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किसानों को आमदनी दुगनी हो तभी, जब मौसम की भविष्यवाणी हो सही

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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का सपना है कि किसानों की आय को सन् 2022 तक दुगना करना है तथा किसानों को विकास की मुख्य धारा में उनके योगदान को समझाता है। इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिये केन्द्रीय व राज्य सरकारों के विभिन्न क्षेत्रों में संयुक्त रूप से प्रयास करने होंगे, इसके लिये किसानी से जुड़ी अन्य गतिविधियों जैसे पशुपालन मुर्गीपालन, बकरी पालन, मधु मक्खी पालन के साथ इमारती लकड़ी के पौधे लगाना, कृषकों की आय को बढ़ाने में अपना सहयोग दे सकती हैं। परंतु जब तक किसानों को दी ली जाने वाली मौसम संबंधी जानकारियों/ भविष्यवाणियां सटीक नहीं होंगी तब तक किसानों की आमदनी दुगना करना संभव नहीं हो पायेगा।
खरीफ फसलों का उत्पादन वर्षा पर निर्भर करता है और उसकी उत्पादन व उत्पादकता समय पर बुआई पर निर्भर करती है। वर्षा की भविष्यवाणी के लिये किसान सरकारी घोषणाओं पर विश्वास कर खरीफ फसलों की बुआई की तैयारी करता है। भविष्यवाणी के अनुरूप वर्षा न होने पर उसकी बुआई की प्रक्रिया प्रभावित होती है जिसके कारण उसका उत्पादन भी प्रभावित होता है। सरकार का एक लक्ष्य यह होना चाहिए कि हम वर्ष 2022 तक किसानों को मौसम व वर्षा की सही-सही जानकारी देंगे। ताकि मौसम की गलत जानकारी देने से किसान को हानि न हो।
प्रधानमंत्री की किसान की आमदनी सन् 2022 तक दुगनी करने के लिये दो प्रमुख योजनाएं हैं। प्रथम मृदा स्वास्थ्य कार्ड (स्वाइल हेल्थ कार्ड) तथा राष्ट्रीय कृषि बाजार (नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट (ई-नेम्स) मृदा स्वास्थ कार्ड योजना फरवरी 2015 में आरंभ की गयी थी जिसका पहला द्विवर्षीय चक्र जुलाई 2017 में सम्पन्न होने जा रहा है। इस योजना के अंर्तगत 12 करोड़ किसानों की मिट्टी की जांच हर दो वर्ष में होनी है। राज्य सरकारों द्वारा दी गयी जानकारी के अनुसार मृदा के शत- प्रतिशत 253 लाख नमूने इन दो वर्षों में लिए गये हैं। जिनमें से 244 लाख का परीक्षण कर लिया गया है। और 9 लाख मृदा स्वास्थ्य कार्ड किसानों को वितरित कर दिये हैं। प्रश्न यह उठता है कि इन 9 लाख मृदा स्वास्थ्य कार्ड के आधार पर कितने किसान उसके आधार पर उर्वरकों का उपयोग कर रहे हैं। देश के कई भागों में किसानों ने अभी भी फास्फोरस युक्त खादों का उपयोग खड़ी फसल में नहीं छोड़ा है। जब तक किसानों का उर्वरकों के सही उपयोग की जानकारी का अभियान नहीं चलाया जाता तब तक किसान मृदा स्वास्थ्य कार्ड के आधार पर उर्वरकों का प्रयोग न कर अपनी मनमानी के आधार पर ही इनका उपयोग करता रहेगा।
राष्ट्रीय कृषि बाजार के प्रति भी किसानों को जागरूक करना होगा जिससे किसानों की मेहनत का फल किसानों को ही मिले। किसान की मजबूरियों का फायदा बिचौलिये तथा व्यापारी न उठा पायें। इस पर सरकारों को नियंत्रण रखना होगा अन्यथा किसानों की आत्महत्याओं का दौर कभी रुक न पायेगा।

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