रिलायंस फाउण्डेशन की किसानों को सलाह
- मूंंग, उडद में माहू, हरा मच्छर, जैसिड एवं सफेद मक्खी आदि के प्रकोप की संभावना है दिखाई देने पर नियंत्रण के लिए डाइमिथिएट 750 मिली दवा 500 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हेक्टर के हिसाब से छिड़काव करें।
- ग्रीष्मकालीन फसलों में तापमान की अधिकता के कारण वाष्पीकरण की दर में वृद्धि होती है अत: मक्का, मूंग, उर्द और मूंगफली की फसलों में सिंचाई के अंतराल को कम कर दें जिससे फसल की सामान्य वृद्धि हो सके।
- मूंग एवं अन्य फसलों में थ्रिप्स कीट का प्रकोप होने से फसलों की पत्तियां सिकुड़ी हुई दिखाई देती हैं इसके नियंत्रण हेतु इमिडाक्लोप्रिड 1 मिली प्रति 3 ली. पानी में घोल बनाकर 200 ली. प्रति एकड़ की दर से शाम के समय छिड़कें।
उद्यानिकी
- ग्रीष्मकालीन खीरा, तरबूज, खरबूज और ककड़ी फसलों में सिंचाई कार्य समय पर करें एवं तापमान में वृद्धि होने पर कीट का प्रकोप हो सकता है अत: फसलों में निरीक्षण करते रहें।
- सब्जीवर्गीय फसलों में थ्रिप्स कीट के प्रकोप होने से फसलों की पत्तियां सिकुड़ी हुई दिखाई देती हैं इसके नियंत्रण हेतु इमिडाक्लोप्रिड 1 मिली प्रति 3 लीटर पानी में घोल बनाकर 200 लीटर प्रति एकड़ की दर से शाम के समय छिड़कें।
- आम के पेड़ के तने में मिलीबग के नियंत्रण हेतु ग्रीस की पट्टियां लगायें व 250 ग्राम प्रति पेड़ फॉलीडाल चूर्ण का जमीन में भुरकाव करें। अमरुद के फूलों को सिंचाई रोककर झड़ा दें तथा बेर में हल्की कटाई – छंटाई करें ।
पशुपालन
- मुर्गियों को गर्मी से बचाव हेतु मुर्गीघरों के चारों ओर लगी जालियों में पुराने बारदानें लगायें और उसे समय-समय पर पानी से गीला करते रहें एवं ग्रीष्मकाल में पशु को प्रतिदिन 50-60 ग्राम नमक अवश्य खिलाएं ।
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