सोयाबीन फसल पर पीला मोजेक व तना मक्खी का प्रकोप, कृषि विभाग ने जारी की सावधानियां
16 सितम्बर 2025, भोपाल: सोयाबीन फसल पर पीला मोजेक व तना मक्खी का प्रकोप, कृषि विभाग ने जारी की सावधानियां – कृषि विभाग ने किसानों को सोयाबीन की फसल में बढ़ते पीला मोजेक रोग और तना मक्खी के खतरे को लेकर सतर्क किया है। कृषि विभाग के उप संचालक अशोक उपाध्याय ने जानकारी दी कि जिले में बोई गई सोयाबीन की जल्दी पकने वाली किस्में अब तैयार हो रही हैं, जबकि कुछ मध्यम और देर से पकने वाली किस्मों में अभी दाने भरने की अवस्था चल रही है।
उन्होंने बताया कि जल्दी पकने वाली किस्मों में जब 90% फलियों का रंग पीला हो जाए, तब फसल की कटाई कर लेनी चाहिए। इससे बीज के अंकुरण (अंकने की क्षमता) पर कोई बुरा असर नहीं होता है। अगर दाने भरने या पकने की स्थिति में बारिश होती है, तो इससे फसल की गुणवत्ता गिर सकती है और फलियों के दाने खेत में ही अंकुरित होने की आशंका रहती है।
समय पर कटाई और फसल की सुरक्षा जरूरी
कृषि विभाग ने किसानों को सलाह दी है कि फसल की कटाई समय पर करें। अगर कटाई में देरी हुई, तो फलियाँ चटक सकती हैं या दाने अंकुरित हो सकते हैं, जिससे बीज की गुणवत्ता खराब हो सकती है। कृषि वैज्ञानिकों और कृषि अधिकारियों की निगरानी में पाया गया है कि कुछ खेतों में पौधे पीले पड़कर मुरझा रहे हैं, जो कि पीला मोजेक रोग और तना मक्खी के कारण हो सकता है।
पीला मोजेक रोग सफेद मक्खी द्वारा फैलता है। वहीं, तना मक्खी के लार्वा (कीट के बच्चे) पौधे के तने में छेद कर उसे खोखला कर देते हैं, जिससे पौधा सूखने लगता है।
रोग और कीट नियंत्रण के लिए छिड़काव करें ये दवाएं
इन समस्याओं से बचाव के लिए किसानों को निम्न दवाओं का छिड़काव करने की सलाह दी गई है:
– थायोमेथोक्सान प्लस लेम्बडा-सायहेलोथ्रिन – 125 मि.ली. प्रति हेक्टेयर
– बीटासायफ्लुथिन प्लस इमिडाक्लोप्रिड – 350 मि.ली. प्रति हेक्टेयर
– एसिटेमीप्रिड 25% प्लस बायफेथ्रिन 25% WG – 250 ग्राम प्रति हेक्टेयर
– इन दवाओं से तना मक्खी का प्रभावी नियंत्रण किया जा सकता है।
– इल्ली और फफूंद से बचाव के उपाय भी अपनाएं
सेमीलूपर इल्ली से बचाव के लिए इन दवाओं का छिड़काव करें:
– क्लोरएन्ट्रानिलिप्रोल 18.5 एससी – 150 मि.ली./हेक्टेयर
– इमामेक्टिन बेंजोएट 1.90% – 425 मि.ली./हेक्टेयर
– फ्लूबेंडियामाइड 39.35 एससी – 150 मि.ली./हेक्टेयर
– क्लोरएन्ट्रानिलिप्रोल 9.30% + लेम्बडा सायहेलोथ्रिन 4.60%
फफूंद से फसल को बचाने के लिए ये छिड़काव करें:
– टेबूकोनाझोल 10% + सल्फर 65% WG – 1.25 किग्रा/हेक्टेयर
– कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोजेब 63% WP – 1.25 किग्रा/हेक्टेयर
छिड़काव में पानी की मात्रा और सावधानी जरूरी
– दवाओं का छिड़काव करते समय पानी की पर्याप्त मात्रा जरूरी है।
– नेपसेक स्प्रेयर या ट्रैक्टर स्प्रेयर से 450 लीटर पानी प्रति हेक्टेयर
– पावर स्प्रेयर से 125 लीटर पानी प्रति हेक्टेयर उपयोग करें।
जिन रसायनों के मिश्रण की वैज्ञानिक अनुशंसा नहीं है, उनका एक साथ उपयोग ना करें, इससे फसल को नुकसान हो सकता है।
भविष्य में इन किस्मों से बचें
पिछले वर्षों में JS-9560 और RVSM-1135 किस्मों में पीला मोजेक और तना मक्खी का गंभीर असर देखा गया था। इस बार भी इन किस्मों में वही स्थिति नजर आ रही है। इन किस्मों की वजह से किसानों को पहले भारी नुकसान झेलना पड़ा था। इसलिए विभाग ने भविष्य में इन किस्मों की बुआई न करने की सलाह दी है।
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