क्या मध्य प्रदेश सरकार इस बार सच में मूंग नहीं खरीदेगी? जानिए पूरा मामला
06 जून 2025, नई दिल्ली: क्या मध्य प्रदेश सरकार इस बार सच में मूंग नहीं खरीदेगी? जानिए पूरा मामला – क्या इस बार मूंग उगाने वाले किसानों को अपनी फसल का वाजिब दाम नहीं मिलेगा? क्या सरकार सच में मूंग की खरीद नहीं करेगी? इस सवाल ने प्रदेश भर के लाखों किसानों को चिंता में डाल दिया है।
सरकारी सूत्रों की बजाय कृषक जगत द्वारा पूछे गए सवाल पर अशोक वर्णवाल, अतिरिक्त मुख्य सचिव और कृषि उत्पादन आयुक्त, ने साफ तौर पर कहा कि इस बार मध्य प्रदेश सरकार मूंग की सरकारी खरीद नहीं करेगी।
सरकार ने खरीदी से क्यों हटाया कदम?
सरकार के अनुसार, किसानों द्वारा मूंग की फसल पर कटाई से पहले खरपतवारनाशकों (जैसे ग्लाइफोसेट और पैराक्वाट) का छिड़काव किया जा रहा है। इसका असर फसल की गुणवत्ता पर पड़ रहा है।
इन रसायनों का उपयोग पत्तियों को सुखाने और मशीन से जल्दी कटाई के लिए किया जाता है, लेकिन इससे फसल में अवशेष (रेजिड्यू) रह जाते हैं। ऐसी फसल को सरकार के मानकों के अनुसार खरीदा नहीं जा सकता।
किसान क्या कहते हैं?
नर्मदापुरम जिले के किसान शरद वर्मा ने कृषक जगत को बताया, “हम लोग कटाई से 3 दिन पहले स्प्रे करते हैं ताकि पत्ते सूख जाएं और मशीन में फंसें नहीं। कटाई जल्दी करनी होती है क्योंकि खरीफ की बुआई बारिश से पहले करनी होती है। हमें बताया ही नहीं गया कि ये दवाएं मूंग में नहीं चलती।”
मूंग खरीदी की स्थिति क्या है?
पिछले साल 2024 में 20 मई तक पंजीयन शुरू हो गया था और सरकार ने बड़े पैमाने पर खरीद की थी। लेकिन इस साल 2025 में अब तक ना कोई पंजीयन शुरू हुआ है, ना ही सरकार ने केंद्र को कोई प्रस्ताव भेजा है।
प्रदेश में इस बार लगभग 10.21 लाख हेक्टेयर में मूंग की बुआई हुई है, जो पिछले साल से भी ज्यादा है। उत्पादन का अनुमान करीब 20 लाख टनहै। लेकिन सरकारी खरीदी नहीं होने से किसानों को स्थानीय मंडियों में ₹6,000 से ₹6,500 प्रति क्विंटल के बीच मूंग बेचनी पड़ रही है, जबकि सरकार ने MSP ₹8,768 प्रति क्विंटल तय किया है।
अब किसानों को क्या करना चाहिए?
किसानों के लिए यह समय सावधानी बरतने का है। खरपतवारनाशकों का प्रयोग फसल के लेबल पर दिए गए निर्देशों के अनुसार ही करें। कटाई से पहले किसी भी तरह का स्प्रे करने से पहले जान लें कि वह फसल में मान्य है या नहीं।
यह ज़रूरी है कि हम सभी मिलकर फसल की गुणवत्ता को बनाए रखें ताकि भविष्य में खरीदी न रुके। अगर अवैज्ञानिक तरीके से दवा का प्रयोग जारी रहा, तो सरकार अन्य फसलों की खरीद पर भी रोक लगा सकती है।
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