अन्ना सेब: अब मैदानी क्षेत्रों में भी उगाएं लाजवाब सेब
02 सितम्बर 2024, भोपाल: अन्ना सेब: अब मैदानी क्षेत्रों में भी उगाएं लाजवाब सेब – मैदानी क्षेत्रों के किसानों के लिए खुशखबरी है! अब आपको सेब की बागवानी के लिए पहाड़ी क्षेत्रों का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। ‘अन्ना’ सेब की प्रजाति, जो कम शीतलन आवश्यकता वाली है, को विशेष रूप से मैदानी क्षेत्रों के लिए विकसित किया गया है। इस प्रजाति को मात्र 250-300 घंटों की शीतलन इकाइयों की आवश्यकता होती है, जिससे यह गर्म जलवायु में भी आसानी से उगाई जा सकती है।
अन्ना सेब जल्दी पकने वाला और दोहरे उद्देश्य वाली प्रजाति है, जो जून माह में परिपक्व हो जाती है। इसके फल सुनहरे रंग के होते हैं, जिन पर लाल आभा होती है। इसके स्वादिष्ट फलों का भंडारण सामान्य तापमान पर 7 दिनों तक किया जा सकता है। अन्ना सेब की बागवानी के दौरान परागण के लिए ‘डार्सेट गोल्डन’ प्रजाति का उपयोग किया जाना चाहिए, जिससे अधिक उत्पादन हो सके।
तीसरे वर्ष के अध्ययन में यह पाया गया कि ‘डार्सेट गोल्डन’ प्रजाति के पौधे के पुष्पन के कारण ‘अन्ना’ के वृक्षों पर फलन अधिक हुआ। इसलिए, जब भी ‘अन्ना’ प्रजाति की बागवानी की जाए, तो इसके साथ परागण दाता प्रजाति का प्रावधान करना आवश्यक होता है। ‘अन्ना’ प्रजाति का परीक्षण और मूल्यांकन उपोष्ण जलवायु में किया गया है और यह सफल साबित हो रही है।
अन्ना सेब की खेती में सफलता पाने के लिए यह जरूरी है कि किसान उचित तैयारी करें। मिट्टी की पी-एच मान 6-7 के बीच होनी चाहिए और जल निकास की व्यवस्था सही होनी चाहिए। इसके अलावा, पौधों को पर्याप्त धूप और पोषक तत्वों की जरूरत होती है।
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