अधिक उत्पादन के लिए करें एनपीके मिश्रित उर्वरकों का प्रयोग- डीडीए खरगोन
11 जून 2024, खरगोन: अधिक उत्पादन के लिए करें एनपीके मिश्रित उर्वरकों का प्रयोग- डीडीए खरगोन – आगामी खरीफ मौसम में खरगोन जिले में कुल 4 लाख 16 हजार 930 हेक्टेयर में खरीफ फसलों की बुवाई की जाती है। जिसमें से कपास की फसल 2 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल में बोई जाती है। कृषि वैज्ञानिकों द्वारा किसानों को सलाह दी गई है कि कपास फसल में बुवाई के समय आधार खाद के रूप में सिंगल सुपर फास्फेट की आधी मात्रा 2500 कि.ग्रा. प्रति हे के साथ यूरिया 35 कि.ग्रा. तथा पोटाश 33.5 कि.ग्रा. प्रति हेक्ट. की दर से उपयोग करने से कपास फसल का अधिक उत्पादन लिया जा सकता है।
उप संचालक कृषि श्री प्रकाश ठाकुर ने बताया कि कपास फसल में बुवाई के समय 12ः32ः16 एनपीके 250 कि.ग्रा. एवं यूरिया 280 कि.ग्रा. प्रति हेक्ट. की दर से उपयोग करने से पोटाश खाद अलग से नहीं देना पडेगा। कपास फसल को 12ः32ः16 एनपीके खाद से पोटाश की आवश्यक मात्रा मिल जायेगी। कपास में पोटाश के उपयोग से कीट-बीमारियों का प्रकोप भी कम होगा। मिट्टी परीक्षण के आधार पर खरगोन जिले की मिट्टी में पोटाश की अनुशंसा की गई है। कपास फसल में अन्य एनपीके उर्वरक जैसे 20ः20ः00ः13 एनपीके 4 बैग प्रति हेक्ट 16ः16ः16 एनपीके 10 बैग प्रति हेक्ट तथा 15ः15ः15 एनपीके 10.5 बैग प्रति हेक्ट बुवाई के समय आधी मात्रा एवं बुवाई के 2 माह बाद फिर से आधी मात्रा का प्रयोग करे।
डीएपी में पोटाश नहीं होता है, इसलिए पोटाश की कमी से कीट-बीमारियों का प्रकोप अधिक होता है और कपास के उत्पादन में कमी आती है। अनुसंधान की रिपोर्ट के अनुसार कपास फसल में एनपीके मिश्रित उर्वरकों के प्रयोग से कपास का गुणवत्तायुक्त अधिक उत्पादन लिया जा सकता है। जिले की अन्य फसलें जैसे मक्का, सोयाबीन, ज्वार, मिर्च आदि फसलों में भी सिंगल सुपर फॉस्फेट के साथ एनपीके मिश्रित उर्वरकों के उपरोक्त खादों का उपयोग करना लाभप्रद पाया गया है। मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला द्वारा परीक्षण किये जा रहे नमूनों के आधार पर जिले की मृदा में जिंक की कमी है। कृषकों को सलाह दी गई है कि समन्वित उर्वरकों में जिंक सल्फेट का 20 से 25 किग्रा प्रति हेक्ट. प्रति 3 वर्ष में एक बार अनिर्वाय रूप से उपयोग करे। जिससे उत्पादन बढाते हुए अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है।