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न समर्थन मूल्य न भण्डारण व्यवस्था

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देश में किसानों के असंतोष के बीच भारत सरकार ने पिछले दिनों लोकसभा में यह आश्वासन दिया कि किसानों के उत्पाद की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य पर केन्द्रीय, राज्य सरकारों तथा सहकारिता समितियों के माध्यम से की जायेगी। केन्द्र सरकार समय-समय पर राज्य सरकारों को इसकी समुचित व्यवस्था करने के लिए कहती रहती है, परन्तु फसल आने पर राज्य सरकारें तथा सहकारी समितियां किसान की फसल न्यूनतम समर्थन मूल्य में लेने के लिए किसान को निराश ही करती है। जिसका खामियाजा किसान को ही भुगतना पड़ता है। न्यूनतम समर्थन मूल्य में अनाज को न खरीदने का एक प्रमुख कारण फसल की गुणवत्ता को बताया जाता है। इसके लिए कोई प्रमाणित मापदंड नहीं है यदि है भी तो उसका किसानों तक प्रचार-प्रसार नहीं किया जाता है। मापदंडों में पारदर्शिता आवश्यक है। मापदण्ड ऐसे होने चाहिए ताकि किसान अपनी उपज का मूल्यांकन खुद कर सके।
राज्य सरकारों को उनके प्रदेश में होने वाली फसलों के उत्पादन के सही आकलन की व्यवस्था होनी चाहिए जिससे वह फसल आने के पूर्व खरीदे गये अनाज भण्डारण की समुचित व्यवस्था कर सके। वर्तमान में जब देश के उत्पादन का मात्र 6 प्रतिशत अनाज ही न्यूनतम समर्थन मूल्य में खरीदा जाता है, जबकि पंजाब के 95 प्रतिशत किसानों को गेहूं का समर्थन मूल्य मिलता है। समुचित भण्डारण की व्यवस्था न होने के कारण देश के अन्नदाताओं द्वारा मेहनत से उगाये गये अनाज की बरबादी हो जाती है। यदि राज्य सरकारों को केन्द्र सरकार की अनुशंसा के आधार पर मात्र 25 प्रतिशत फसल की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य पर करनी पड़े तो भण्डारण की स्थिति क्या होगी इसकी कल्पना ही की जा सकती है। राज्य सरकारों को अनाज भण्डारण के लिए समुचित व्यवस्था करने की आवश्यकता है। भारत सरकार ने राष्ट्रीय कृषि बाजार के माध्यम से देश में इलेक्ट्रॉनिक व्यापार मंच बनाने के प्रयास किये हैं जिसमें देश की 585 कृषि मंडियों को जोड़ा है ताकि किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य मिल सके। इसमें मध्य प्रदेश की 58, राजस्थान की 25 तथा छत्तीसगढ़ की 14 मंडियां सम्मिलित हैं। इस कार्य के लिए भारत सरकार ने प्रत्येक मंडी के लिए 30 लाख रुपये प्रदाय किये हैं। इस व्यवस्था से किसानों को कितना लाभ होगा यह समय बतायेगा। यहां भी मंडियों द्वारा खरीदे गये अतिरिक्त अनाज की भण्डारण व्यवस्था के लिए पहले से ही प्रयास करने होंगे, अन्यथा अनाज की बरबादी देश व प्रदेश के दुर्भाग्य का कारण बनेगी।

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