Uncategorized

स्वस्थ मिट्टी परीक्षण हेतु मिट्टी परीक्षण आवश्यक मिट्टी परीक्षण

Share

मिट्टी परीक्षण एक रसायनिक प्रक्रिया है जिसमें मृदा के लिये आवश्यक पोषक तत्वों की पूर्ति का निर्धारण किया जाता है, इस विधि से फसल बोने से पूर्व ही पोषक तत्वों की आवश्यक मात्रा ज्ञात हो जाती है। ताकि आवश्यक उर्वरकों की पूर्ति समयानुसार की जा सके।
मिट्टी परीक्षण के उद्देश्य:
– मिट्टी में पोषक तत्वों की सही मात्रा ज्ञात करना तथा उसके आधार पर संतुलित उर्वरकों का उपयोग करना।
– मिट्टी की विशिष्ठ दशाओं का निर्धारण करना जिससे मिट्टी को कृषि विधियों और मिट्टी सुधारक पदार्थों क सहायता से सुधारा जा सके।
मिट्टी की जाँच क्यों?
पौधों की वृद्धि एवं जीवन चक्र पूरा करने के लिये 17 पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है जिनमें आक्सीजन, कार्बन एवं हाईड्रोजन की पूर्ति वायु तथा जल से होती है। शेष 14 तत्वों की आपूर्ति मिट्टी से होती है। मिट्टी में सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी होने से फसलों के उत्पादन एवं गुणवत्ता में काफी गिरावट आती है। मिट्टी परीक्षण द्वारा न केवल उर्वरक एवं खादों की सही मात्रा की आवश्यकता ज्ञात की जा सकती है। बल्कि सही उर्वरक के चुनाव, सही प्रयोग विधि व सही समय आदि अन्य पहलुओं का भी पता चलता है ताकि प्रति इकाई पोषक तत्व की मात्रा से अधिकतम लाभ प्राप्त किया जा सके।
मिट्टी की जांच कब करायें
मिट्टी की जांच कराने के लिये सर्वोत्तम समय गेहूं की कटाई के उपरांत मई एवं जून का महीना उपयुक्त होता है इसके अलावा वर्षा ऋतु के उपरांत अक्टूबर व नवम्बर माह में भी मिट्टी परीक्षण कराया जा सकता है।
खेत से मिट्टी नमूना एकत्र करना
मिट्टी परीक्षण हेतु मिट्टी का नमूना सही ढंग से लेना अति आवश्यक है। जिस खेत से नमूना लेना हो उस खेत पर 8-10 अलग-अलग स्थानों पर निशान लगाकर खुरपी या औगर की सहायता से 15 से.मी. की गहराई तक 1/2 कि.ग्रा. मिट्टी इकट्ठा कर लें।
खुरपी की सहायता से नमूना एकत्र करने के लिये खेत के विभिन्न स्थानों से भूमि की ऊपरी परत को साफ कर अंग्रेजी के ‘ङ्कÓ शब्द के आकार का 6 इंच गहरा गड्ढा बनाया जाता है फिर गड्ढे के दोनों ओर की परतों को खुरपी की सहायता से मिट्टी को एकत्र कर लिया जाता है। पर ध्यान रहे फावड़े, खुरपी या किसी भी यंत्र में जंग नहीं लगा होना चाहिए। इस प्रकार एकत्र सभी नमूनों को एक साथ मिलाकर 400-500 ग्राम एक प्रतिनिधि नमूना तैयार किया जाता है। जिसे जांच हेतु प्रयोगशाला भेजा जाता है।
प्रतिनिधि नमूना तैयार करने हेतु एकत्र सभी नमूने को साफ तख्ते या प्लास्टिक की शीट पर फैलाकर चार बराबर भागों में बांट लेना चाहिए। एक भाग छोड़कर पुन: तीन भाग को आपस में मिलाकर चार भागों में बांट लें जब मिट्टी 400-500 ग्राम बच जाय तो एक साफ कपड़े की थैली में भरकर पहचान चिन्ह लगाकर प्रयोगशाला में जांच हेतु  भेज दें।

मिट्टी नमूने के साथ भेजी जाने वाली सूचनायें
– कृषक का नाम व पूरा पता
– नमूना एकत्र किये गये खेत का नाम/खसरा नं.
– नमूना लेने की गहराई
– बोई गई पिछली फसल का ब्यौरा
– भविष्य में बोई जाने वाली फसलों के नाम
– सिंचाई के साधन
– अन्य समस्या यदि कोई हो
– दिनांक
मिट्टी नमूना लेते समय ध्यान देने योग्य बातें:
– गीली मिट्टी से मिट्टी नमूना नहीं लेना चाहिए
– खेत में अधिक ऊंची व अधिक नीची जगह से नमूना
नहीं लेना चाहिए।
– खड़ी फसल से नमूना न लें
– फसल के बुवाई के लगभग एक से डेढ़ माह पूर्व ही मिट्टी नमूने परीक्षण हेतु प्रयोगशाला में भेज देना चाहिए।
सभी किसान भाईयों से अनुरोध है कि वे अपने खाली खेतों के मिट्टी के नमूने उपरोक्त बतायी गयी विधि से एकत्रित करके कृषि विज्ञान केंद्रों के माध्यम से मिट्टी की जांच अवश्य करायें ताकि मिट्टी स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए फसलों से भरपूर उत्पादन प्राप्त किये

Share
Advertisements

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *