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मिट्टी परीक्षण आज की जरूरत

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पौधों की वृद्धि एवं समुचित विकास के लिये 17 पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है जिनमें से किसी एक की कमी हो जाने से पौधों पर विपरीत असर होता है और उसके विकास के साथ-साथ उत्पादन में भी फर्क पडऩे लगता है। बढ़ती जनसंख्या, घटती जोत और कम क्षेत्र के अधिक अन्न उत्पादन की दौड़ में भूमि से पोषक तत्वों का दोहन कई गुना अधिक होने लगा, परिणामस्वरूप भूमि की दशा में उसके स्वास्थ्य पर विपरीत असर देखा जाने लगा। अधिक उत्पादन लेने के लिये रसायनिक उर्वरकों का असंतुलित तथा सिंचाई जल का अंधाधुंध उपयोग करने से परिस्थिति और बिगडऩे लगी। मिट्टी में प्राकृतिक रूप से पाये जाने वाले पोषक तत्व एक तरह के ‘फिक्स’ डिपाजिट है जितना निकाला जाये यदि उतना जमा नहीं किया जाये तो मूलधन कम होकर शून्य की स्थिति आ जायेगी। इसी प्रकार एक फसल लगाने के बाद यदि भूमि में उपलब्ध पोषक तत्वों का परीक्षण कराके देख लिया जाये कि उक्त तत्वों की कमी आ रही है और उसकी पूर्ति यदि आने वाले साल में कर दी जाये तो निश्चित रूप से भूमि में पोषक तत्वों का संतुलन बना रहेगा और उत्पादन पर विपरीत असर भी नहीं हो पायेगा। इसी प्रकार यदि भूमि में जल की आवश्यकता को भांप कर सिंचाई की जाये तो भूमि के लिये वह जल पौधों को देने के लिये पर्याप्त रहेगा। मिट्टी परीक्षण कराने की आवश्यकता हमारे लिये पर्याप्त खाद्यान्न की जरूरत से सीधी जुड़ी हुई है। परीक्षण समय आ गया है प्रत्येक कृषक की यह जिम्मेदारी है कि फसल कटाई के बाद खेत बनाने के पहले मिट्टी परीक्षण करा लिया जाये। शासन द्वारा इस दिशा में गंभीरता से प्रयास चलाये जा रहे हंै। प्राय: हर जिले में मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला कार्यरत है। साधन उपलब्ध साध्य को वहां पहुंचना है जिस प्रकार घर में बीमार सदस्य को बीमारी के इलाज के लिये नजदीक के अस्पताल में लेकर जाना एक आम बात है ताकि उसे रोग से मुक्ति मिल सके, इसी प्रकार हमारी मिट्टी भी एक सजीव तत्व है उसके भी प्राण हैं वह भी सांस लेती है, दैनिक क्रिया करती है, फिर एक वर्ष के फसल चक्र का क्या प्रभाव मिट्टी पर पड़ा उसमें से कौन-कौन से तत्वों का अधिक क्षरण/शोषण किया गया, इस बात का परीक्षण यदि हो जाये तो इसमें कोई कारण नहीं की परीक्षण के परिणामों को आधार मानकर आने वाले सीजन में संतुलित उर्वरक उपयोग किया जाकर टिकाऊ उत्पादन लेने के लिये एक सशक्त कदम उठाया जाये। वर्तमान में तो केंद्र तथा प्रदेश सरकार ने प्रत्येक कृषक के लिये स्वाईल हेल्थ कार्ड मिट्टी के स्वास्थ्य की स्थायी जांच तथा उसका रिकॉर्ड कृषक के पास रहे इसकी महत्वाकांक्षा योजना शुरू की है जिसका जितना लाभ कृषक उठायेंगे उतना ही प्रगति उत्पादन की दिशा में मिलेगी। कृषकों को चाहिये कि यह सही समय है रबी की फसलों को कटाई-गहाई, भंडारण के उपरांत सबसे पहले अपने खेत की भूमि के स्वास्थ्य का परीक्षण करा लें ताकि खरीफ फसल बुआई के पहले उनको कितना उर्वरक डालना है और कौनसा उर्वरक डालना है कि जानकारी हाथ में रहे। उल्लेखनीय है कि रबी के मौसम के उपयोग किया गया फास्फोरस भूमि में दवा/छिपा पड़ा है उसके दोहन के लिये भी उचित कदम जरूरी है। स्वाई हेल्थ कार्ड जो शासन की महत्वपूर्ण योजना है उसमें भरपूर सहयोग देकर मिट्टी अपनी ‘मां’ के स्वास्थ्य की परख कराके इलाज करायें।

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