सरकार की ₹15,095 करोड़ की खरीद योजना से तेलंगाना, ओडिशा, महाराष्ट्र और एमपी के किसानों को फायदा
28 अक्टूबर 2025, नई दिल्ली: सरकार की ₹15,095 करोड़ की खरीद योजना से तेलंगाना, ओडिशा, महाराष्ट्र और एमपी के किसानों को फायदा – कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने तेलंगाना, ओडिशा, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के किसानों के लिए खरीफ 2025–26 सीजन में दालों और तिलहनों की सरकारी खरीद योजना को मंजूरी दी है। इस योजना के तहत कुल ₹15,095.83 करोड़ की राशि स्वीकृत की गई है, जिससे लाखों किसानों को सीधा लाभ मिलेगा।
यह फैसला न केवल किसानों को बेहतर दाम और आय सुरक्षा प्रदान करेगा, बल्कि यह सवाल भी उठाता है कि क्या यह कदम किसानों को आने वाले सीजनों में दालों और तिलहनों की खेती की ओर प्रेरित करेगा?
अगर ऐसा होता है, तो यह भारत सरकार के 2030 तक दालों में आत्मनिर्भर बनने के लक्ष्य की दिशा में एक मजबूत कदम साबित हो सकता है।
पीएम-आशा योजना के तहत दालों और तिलहनों की रिकॉर्ड खरी

कृषि मंत्री ने यह स्वीकृति प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षा अभियान (PM-AASHA) और कृषि मंत्रालय की अन्य योजनाओं के तहत दी। बैठक में राज्यों के कृषि मंत्रियों और वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।
तेलंगाना में 4,430 मीट्रिक टन मूंग (हरी दाल) — जो राज्य की कुल उत्पादन का 25% है — की खरीद मूल्य समर्थन योजना (PSS) के तहत ₹38.44 करोड़ की लागत से की जाएगी। इसके अलावा उड़द की 100% खरीद और सोयाबीन की 25% खरीद को भी मंजूरी दी गई है।
ओडिशा में 18,470 मीट्रिक टन अरहर (तुअर दाल) — जो राज्य के कुल उत्पादन का 100% है — की खरीद ₹147.76 करोड़ के बजट से की जाएगी।
महाराष्ट्र में 33,000 मीट्रिक टन मूंग, 3,25,680 मीट्रिक टन उड़द, और 18,50,700 मीट्रिक टन सोयाबीन की खरीद क्रमशः ₹289.34 करोड़, ₹2,540.30 करोड़, और ₹9,860.53 करोड़ की लागत से स्वीकृत की गई है।
मध्य प्रदेश में 22,21,632 मीट्रिक टन सोयाबीन की खरीद मूल्य अंतर भुगतान योजना (PDPS) के तहत की जाएगी, जिसके लिए ₹1,775.53 करोड़ का प्रावधान किया गया है।
क्या यह कदम फसल विविधीकरण की दिशा में नई शुरुआत बनेगा?
सरकार का मानना है कि यह निर्णय किसानों को उनकी फसलों के लिए बेहतर मूल्य सुनिश्चित करेगा और बाजार में मूल्य उतार-चढ़ाव से सुरक्षा देगा। लेकिन कृषि क्षेत्र में बड़ा सवाल यह है — क्या यह स्थिर खरीद व्यवस्था किसानों को धान और कपास जैसी पारंपरिक फसलों से हटकर दालों और तिलहनों की ओर लाएगी?
यदि यह खरीद योजना समय पर और पारदर्शी तरीके से लागू होती है, तो विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले खरीफ सीजन में किसानों की बोवनी का रुझान दालों और तिलहनों की ओर बढ़ सकता है, जिससे देश में दाल उत्पादन बढ़ेगा और 2030 तक आत्मनिर्भरता का लक्ष्य हासिल करना आसान होगा।
शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि “सरकार का उद्देश्य किसानों को उनके उत्पाद का उचित मूल्य दिलाना और उनकी आय में स्थिरता लाना है। यह कदम आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को सशक्त करेगा।”
एनएएफईडी और एनसीसीएफ के माध्यम से 100% दाल खरीद की व्यवस्था
कृषि मंत्री ने बताया कि सरकार ने तुअर, उड़द और मसूर जैसी प्रमुख दालों की 100% खरीद की व्यवस्था एनएएफईडी (NAFED) और एनसीसीएफ (NCCF) के माध्यम से की है।
उन्होंने यह भी निर्देश दिए कि खरीद का लाभ सीधे किसानों के खाते में पहुंचे और इसकी कड़ी निगरानी सुनिश्चित की जाए।
कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि यदि यह पहल सफल रहती है, तो भारत की दालों और तिलहनों पर आयात निर्भरता घटेगी, फसल विविधीकरण को बढ़ावा मिलेगा और जलवायु परिवर्तन व बाजार जोखिमों के प्रति कृषि अधिक मजबूत बन सकेगी।
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