राज्य कृषि समाचार (State News)

मौसम के पूर्वानुमान बदलेंगे किसानों की किस्मत

कृषि विश्वविद्यालय में कृषि मौसम विज्ञान विभाग की राष्ट्रीय कार्यशाला 

ग्वालियर। किसानों की कड़ी मेहनत से देश खाद्य उत्पादन में आत्मनिर्भर होने के साथ निर्यातक भी बना है मगर किसानोंं की आर्थिक स्थिति अपेक्षाकृत कमजोर है। ऐसे में मौसम के पूर्वानुमानों को भारत सरकार देश के सभी 660 जिलों में पहुंचाना चाहती है जिससे समय से मिले मौसम पूर्वानुमान व इसके सुझाव का उपयोग किसान फसल को होने वाली मौसमी हानियों को रोकने में कर सकें। मौसम संबंधी इन पूर्वानुमानों के जरिए निश्चित ही किसानों की किस्मत बदलकर उनकी आमदनी बढ़ा सकती है।

राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय में कृषि मौसम विज्ञानियों की राष्ट्रीय कार्यशाला एवं वार्षिक समीक्षा बैठक में यह बात भारत मौसम विज्ञान विभाग के महानिदेशक डॉ. एम. महापात्रा ने कही। उन्होंने कृषि एवं मौसम विज्ञानियों से आह्वान किया कि वे किसानों की आय बढ़ाने के लिए उनकी भाषा में सटीक और समय से उपयोगी पूर्वानुमान किसानों तक पहुंचाएं।

Advertisement
Advertisement

उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि डॉ. पात्रा ने कहा कि देश भर में वर्तमान में 260 जिलों में एग्रोमेंट यूनिट (डामू) से किसानों को मौसम संबंधी पूर्वानुमान दिए जाते हैं, अगले 3 सालों में हम 660 डामू शुरु कर लेंगे ताकि तहसील स्तर तक किसानों को एडवायजरी पहुंचा सकें इससे हमारी पहुंच बढ़ेगी और हम वर्तमान में 4 करोड की तुलना में  आगे 10 करोड़ किसानों तक पूर्वानुमान पहुंचा सकेंगे। अध्यक्षता कर रहे राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एस.के. राव ने कहा कि मौसम पूर्वानुमानों का महत्व पहले की तुलना में अब व्यापक हुआ है। आज सीमित भूमि, जनसंख्या वृद्धि, मौसमी आपदाओं की चुनौती कृषि क्षेत्र के सामने है। ऐसे में कृषि वैज्ञानिक जहां मौसमी बाधाओं से कम प्रभावित होने वाली किस्मों का विकास करें वहीं कृषि मौसम वैज्ञानिक अपने पूर्वानुमानों एवं सूचनाओं से किसानों की फसल को नुकसान से बचाने में अधिकाधिक     योगदान दें। 

कार्यशाला में विशिष्ट अतिथि राष्ट्रीय प्रमुख एग्रोमेट डॉ. के. के. सिंह, निदेशक अटारी जोन 9 डॉ. अनुपम मिश्र एवं सहायक महानिदेशक भा. कृ. अनु. प. डॉ. रणधीर सिंह ने भी मौसम पूर्वानुमानों की उपयोगिता एवं नवीन आवश्यकताओं पर अपने विचार रखे। इस अवसर पर पूर्व कुलपति एवं प्रमंडल सदस्य डॉ. व्ही. एस. तोमर,  पूर्व कुलपति डॉ ए. एस. तिवारी, अधिष्ठाता कृषि संकाय डॉ. मृदुला बिल्लौरे, आयोजन समिति संयोजक एवं निदेशक विस्तार सेवाएं डॉ. एस. एन. उपाध्याय, निदेशक अनुसंधान डॉ. एम. पी. जैन, निदेशक शिक्षण डॉ. ए. के. सिंह, अधिष्ठाता कृषि महाविद्यालय डॉ. जे. पी. दीक्षित  कुलसचिव डी. एल. कोरी, अधिष्ठाता छात्र कल्याण डॉ. एस. पी. एस. तोमर सहित शिक्षकगण, वैज्ञानिकगण मौजूद थे।

Advertisement8
Advertisement
Advertisements
Advertisement5
Advertisement