भारतीय कृषि कौशल परिषद द्वारा केवीके कटिया में युवाओ को प्रशिक्षण
केंचुआ खाद उत्पादन एवं मशरूम उत्पादक पर आयोजित प्रशिक्षण के प्रतिभागिर्यो को प्रमाण पत्र विवरण
09 अगस्त 2024, भोपाल: भारतीय कृषि कौशल परिषद द्वारा केवीके कटिया में युवाओ को प्रशिक्षण – भारतीय कृषि कौशल परिषद द्वारा तैयार किए गए व्यावसायिक कौशल विकास प्रशिक्षण पाठ्यक्रम अन्तर्गत भाकृअनुप-अटारी कानपुर के समन्वयन से कृषि विज्ञान केन्द्र कटिया सीतापुर में 27 दिवसीय केंचुआ खाद उत्पादन एवं मशरूम उत्पादक पर आयोजित प्रशिक्षण में सफलतापूर्वक पाठ्यक्रम पूर्ण करने वाले प्रतिभागियों को कौशल योग्यता प्रमाण पत्र का वितरण किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डा0 दया दयाशंकर श्रीवास्तव ने सफल प्रतिभागियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि दक्षता विकास प्रशिक्षण द्वारा मशरूम उत्पादन एवं केचुआ खाद से कृषि के अतिरिक्त आय का सृजन, उत्पादकता और गुणवत्ता में सुधार के साथ साथ व्यवसायिक रूप से कृषि क्षेत्र में विकास होगा। मूल्य संवर्धित केचुआ खाद उत्पादन से अधिक आय अर्जन व फसल लागत में कमी होगी वही व्यवसायिक मशरूम उत्पादन व मूल्य संवर्धित उत्पादों से अतिरिक्त आमदनी के साथ उद्यमिता विकास होगा।
केचुआ खाद उत्पादन कार्यक्रम समन्वयक व मृदा वैज्ञानिक सचिन प्रताप तोमर ने बताया कि कृषि में केंचुआ खाद मृदा स्वास्थ्य सुधार व लाभप्रद जीवोंके वृद्धि मे अत्यंत लाभदायक है । केंचुआ वनस्पतियों एवं भोजन इत्यादि अधकचरे को अपघटित करने में अहम भूमिका अदा करते है । अधिकतर किसान केंचुआ खाद अपने खुद के खेतों में इस्तेमाल करने के लिए तो बनाते ही हैं, कुछ किसान को इसका व्यापार भी करते हैं। आज के समय में प्रकृतिक खेती में केंचुआ खाद महत्वपूर्ण आयाम हैं।
मशरूम उत्पादन प्रशिक्षण कार्यक्रम की कार्यक्रम समन्वयक एवं गृह वैज्ञानिका डा रीमा ने बताया कि मशरूम को सेहत का खजाना बताया जाता है। इसमें पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन, खनिज, लवण व अन्य पोषक तत्व हैं। इसके सेवन करने से रोग प्रतिरोधी क्षमता का विकास एवं बच्चों में कुपोषण दूर करनें भी अच्छा माध्यम है। मशरूम के क्षेत्र मे कौशल विकास प्रशिक्षण से युवाओ को एक नई दिशा के साथ आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा मिली है
केन्द्र के पशुपालन वैज्ञानिक डा0 आनन्द सिंह ने वर्मीवाश के महत्व के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि वर्मीवाश तरल पदार्थ है जो केंचुओं के शरीर से रिसाव व धोवन का मिश्रित रूप है जो फसलों व सब्जियों पर छिडकने के रूप में काम आता है। केंचुओं के वर्मीवाश से मुख्य पोषक तत्व व अन्य सहायक तत्व प्राकृतिक रूप से प्राप्त होते हैं जिसकी सहायता से भूमि भुरभुरी व फसल स्वस्थ होती है
वर्मीवाश के उपयोग से न केवल उत्तम गुणवत्ता युक्त उपज प्राप्त कर सकते हैं बल्कि इसे प्राकृतिक जैव कीटनाशक के रूप में भी प्रयोग किया जा सकता है।
केन्द्र के प्रसार वैज्ञानिक शैलेन्द्र सिंह ने प्रशिक्षित युवाओ को उद्यम स्थापित करने हेतु सरकार द्वारा वित्तीय सहायता प्रदान की जाने वाली योजनाओं के बारे में जानकारी प्रदान करते हुए आगे बढने के लिए प्रेरित किया।
फसल वैज्ञानिक डा0 शिशिर कान्त सिंह नें कहा कि मशरूम का उपयोग भोजन व औषधि के रूप में किया जाता हैं, मशरूम के पापड़, पाउडर, अचार, बिस्किट, टोस्ट, कूकीज, जैम, सूप आदि उत्पाद बनाकर अतिरिक्त आय सृजित की जा सकती हैं।
प्रक्षेत्र प्रबंधक डाॅ योगेन्द्र प्रताप सिंह ने प्रतिभागियों का धन्यवाद देते हुए कहा कि केंचुआ खाद व मशरूम का उत्पादन आसानी के घर के आस पास कर सकते हैं। दोनो प्रशिक्षण कार्यक्रम युवाओ में स्वावलंबन एव उदमिता विकास मे महत्वपूर्ण भूमिक अदा करेगें।
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