फसल की खेती (Crop Cultivation)

20 जून से 5 जुलाई: यही है सोयाबीन बोवनी का सही समय, जानिए पूरी प्रक्रिया

20 जून 2025, नई दिल्ली: 20 जून से 5 जुलाई: यही है सोयाबीन बोवनी का सही समय, जानिए पूरी प्रक्रिया – सोयाबीन भारत की एक प्रमुख तिलहनी फसल है, जो न केवल किसानों की आय का महत्वपूर्ण स्रोत है, बल्कि मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाने में भी सहायक है। मध्य प्रदेश, विशेष रूप से मालवा क्षेत्र, सोयाबीन उत्पादन का प्रमुख केंद्र है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के राष्ट्रीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान, इंदौर द्वारा जारी सलाह के आधार पर, इस लेख में सोयाबीन की खेती के लिए आधुनिक और वैज्ञानिक तरीकों की विस्तृत जानकारी दी गई है। यह सलाह किसानों को बेहतर उपज और फसल की सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद करेगी।

1. खेत की तैयारी और बोवनी का समय

सोयाबीन की सफल खेती के लिए सही समय पर बोवनी और खेत की उचित तैयारी अत्यंत आवश्यक है। निम्नलिखित बिंदुओं का ध्यान रखें:

  • बोवनी का समय: मानसून के आगमन के बाद, जब कम से कम 100 मिमी बारिश हो जाए, तब ही सोयाबीन की बोवनी करें। मध्य क्षेत्र (मध्य प्रदेश) के लिए उपयुक्त समय 20 जून से 5 जुलाई तक है। यह सुनिश्चित करता है कि फसल को पर्याप्त नमी मिले और सूखे या कम नमी के कारण नुकसान न हो।
  • खेत की तैयारी: मानसून शुरू होने पर खेत में कल्टीवेटर और पाटा चलाकर मिट्टी को भुरभुरी और समतल करें। इससे बीज का अंकुरण बेहतर होता है और जड़ों का विकास अच्छा होता है।
  • जैविक खाद का उपयोग: बोवनी से पहले 5-10 टन प्रति हेक्टेयर गोबर की खाद या 2.5 टन प्रति हेक्टेयर मुर्गी की खाद खेत में समान रूप से फैलाकर मिट्टी में मिलाएं। यह मिट्टी की उर्वरता और संरचना को बेहतर बनाता है।

2. सोयाबीन की किस्मों का चयन

सोयाबीन की विभिन्न किस्में अलग-अलग जलवायु और मिट्टी के लिए उपयुक्त होती हैं। अपने क्षेत्र की जलवायु और फसल चक्र के आधार पर किस्मों का चयन करें:

  • शीघ्र पकने वाली किस्में: यदि आप सोयाबीन के बाद आलू, प्याज, लहसुन या गेहूं जैसी फसलें लेते हैं, तो शीघ्र पकने वाली (90-100 दिन) और सीधी बढ़ने वाली किस्में चुनें। उदाहरण: JS 20-29, JS 20-34।
  • मध्यम और लंबी अवधि की किस्में: यदि आप साल में केवल दो फसलें लेते हैं, तो मध्यम (100-110 दिन) या लंबी अवधि (110-120 दिन) की फैलने वाली किस्में चुनें। उदाहरण: JS 95-60, NRC 37।
  • किस्मों की संख्या: स्थिर उत्पादन के लिए कम से कम 2-3 नोटिफाइड किस्मों का उपयोग करें। इससे जोखिम कम होता है और उपज में स्थिरता बनी रहती है।

3. बीज की गुणवत्ता और उपचार

बीज की गुणवत्ता सोयाबीन की फसल की सफलता की नींव है। निम्नलिखित उपाय अपनाएं:

  • अंकुरण परीक्षण: बोवनी से पहले बीज का अंकुरण परीक्षण करें। कम से कम 70% अंकुरण वाला बीज ही उपयोग करें।
  • बीज उपचार: बीज को रोगों और कीटों से बचाने के लिए उपचार करें। अनुशंसित रसायनों में शामिल हैं:
    • फफूंदनाशक: एज़ोक्सीस्ट्रोबिन 2.5% + थायोफिनेट मिथाइल 11.25% + थायमेथोक्सम 25% FS (10 मि.ली./किग्रा बीज)। यह चारकोल रॉट, एन्थ्रेक्नोज, कॉलर रॉट जैसे रोगों से बचाता है।
    • वैकल्पिक फफूंदनाशक: पेनफ्लूफेन + ट्रायफ्लोक्सिस्ट्रोबीन (0.8-1 मि.ली./किग्रा बीज) या कार्बोक्सिन 37.5% + थाइरम 37.5% (3 ग्राम/किग्रा बीज)।
    • कीटनाशक: थायमेथोक्सम 30 FS (10 मि.ली./किग्रा बीज) या इमिडाक्लोप्रिड (1.25 मि.ली./किग्रा बीज)।
  • जैविक उपचार: बीज को ब्रैडीराइजोबियम और PSB (फॉस्फेट सॉल्यूबिलाइजिंग बैक्टीरिया) कल्चर से 5 ग्राम/किग्रा बीज की दर से उपचार करें। इसके साथ ट्राइकोडर्मा (10 ग्राम/किग्रा बीज) का उपयोग भी किया जा सकता है। उपचार का क्रम: फफूंदनाशक → कीटनाशक → जैविक कल्चर।

4. बोवनी की विधि और बीज दर

सोयाबीन की बोवनी के लिए वैज्ञानिक विधियों का उपयोग करें ताकि पौधों की संख्या और वृद्धि समान हो:

किस्म का प्रकारकतारों की दूरीपौधों की दूरीबीज दरबोवनी की गहराईबोवनी का तरीकाउर्वरक (NPKS)
जल्दी पकने वाली/सीधी बढ़ने वाली30 सेमी5-7 सेमी80-90 किग्रा/हेक्टेयर2-3 सेमीBBF/रिज-फरो/रेज्ड बेड/सीड ड्रिल25:60:40:20 किग्रा/हेक्टेयर
मध्यम अवधि/फैलने वाली30 सेमी5-7 सेमी80-90 किग्रा/हेक्टेयर2-3 सेमीBBF/रिज-फरो/रेज्ड बेड/सीड ड्रिल25:60:40:20 किग्रा/हेक्टेयर

बोवनी के लिए उपयुक्त यंत्रों जैसे सीड ड्रिल या BBF यंत्र का उपयोग करें।

5. पोषक तत्व प्रबंधन

सोयाबीन की फसल को स्वस्थ और उत्पादक बनाए रखने के लिए उर्वरकों का संतुलित उपयोग करें:

मध्य क्षेत्र के लिए 25:60:40:20 किग्रा/हेक्टेयर (N:P:K:S) की सिफारिश की जाती है।

  • यूरिया (56 किग्रा) + सिंगल सुपर फॉस्फेट (375-400 किग्रा) + म्यूरेट ऑफ पोटाश (67 किग्रा), या
  • डीएपी (125 किग्रा) + म्यूरेट ऑफ पोटाश (67 किग्रा) + बेन्टोनाइट सल्फर (25 किग्रा/हेक्टेयर), या
  • मिश्रित उर्वरक 12:32:16 (200 किग्रा) + बेन्टोनाइट सल्फर (25 किग्रा/हेक्टेयर)।
  • जरूरत पड़ने पर जिंक सल्फेट (25 किग्रा) + आयरन सल्फेट (50 किग्रा) डालें।

6. खरपतवार नियंत्रण

खरपतवार सोयाबीन की उपज को 30-50% तक कम कर सकते हैं। इसलिए, खरपतवार नियंत्रण के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाएं:

  1. बोवनी से पहले (PPI):
    • डायक्लोसुलम 0.9% + पेंडीमिथालीन 35% SE (2.51 लीटर/हेक्टेयर)।
    • फ्लूक्लोरलिन 45% EC (2.22-3.33 लीटर/हेक्टेयर)।
  2. बोवनी के तुरंत बाद (PE):
    • डायक्लोसुलम 84% WDG (26 ग्राम/हेक्टेयर)।
    • सल्फेन्ट्राजोन 39.6% SC (0.75 लीटर/हेक्टेयर)।
    • पेंडीमिथालीन 30% EC (2.50-3.30 लीटर/हेक्टेयर)।
  3. पानी की मात्रा: खरपतवारनाशकों के छिड़काव के लिए 450-500 लीटर पानी (नेपसैक स्प्रेयर) या 120 लीटर पानी (पावर स्प्रेयर) प्रति हेक्टेयर उपयोग करें।

7. रोग और कीट नियंत्रण

सोयाबीन की फसल को विभिन्न रोगों और कीटों से बचाने के लिए समय पर उपाय करें:

  • रोग नियंत्रण:
    • बीज उपचार (जैसा कि ऊपर बताया गया) से चारकोल रॉट, एन्थ्रेक्नोज, कॉलर रॉट, और पर्पल सीड स्ट्रेन जैसे रोगों से बचाव होता है।
    • फ्लुक्सापायरोक्साड 333 g/l SC (1 मि.ली./किग्रा बीज) का उपयोग भी प्रभावी है।
  • कीट नियंत्रण:
    • थायमेथोक्सम 30 FS या इमिडाक्लोप्रिड से बीज उपचार शुरुआती कीटों से बचाव करता है।
    • फसल की निगरानी करें और आवश्यकता पड़ने पर अनुशंसित कीटनाशकों का उपयोग करें।

8. क्षेत्र-विशिष्ट सलाह

विभिन्न क्षेत्रों के लिए बोवनी का समय, बीज दर, और उर्वरक मात्रा में अंतर होता है:

क्षेत्रउचित बुआई का समयबीज दर (कि.ग्रा/.हे)कतारों की दूरी (सेमी.)
मध्यजून 20-5 जुलाई6545
उत्तर पूर्वी पहाड़ी15-30 जून5545
उत्तर मैदानीजून 20- 5 जुलाई6545
पूर्वी15- 30 जून5545
दक्षिण15- 30 जून6530

9. विपरीत परिस्थितियों में फसल प्रबंधन

पिछले कुछ वर्षों में सूखा, अतिवृष्टि, या असामयिक बारिश जैसी घटनाएं बढ़ी हैं। इनका सामना करने के लिए:

  • BBF या रिज-फरो पद्धति: ये विधियां जल निकासी और नमी संरक्षण में मदद करती हैं।
  • जल प्रबंधन: खेत में जल निकासी की उचित व्यवस्था करें ताकि अतिवृष्टि में पानी न रुके।
  • फसल बीमा: प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान से बचने के लिए फसल बीमा करवाएं।

सोयाबीन की खेती में वैज्ञानिक और आधुनिक तकनीकों का उपयोग करके किसान न केवल अपनी उपज बढ़ा सकते हैं, बल्कि प्राकृतिक जोखिमों से भी फसल को सुरक्षित रख सकते हैं। सही समय पर बोवनी, उचित किस्मों का चयन, बीज उपचार, और पोषक तत्वों का संतुलित प्रबंधन सफल सोयाबीन खेती की कुंजी है। ICAR की सलाह का पालन कर और स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार बदलाव कर, किसान स्थिर और लाभकारी उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।

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