40 से 50 किलोग्राम नाइट्रोजन प्रति हेक्टेयर मिट्टी में मिलाकर पौधों के चारों ओर मिट्टी चढ़ा दें। यह न सिर्फ पोषण देगा बल्कि पौधों को मजबूत बनाएगा। अगर ये कदम न उठाए गए, तो पैदावार में 20-30% तक की गिरावट आ सकती है।
मुख्य सर्दी वाली फसल की तैयारी शुरू करें
सितंबर-अक्टूबर का महीना गाजर की मुख्य फसल बोने का आदर्श समय है। पूसा संस्थान के अनुसार, किस्मों को दो श्रेणियों में बांटा गया है: उष्णकटिबंधीय (ट्रॉपिकल) और शीतोष्ण (टेम्परेट)। ये किस्में न सिर्फ जलवायु के अनुकूल हैं बल्कि बाजार में अच्छी कीमत भी दिलाती हैं।
उष्णकटिबंधीय किस्में: तेज पैदावार, ज्यादा मुनाफा
ये किस्में उत्तर भारत के मैदानी इलाकों के लिए बिल्कुल फिट हैं। इन्हें सितंबर के अंत से अक्टूबर के अंत तक बोया जा सकता है:
- पूसा वसुधा: 85-90 दिनों में तैयार, औसत पैदावार 35 टन/हेक्टेयर। लाल रंग की यह किस्म बाजार में खूब पसंद की जाती है।
- पूसा रुधिरा: 90 दिनों में पककर तैयार, 25-30 टन/हेक्टेयर उपज। यह किस्म रोग प्रतिरोधी है और आय बढ़ाने में मददगार।
- पूसा आशिता: काली या गहरी बैंगनी गाजर, 100-110 दिनों में तैयार, 20-25 टन/हेक्टेयर। सेहत के लिए एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर, बाजार में प्रीमियम दाम मिलते हैं।
- पूसा कुल्फी: पीली गाजर, 90-100 दिनों में तैयार, 25 टन/हेक्टेयर। यह विविधता फसल में रंगत लाती है और निर्यात के लिए उपयुक्त।
शीतोष्ण किस्में: सर्दियों के लिए परफेक्ट चॉइस
ये किस्में ठंडे मौसम में बेहतर प्रदर्शन करती हैं:
- पूसा नेनटिस और पूसा जमदग्नि: दोनों 100-110 दिनों में तैयार, 10-12 टन/हेक्टेयर पैदावार। ये सस्ती और विश्वसनीय हैं।
- पूसा नयन ज्योति: हाइब्रिड किस्म, 100 दिनों में तैयार, 20 टन/हेक्टेयर। यह उच्च उपज वाली है और किसानों की पहली पसंद बन रही है।
विशेषज्ञों का सुझाव है कि किस्म चुनते समय अपनी मिट्टी और जलवायु को ध्यान में रखें। उष्णकटिबंधीय किस्में गर्मी सहन कर सकती हैं, जबकि शीतोष्ण वाली ठंड में पनपती हैं।
मिट्टी और उर्वरक प्रबंधन: बुनियाद मजबूत तो फसल लहलहाएगी
गाजर की सफल फसल के लिए बालुई दोमट मिट्टी सबसे अच्छी है। खेत की अच्छी जुताई करें, फिर फॉस्फोरस और पोटाश की पूरी मात्रा, नाइट्रोजन की आधी मात्रा और 20 किलोग्राम नीम की खली प्रति हेक्टेयर मिट्टी में मिलाएं। इससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ेगी और कीटों से बचाव होगा।
मेड़ (बेड) बनाते समय मेड़ों के बीच 45 सेंटीमीटर (1.5 फीट) का अंतर रखें। बुवाई लाइनों में करें – पहले सिंचाई से मिट्टी में नमी सुनिश्चित करें। बुवाई के तुरंत बाद, खरपतवार नाशक पेंडीमेथिलीन (3 लीटर प्रति 1000 लीटर पानी) का छिड़काव करें। अगर बीज पहले से उपचारित नहीं हैं, तो कैप्टान या थिरम (2.5-3 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज) से ट्रीटमेंट जरूर करें। यह फफूंद से बचाव करेगा और अंकुरण दर बढ़ाएगा।
आपने उपरोक्त समाचार कृषक जगत वेबसाइट पर पढ़ा: हमसे जुड़ें
> नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़, व्हाट्सएप्प
> कृषक जगत अखबार की सदस्यता लेने के लिए यहां क्लिक करें – घर बैठे विस्तृत कृषि पद्धतियों और नई तकनीक के बारे में पढ़ें
> कृषक जगत ई-पेपर पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें: E-Paper
> कृषक जगत की अंग्रेजी वेबसाइट पर जाने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें: Global Agriculture