Uncategorized

पशु आहार के रूप में एजोला

एजोला की पोषण क्षमता
शुष्क वजन के आधार पर, उसमें 25-35 प्रतिशत प्रोटीन, 10-15 प्रतिशत खनिज एवं 7-10 प्रतिशत अमीनो एसिड, बायो-एक्टिव पदार्थ तथा बायो-पॉलीमर होते हैं। इसके उच्च प्रोटीन एवं निम्न लिग्निन तत्वों के कारण मवेशी इसे आसानी से पचा लेते हैं। एजोला सान्द्र के साथ मिश्रित किया जा सकता है या सीधे मवेशी को दिया जा सकता है। कुक्कुट, भेड़, बकरियों, सूअर तथा खरगोश को भी दिया जा सकता है।

छोटे और सीमांत किसान खेती के काम के अलावा सामान्यत: 2-3 भैंस पाल सकते हैं। पशुपालन के पारंपरिक तरीकों से किसान चारे की आवश्यकताओं की पूर्ति फसली चारे से की जाती है और बहुत कम किसान हैं, जो चारा और खली/पशु आहार का खर्च वहन कर सकते हैं। बहुत ही कम मामलों में, पशुओं के लिए खेती से घास एकत्र की जाती है या बैकयार्ड में हरा चारा उगाया जाता है। सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध होने पर भी हरे चारे की आपूर्ति 5 से 6 महीने के लिए हो पाती है। यदि छोटे किसान एजोला चारा उगाते हैं, तो वर्ष के शेष भाग के लिए चारे की आवश्यकताओं को पूरा किया जा सकता हैं। प्रति पशु 2-2.5 किलो एजोला नियमित रूप से दिया जा सकता है

 एजोला का उत्पादन

  • पहले क्षेत्र की ज़मीन की खरपतवार को निकाल कर समतल किया जाता है।
  • ईटों को क्षैतिजिय, आयताकार तरीके से पंक्तिबद्ध किया जाता है।
  • 2 X 2 मीटर आकार की एक यूवी स्थायीकृत सिल्पोलिन शीट को ईटों पर एक समान तरीके से इस तरह से फैलाया जाता है कि ईटों द्वारा बनाये गये आयताकार रचना के किनारे ढंक जाएं।
  • सिल्पोलिन के गड्ढे पर 10-15 किलो छनी मिट्टी फैला दी जाती है।
  • 10 लीटर पानी में मिश्रित 2 किलो गोबर एवं 30 ग्राम सुपर फॉस्फेट से बना घोल, शीट पर डाला जाता है। जलस्तर को लगभग 10 सेमी तक करने के लिए और पानी मिलाया जाता है।
  • एजोला क्यारी में मिट्टी तथा पानी के हल्के से हिलाने के बाद लगभग 0.5 से 1 किलो शुद्ध मातृ एजोला कल्चर बीज़ पानी पर एक समान फैला दी जाती है। संचारण के तुरंत बाद एजोला के पौधों को सीधा करने के लिए एजोला पर ताज़ा पानी छिड़का जाना चाहिए।

Advertisement
Advertisement
  • एजोला में खनिज की मात्रा बढ़ाने के लिए एक-एक हफ्ते के अंतराल पर मैग्नेशियम, आयरन, कॉपर, सल्फर आदि से युक्त एक सूक्ष्म पोषक भी मिलाया जा सकता है।
  • नाइट्रोजन की मात्रा बढऩे तथा सूक्ष्म पोषक की कमी को रोकने के लिए, 30 दिनों में एक बार लगभग 5 किलो क्यारी की मिट्टी को नई मिट्टी से बदलनी चाहिए।
  • क्यारी में नाइट्रोजन की मात्रा बढऩे से रोकने के लिए, प्रति 10 दिनो में एक बार, 25 से 30 प्रतिशत पानी भी ताज़े पानी से बदला जाना आवश्यक होता है।
  • प्रति छह महीनों में क्यारी को साफ किया जाना चाहिए, पानी तथा मिट्टी को बदला जाना चाहिए एवं नए एजोला का संचारण किया जाना चाहिए।
  • कीटों तथा बीमारियों से संक्रमित होने पर एजोला के शुद्ध कल्चर से एक नयी क्यारी तैयार तथा संचारण किया जाना चाहिए।

बढ़ोत्तरी के लिए पर्यावरणीय कारक

  • तापमान 200C – 280C
  • प्रकाश, सूर्य के तेज़ प्रकाश का 50 प्रतिशत
  • सापेक्षिक आर्द्रता 65-80 प्रतिशत
  • पानी (टैंक में स्थिर) 5 – 12 सेमी
  • पी.एच मान 4-7.5

एजोला के खेती के दौरान नोट की जाने वाले बिन्दु

Advertisement8
Advertisement
  • इसे एक जाली में धोना उपयोगी होगा क्योंकि इससे छोटे-छोटे पौधे बाहर निकल पाएंगे जो वापस तालाब में डाले जा सकते हैं।
  • तापमान 25शष्ट से नीचे बनाए रखने का ध्यान रखना चाहिए।
  • प्रकाश की तीव्रता कम करने के लिए छांव करने की जाली को उपयोग किया जा सकती है।
  • एजोला बायोमास अत्यधिक मात्रा में एकत्र होने से बचाने के लिए उसे प्रतिदिन हटाया जाना चाहिए।

 

Advertisement8
Advertisement
  • डॉ प्रणय भारती
  • निधि वर्मा
    email : drvwpranay@gmail.com
Advertisements
Advertisement5
Advertisement