राज्य कृषि समाचार (State News)पशुपालन (Animal Husbandry)

बिहार मेें दूधारू पशुओं में बढ़ती बांझपन की समस्या, सरकार का जागरूक अभियान

11 सितम्बर 2025, भोपाल: बिहार मेें दूधारू पशुओं में बढ़ती बांझपन की समस्या, सरकार का जागरूक अभियान – बिहार की सरकार ने दूधारू पशुओं में बढ़ती बांझपन की समस्या को गंभीरता से लिया है और यही कारण है कि सरकार ने जागरूक अभियान को शुरू किया है. इस अभियान के तहत किसानों को बांझपन की पहचान के साथ ही बचाव के भी तरीके बताए जा रहे है. सरकार का यह मानना है कि दूधारू पशुओं में बांझपन की समस्या यदि खत्म हो जाती है तो उत्पादकता तो बढ़ेगी ही वहीं किसानों की आय में भी ओर अधिक सुधार हो सकेगा.

पशुपालन किसानों की आमदनी का अहम साधन है, लेकिन दूध देने वाले पशुओं में बांझपन की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है. इस वजह से न सिर्फ पशुओं की उत्पादकता घट रही है, बल्कि किसानों की मेहनत और आय पर भी असर पड़ रहा है. इसे ध्यान में रखते हुए बिहार सरकार के पशुपालन निदेशालय ने एक खास पहल शुरू की है.

चिंता का विषय है

बांझपन यानी इनफर्टिलिटी केवल एक बीमारी नहीं है, बल्कि यह कई कारणों से होने वाली जटिल स्थिति है. जब गाय-भैंस जैसे दुधारू पशु गर्भधारण नहीं कर पाते, तो उनकी दूध उत्पादन क्षमता पर असर पड़ता है. इससे सीधा नुकसान किसानों और पशुपालकों को होता है. सरकार का मानना है कि यदि समय रहते समस्या की पहचान कर ली जाए, तो इसका समाधान भी संभव है.

पोषण की कमी-

विशेषज्ञों का कहना है कि पशुओं में बांझपन का सबसे बड़ा कारण पोषण की कमी है. जब गाय-भैंस को संतुलित आहार नहीं मिलता, तो उनके शरीर में प्रोटीन और जरूरी खनिजों (मिनरल्स) की कमी हो जाती है. खासकर फास्फोरस, आयोडीन, कैल्शियम और जिंक की कमी गर्भधारण की क्षमता पर सीधा असर डालती है. इसके अलावा, यदि पशु को ऊर्जा देने वाला चारा पर्याप्त मात्रा में न मिले, तो भी उसका प्रजनन चक्र प्रभावित होता है. यही वजह है कि पशुपालकों को सलाह दी जाती है कि वे संतुलित आहार, हरा चारा और मिनरल मिक्सचर का उपयोग जरूर करें.

बताए जा रहे है बचाव के उपाय

पशुपालन विभाग ने पशुपालकों को कुछ खास सुझाव दिए हैं, जिन पर अमल करके वे अपने पशुओं की उत्पादकता बढ़ा सकते हैं.

पशु को समय पर और संतुलित आहार दें.
हरे चारे और मिनरल मिक्सचर को आहार में शामिल करें.
पशु को स्वच्छ पानी और साफ वातावरण दें.
गर्भधारण में समस्या दिखे तो तुरंत पशु चिकित्सक से संपर्क करें.
हीट का सही समय पहचानें और समय पर कृत्रिम गर्भाधान करवाएं.
इन साधारण उपायों को अपनाकर पशुपालक अपने पशुओं को स्वस्थ रख सकते हैं और दूध उत्पादन भी बढ़ा सकते हैं.

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