उन्नत नस्ल, उत्तम आहार एवं रखरखाव से पशुपालन आय का एक अतिरिक्त साधन
24 जून 2021, टीकमगढ़ । उन्नत नस्ल, उत्तम आहार एवं रखरखाव से पशुपालन आय का एक अतिरिक्त साधन – कृषि विज्ञान केन्द्र, टीकमगढ़, पशुपालन एवं डेयरी प्रबंधन विभाग एवं परियोजना संचालक आत्मा, किसान कल्याण एवं कृषि विकास विभाग टीकमगढ़ के संयुक्तवाधान में 1 जून 2021 को विश्व दुग्ध दिवस पर वर्चुअल प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम मुख्य अतिथि डॉ. डी. पी. शर्मा, संचालक विस्तार सेवायें, जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय, जबलपुर के सानिध्य में आयोजित किया गया। उन्होंने पशुपालकों को व्यावसायिक दृष्टिकोण अपनाते हुये पशुपालन का कार्य करने की सलाह दी। जिससे पशुपालन आय का एक अतिरिक्त साधन विकसित होगा, साथ ही कृषि उत्पादन में भी अच्छी वृद्धि होगी।
विश्व दुग्ध दिवस पर डॉ. बी. एस. किरार, वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख, टीकमगढ़ एवं डॉ. पी.एन. त्रिपाठी, वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख, पन्ना द्वारा अपने व्याख्यान अंतर्गत एक प्रगतिशील पशुपालक को तीन वैज्ञानिक मूल मंत्रों गुड ब्रीडिंग, गुड फिडिंग एवं गुड़ मेनेजमेन्ट अर्थात् उन्नत नस्ल का चुनाव, उत्तम पोषण आहार एवं अच्छा रखरखाव/प्रबंधन पर विशेष ध्यान देने की सलाह दी गई साथ ही स्थानीय पशुओं की नस्ल में भारतीय अधिक दूध देने वाली नस्लों साहीवाल, गिर थारपारकर, हरियाणा एवं बंगोल के सांड या कृत्रिम गर्भधान कराकर नस्ल सुधार के कार्य को प्राथमिकता दी जावे साथ ही साल भर हरा चारा का उत्पादन करे।
डॉ. एस.के. खरे, वैज्ञानिक (पशुपालन) द्वारा पशुओं में पोषक तत्वों कैल्शियम, फास्फोरस की कमी से होने वाली बीमारियों के लक्षणों, पशुओं में होने वाली प्रमुख बीमारियों एवं उनके प्रबंधन पर तकनीकी जानकारी प्रदान की गई।
डॉ. दीनेश कुमार, सहायक प्राध्यापक द्वारा बताया कि विश्व में भारत दुग्धोत्पादन में 196 मिलियन टन वार्षिक उत्पादन के साथ प्रथम स्थान पर है और मध्यप्रदेश दुग्धोत्पादन के क्षेत्र 4थे स्थान पर है। पशुओं के लिये साल भर हरे चारे की फसलें उगाये जिससे बाजार के आहार पर निर्भरता कम हो जायेगी। कार्यक्रम में उपसंचालक पशुचिकित्सक डॉ. सी. के. त्रिपाठी द्वारा शासन की पशुपालकों के लिये संचालित योजनाओं के बारे में विस्तार से बताया साथ ही किसानों को योजनाओं के सम्बन्ध में समस्याओं का भी समाधान किया गया।