रिलायंस फाउण्डेशन की किसानों को सलाह
- रबी फ़सलों जैसे गेहूँ, चना, जौ आदि को दीमक अधिक नुकसान पहुँचाती है। हल्की जमीनों में कम नमी और अधिक तापमान की दशा में प्रकोप अधिक तेजी से होता है। इसके नियंत्रण के लिए क्लोरोपायरीफॉस 1 लीटर को 20 किलो रेत में मिलाकर प्रति एकड़ के हिसाब से खेत में भुरकाव करेंं।
- गेहूं में अनावृत कंडुआ रोग से ग्रसित बालियां स्वस्थ बालियों की तुलना में पहले निकल आती हंै और इस रोग से ग्रसित बालियां काले रंग की होती हंै। इसमें काले रंग की धूल भरी होती है इस समस्या से निपटने के लिए ऐसी बाली को निकाल कर प्लास्टिक की थैलियों में डालें और गड्ढा खोद कर दबा दें व आधा किलो मैन्कोजेब 250 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति एकड़ छिड़काव करें।
- मक्का की हरे चारे के लिए गंगा 2, विजय और अफ्रीकन टाल प्रजातियों में से किसी एक का चुनाव करें। दाने के लिए 4212, पूसा अगेती संकर मक्का 2, गंगा 11 प्रजातियों में से किसी एक चुनाव करें।
उद्यानिकी
- करेले की उन्नत किस्मों में मुख्य रूप से अभिषेक, अनुपम, अर्का हरित, इंडम ग्रीन लांग, इंडम सफेद लांग, कल्याणपुर बारहमासी, प्रिया, पूसा-2 मौसमी, पूसा विशेष, शक्ति, सुभद्रा आदि साधारण किस्में हैं। वहीं करेले की संकर किस्मों में काशी, उर्वशी, एनएस-1018,1020,1024, 434, 461 मुख्य हैं। इसके अलावा अमरतारा, कोहिनूर, इंडम-1124 को भी लगाकर अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।
पशुपालन
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- एक स्वस्थ वयस्क पशु एक दिन में लगभग 75 से 80 लीटर तक पानी पीता है। चूंकि दुग्ध मे 85 प्रतिशत जल होता है अत: एक लीटर दूध देने के लिये ढाई लीटर अतिरिक्त पानी की अवश्यकता होती है।
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- या आप नीचे के QR Code को स्कैन कर, सीधे Information Services MP चैनल का चयन कर सकते हैं।
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| टोल फ्री नं.18004198800 पर संपर्क करें सुबह 9.30 से शाम 7.30 बजे तक |
किसानों को सोयाबीन में खरपतवार प्रबंधन की सलाह दी
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