छाल खाने वाला सुंडी: अमरूद के पेड़ों के लिए बड़ा खतरा और उसका प्रबंधन
12 मार्च 2025, नई दिल्ली: छाल खाने वाला सुंडी: अमरूद के पेड़ों के लिए बड़ा खतरा और उसका प्रबंधन – छाल खाने वाला सुंडी अमरूद के पेड़ों का एक गंभीर कीट है, जिसकी उपस्थिति तने या शाखाओं के जोड़ों के पास बनी ज़िगज़ैग रिबन जैसी जालीदार संरचनाओं से पहचानी जा सकती है। यह जाली छाल के टुकड़ों, मल और रेशम से बनी होती है। यदि इसे हटाया जाए, तो मोटी शाखाओं के जोड़ पर एक छोटा छेद दिखाई देता है, जिसमें लार्वा मौजूद हो सकता है। यह कीट पेड़ की छाल को खाकर पोषक तत्वों के प्रवाह को बाधित कर देता है, जिससे पोषण वाहिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। गंभीर संक्रमण की स्थिति में, रस के प्रवाह में रुकावट आ जाती है, जिससे पेड़ सूखकर मर सकता है। इस कीट का जीवन चक्र वार्षिक होता है और एक वर्ष में इसकी एक ही पीढ़ी विकसित होती है। इसका प्रकोप मुख्य रूप से दिसंबर से मार्च के बीच देखा जाता है। पूर्ण विकसित लार्वा लगभग 4 सेमी लंबा होता है, जिसका रंग हल्का भूरा से गहरा भूरा होता है, और इसकी त्वचा चिकनी होती है, जिसमें कठोर धब्बे होते हैं।
कीट प्रबंधन
इस कीट के प्रभावी नियंत्रण के लिए बगीचे की सफाई बनाए रखना और पेड़ों की अत्यधिक भीड़ को रोकना आवश्यक है। साफ-सुथरा बगीचा रखने और पेड़ों के बीच उचित दूरी बनाए रखने से कीट के प्रकोप को काफी हद तक कम किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त, छाल में बनी सुरंगों की जांच कर उनमें लोहे की कील डालने से लार्वा को नष्ट किया जा सकता है। उचित निगरानी और समय पर की गई रोकथाम से अमरूद के बागों को इस कीट के प्रकोप से बचाया जा सकता है, जिससे पेड़ स्वस्थ रहेंगे और उत्पादन में वृद्धि होगी। यह सलाह आईसीएआर-केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, लखनऊ द्वारा दी गई है।
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