बंजर भूमि पर बिना बीज की ककड़ी
नीमच जिले के 30 किसान ने 100 बीघा बंजर जमीन को सामूहिक एवं संरक्षित खेती की सोच के साथ उपजाऊ बनाया है। जिला मुख्यालय से 17 किलोमीटर दूर राजस्थान की सीमा से लगे सेमार्डा गाँव के नजदीक पहाड़ीनुमा बंजर जमीन पर पॉली-हाउस तैयार कर ककड़ी लगायी। अब यहाँ पैदा हुई ककड़ी विदेशों में निर्यात की जा रही है।
खेती-किसानी में रुचि रखने वाले युवा किसान अनिल नाहटा, शौकीन जैन, संजय बेगानी और सत्यनारायण पाटीदार कुछ समय पहले इंटरनेशनल फूड एक्जीविशन में दुबई गये थे। वहाँ उन्होंने देखा कि 50 डिग्री तापमान से अधिक गर्म रेत पर सब्जियाँ और फलों की खेती की जा रही है। उन्होंने इस तकनीक को बारीकी से देखा। नीमच आते ही उन्होंने बंजर जमीन को समतल करने का जतन शुरू किया और 6 पॉली-हाउस तैयार किये। इसके बाद इसी भूमि पर 32 पॉली-हाउस और तैयार किये गये। केवल 3 माह में हाइड्रोपॉनिक पद्धति से बिना बीज की हरी ककडिय़ों ने आकार लेना शुरू कर दिया।
बिना बीज की ककड़ी की माँग बढ़ी
सउदी अरब में बिना बीज की ककड़ी की हमेशा डिमांड बनी रहती है। नीमच जिले में तैयार बिना बीज की ककड़ी की खेप दिल्ली की मण्डियों तक पहुँच गयी है। बाद में यह ककड़ी अरब के बाजारों में पहुँचेगी। एक पॉली-हाउस में 70 टन ककड़ी का उत्पादन हो रहा है। बीज-रहित ककड़ी का दाम 20 रुपये प्रति किलो मिल रहा है। यहाँ के किसान अब पॉली-हाउस में खूबसूरत फूलों की खेती करने का भी विचार कर रहे हैं। यहाँ पैदा होने वाले जरबेरा रोज की क्षेत्रीय बाजार के साथ जर्मनी और हॉलेण्ड में भी बड़ी माँग है।
ड्रिप पद्धति से ऑटोमेटिक सिंचाई
इस पद्धति की विशेषता यह है कि आधुनिक खेती के लिये पानी और बिजली की अलग-अलग व्यवस्था की गयी है। ट्यूब-वेल लगाकर उसके पास ढलान में 12 हजार लीटर क्षमता का अंडरग्राउण्ड वॉटर-टैंक बनाया गया है। वर्तमान जरूरत के मान से प्रतिदिन 6 लाख लीटर पानी की खपत हो रही है। इसमें हर पॉली-हाउस तक पाइप-लाइन बिछाकर हाउस के अंदर जहाँ-जहाँ पौधे के कॉकपिट हैं, वहाँ तक पाइप जोड़कर पानी पहुँचाया गया है। इसमें टपक सिंचाई प्रक्रिया से पौधे की जड़ों को हमेशा नम रखा जाता है। किस डोम में कितना पानी पहुँचाना है, इसकी भी कम्प्यूटराइज व्यवस्था की गई है।