फसल की खेती (Crop Cultivation)

जायद में मूंग की उन्नत खेती

  • रमेश कुमार, वरिष्ठ अध्येता कृषि अनुसंधान
    केंद्र, बीछवाल, एसकेआरऐयू, बीकानेर
  • डॉ. रामचंद्र जाट, (सह-आचार्य मृदा विज्ञान)
  • डॉ. अमित कुमावत (सह-आचार्य सस्यविज्ञान)
  • डॉ. राजेंद्र कुमार, कृषि महाविद्यालय,  बीछवाल, एसकेआरऐयू, बीकानेर

11 अप्रैल 2023, जायद में मूंग की उन्नत खेती – दलहनी फसलों में मूंग की दाल प्रोटीन का प्रमुख स्त्रोत है। मूंग दलहनी फसल होने के कारण राइजोबियम जीवाणुओं द्वारा वायुमण्डलीय नत्रजन को मृदा में संचित करने की क्षमता रखती है। इस प्रकार दालों का उत्पादन बढ़ाने हेतु किये गये कृषि वैज्ञानिकों के अनुसंधानों के फलस्वरूप जल्दी पकने वाली मूंग की किस्मों का विकास हुआ और इसी के फलस्वरूप इसकी खेती जायद फसल के रूप में होने लगी और किसानों को इनका अधिक उत्पादन प्राप्त होने लगा। जायद मूंग की खेती सिंचित क्षेत्रों में ही संभव है। वर्षा आधारित क्षेत्र के किसानों को इसकी खेती कम लागत एवं अधिक उत्पादन लेने हेतु निम्न उन्नत प्रौद्योगिकी अपनानी चाहिए।

भूमि की तैयारी

मूंग की खेती के लिए हल्की से भारी भूमि उपयुक्त रहती है। वर्षा होने पर विशुद्ध फसल के लिए दो बार क्रॉस जुताई कर, पाटा लगा कर खेत को समतल करें। दीमक, सफेद लट एवं अन्य भूमिगत कीटों के उपचार हेतु क्विनालफॉस 1.5 प्रतिशत चूर्ण 25 किलो/हेक्टेयर की दर से भूमि में अंतिम जुताई के साथ मिलायें।

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उन्नत किस्में

मूंग के 851, पूसा वैशाली, आरएमजी 268, आरएमजी 62, एसएमएल 668, एमयूएस 2, आदि।

बुवाई एवं बीज दर:– जायद मूंग की बुवाई फरवरी अंत से मध्य मार्च तक की जा सकती है। इसकी बीज दर 15-20 किलो/हेक्टेयर रखें, मूंग की खेती हेतु कतार से कतार की दूरी 30 सेमी एवं पौधे से पौधे की दूरी 10 सेमी रखी जाना उपयुक्त है।

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बीज उपचार:- बुवाई से पहले प्रति किलो बीज में 2 ग्राम कार्बेण्डाजिम या 3 ग्राम थाइरम या कैप्टान दवा मिलाकर उपचारित करें।

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गेहूं में उर्वरकों की मात्रा एवं उनका प्रयोग

उर्वरक प्रबंधन

उर्वरक का उपयोग कृषि प्रयोगशाला से मिट्टी जांच की सिफारिश के आधार पर करें। मिट्टी जांच के अभाव में 10 से 15 किलो नत्रजन एवं 30 से 40 किलों फास्फोरस/हेक्टेयर की दर से दें। सम्पूर्ण उर्वरक बुवाई के समय उर कर दें। बुवाई के 20 दिन पश्चात् इनकी जड़ों में जीवाणु ग्रंथियां बननी प्रारम्भ हो जाती है और ये पौधे नत्रजन की पूर्ति स्वत: करने लग जाते है। अत: बुवाई के पश्चात् इन फसलों को कोई उर्वरक देने की आवश्यकता नहीं होती है।

खरपतवार नियंत्रण

खरपतवार नियंत्रण हेतु बुवाई से पूर्व फ्लूक्लोरोलिन 1 किग्रा/हेक्टेयर की दर से छिडक़ाव करें। इसके अतिरिक्त पेंडीमिथालिन 0.75 किग्रा/हेक्टेयर की दर से छिडक़ाव फसल उगने से पूर्व कर खरपतवारों से छुटकारा पा सकते है। इसके अतिरिक्त 20 से 30 दिन पश्चात् एक बार फसल की निराई-गुड़ाई करें।

फसल कटाई

फलियों के झडक़र गिरने से होने वाली हानि को रोकने के लिए फलियों को पूरी तरह पकने के बाद एवं झडऩे से पहले काट लें। इसके बाद खलिहान में एक सप्ताह या 10 दिन तक सूखा लें और फिर दाना निकालें।

पैदावार

मूंग की पैदावार 4-6 क्विंटल प्रति हेक्टेयर ली जा सकती है।

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गर्मियों में मूंग की उन्नत खेती

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