State News (राज्य कृषि समाचार)

प्रदेश में उर्वरक के लिए उठापटक

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यूरिया, डीएपी की कमी से मचा घमासान

(विशेष प्रतिनिधि)

3 नवंबर 2021, भोपाल । प्रदेश में उर्वरक के लिए उठापटक – प्रदेश में रबी सीजन की शुरुआत से ही उर्वरक संकट गहरा गया है। कई जिलों में खाद की कमी के कारण किसान परेशान हो रहे हैं तथा बुवाई भी प्रभावित हो रही है। लम्बी-लम्बी लाईनों में लगे किसानों का धैर्य जवाब दे रहा है जब वह खाली हाथ लौट रहे हैं। इससे हाथापाई, चक्काजाम एवं रेल रोकने तक की नौबत आ गई है, परन्तु पर्याप्त खाद नहीं मिल पा रही है। दूसरी तरफ राज्य के मुख्यमंत्री एवं कृषि मंत्री भरपूर खाद होने का दावा कर रहे हैं परन्तु जमीनी हकीकत यह है कि डीएपी के लिए किसान जूझ रहा है। यह उर्वरक उपलब्धता के लिए जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही और कुप्रबंधन का ही नतीजा है कि समय पर किसानों को खाद नहीं मिल पा रही है और किसानों के हंगामे पर उनके खिलाफ अपराध पंजीबद्ध किया जा रहा है।

राज्य के 25 जिलों में कमी

प्रदेश के अलग-अलग जिलों में खाद की किल्लत से किसान परेशान है। एक तरफ रबी की बुवाई शुरू हो गई है और दूसरी तरफ किसान रसायनिक खाद की कमी से जूझ रहे हैं। जानकारी के मुताबिक 52 में से लगभग 25 जिलों में जरूरत से कम खाद मौजूद है। जिसके चलते खाद पर्याप्त नहीं मिल पा रही है। जिससे अराजकता का माहौल भी बनता दिखाई दे रहा है। दतिया में तो किसानों के बीच हाथापाई ही हो गई। अलग-अलग हिस्सों में लोग खाद के लिए लंबी-लंबी लाइनें लगा रहे हैं। चम्बल बुंदेलखंड, महाकौशल और विंध्य क्षेत्र के जिलों के किसान निराश है। जानकारी के मुताबिक सागर जिले में पिछले 10 दिनों से खाद के लिए मारामारी मची है। अशोकनगर जिले में डीएपी की रैक नहीं पहुंची है। बीना में किसान चक्का जाम व रेल रोक रहे हैं जिससे अपराध दर्ज किया गया है।

किसानों का आरोप

खाद की किल्लत पर किसानों का आरोप है कि चुनाव वाले जिलों में खाद आपूर्ति को प्राथमिकता दी जा रही है जिससे अन्य जिलों के किसानों को भटकना पड़ रहा है। बुवाई पिछड़ रही है। किसानों का कहना है कि जरूरत के मुताबिक खाद नहीं मिल रही है। एक किसान को 1-2 या 10 बोरी से अधिक खाद नहीं दी जा रही है, जबकि 10 बीघा से अधिक के खातेदार किसानों को प्रति बीघा एक बोरी की आवश्यकता है।

kamal patel

वर्तमान में 3 लाख 18 हजार 263 मीट्रिक टन यूरिया उपलब्ध है। एक लाख 31 हजार 454 मीट्रिक टन डीएपी और एक लाख 4 हजार 590 मीट्रिक टन एनपीके भी उपलब्ध है। विगत 3-4 दिन में ही यूरिया, एनपीके और डीएपी के 26 रैक लग चुके हैं। आगामी 2-3 दिनों में 21 रैक यूरिया, एनपीके और डीएपी पहुँचने वाला है। किसानों से अपील है कि कानून अपने हाथ में नहीं लें, उर्वरकों की आपूर्ति सतत जारी है। अक्टूबर माह में अब तक 2 लाख 79 हजार मीट्रिक टन यूरिया, 2 लाख 3 हजार मीट्रिक टन डीएपी और 86 हजार मीट्रिक टन एनपीके वितरित किया जा चुका है।


कमल पटेल, कृषि मंत्री (म.प्र.)

 

सरकारी पक्ष एवं विकल्प

दूसरी तरफ सरकार एवं कृषि अधिकारियों का कहना है कि खाद पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। सहकारी समितियों एवं निजी विके्रताओं के द्वारा पुलिस की उपस्थिति में वितरण किया जा रहा है। प्रतिदिन रैक लग रहे हैं। वर्ततान में 3 लाख 18 हजार टन से अधिक यूरिया एवं 1 लाख 30 हजार टन डीएपी उपलब्ध है। इसके साथ ही डीएपी के विकल्प के तौर पर एनपीके एवं फास्फेट का उपयोग करने की सलाह विभाग द्वारा किसानों को दी जा रही है।

अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़ी कीमत

दरअसल खाद की किल्लत की मुख्य और पहली वजह अंतराष्ट्रीय बाजार में इसकी आसमान छूती कीमतें हैं। चीन ने एक तरफ उर्वरक के एक्सपोर्ट पर अस्थायी रोक लगाई तो दूसरी तरफ बेलारूस के खिलाफ वेस्टर्न इकनॉमिक सेक्शंस के चलते ग्लोबल मार्केट में उर्वरक की कीमतें प्रभावित हुई हैं। जिसका असर भारत में खाद के आयात पर भी पड़ा है।
विस्व में टाइट सप्लाई की वजह से फॉस्फोरिक एसिड और अमोनिया की कीमतें बढ़ी हैं। इससे भारतीय उर्वरक उत्पादकों द्वारा इनके आयात पर असर हुआ है। ये दोनों मिट्टी के लिए प्रमुख न्यूट्रिएंट हैं। दरअसल नेचुरल गैस की उच्च कीमतों की वजह से कुछ ग्लोबल अमोनिया मेकर्स ने आउटपुट घटाया है जिससे वैश्विक बाजारों में अमोनिया की उपलब्धता घटी है और कीमतें बढ़ी हैं।

जमाखोरी भी सबसे बड़ी वजह

यूरिया संकट की वजह केवल आयात में कमी नहीं है। देश में भी यूरिया का उत्पादन गिरा है। इसके अलावा सबसे बड़ी वजह यूरिया और डीएपी की कमी की एक मुख्य वजह जमाखोरी भी है। कुछ प्राइवेट दुकानदार ब्लैक में खाद बेच रहे हैं।

जिम्मेदारों की लापरवाही

बहरहाल चुनाव को देखते हुए खाद संकट के पूरे बवाल के पीछे विपक्षी दलों की बयानबाजी हो सकती है, परन्तु उर्वरक व्यवस्था के लिए जिम्मेदार राज्य स्तरीय अधिकारियों की लापरवाही एवं कुप्रबंधन को भी क्लीनचिट नहीं दी जा सकती। आंतरिक वितरण व्यवस्था में खामियां एवं गड़बड़ी का ही दुष्परिणाम किसानों को भुगतना पड़ रहा है।

Kamal nath

प्रदेश के मुख्यमंत्री चुनाव प्रचार के बाद खाद की समीक्षा कर रहे हैं जबकि किसान पिछले 15 दिनों से खाद के लिए परेशान है। पुलिस की मार खा रहे हैं परन्तु मुख्यमंत्री सहित किसी भी मंत्री ने उनकी सुध नहीं ली है। वास्तविकता जानने के लिए मुख्यमंत्री को किसानों के बीच जाना चाहिए।

– कमलनाथ, पूर्व मुख्यमंत्री (म.प्र.)

 

 

cm shivraj singh

प्रदेश की आवश्यकता के अनुसार डीएपी, यूरिया, एनपीके की उपलब्धता सुनिश्चित कराई जाएगी, किसान भाई परेशान न हों। खाद की कमी की मानसिकता छोड़ें, चिंता न करें, समय-समय पर आवश्यक मात्रा में खाद उपलब्ध कराई जाएगी। प्रदेश के विभिन्न स्थान पर 32 अतिरिक्त रैक अक्टूबर अंत तक पहुंचेंगे। यह यूरिया किसानों को उपलब्ध कराया जाएगा। नवम्बर में खाद की आपूर्ति के लिए भारत सरकार से चर्चा की है। प्रदेश की आवश्यकता के अनुसार हमें खाद निश्चित रूप से मिलेगी।


– शिवराज सिंह चौहान, मुख्यमंत्री (म.प्र.)

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