राज्य कृषि समाचार (State News)

50 गांवों में 1000 हजार किसानों को सोलर ट्रेप बांटे गए

27 दिसंबर 2024, बालाघाट: 50 गांवों में 1000 हजार किसानों को सोलर ट्रेप बांटे गए – अक्सर फसलों में कीट पतंगों के कारण किसानों को बड़ा नुकसान पहुँचता है। हालांकि कीट पतंगों को दूर रखने और नियंत्रण के लिए कई साधन और दवाइयां है। लेकिन कृषि विभाग द्वारा किसानों को ऐसी तकनीक और साधन से अवगत कराने के साथ ही उपकरण वितरित करने का कार्य किया जा रहा है।

 जिसके उपयोग से न सिर्फ किसानों की लागत कम होगी, बल्कि बिना रसायन के उपयोग से फसलों को सुरक्षित रखा जा सकता है। यह एक तरह का प्राकृतिक कृषि का ही तरीका है जिससे किसानों को लाभ होता है। प्राकृतिक खेती एक ऐसी विधि है जिसमें रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशकों और अन्य हानिकारक रसायनों का उपयोग किये बगैर खेती की जाती है। कृषि उपसंचालक  राजेश खोब्रागड़े ने बताया कि अब तक विभाग द्वारा 50 गांवो में 1000 हजार किसानों को सोलर ट्रेप बांटे गए और प्राकृतिक खेती में उपयोगी 2000 ड्रम बांटे गए। जो किसानों में काफी लोकप्रिय हो रहे है। बुधवार को लालबर्रा के नेवरगांव में 18 किसानों को सोलर लाइट ट्रेप वितरित किये गए है। साथ ही प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए गांव के किसानों प्रेरित किया जा रहा है। प्राकृतिक खेती में पौधों और मिट्टी की सेहत को बनाए रखने के लिए प्राकृतिक तरीकों का उपयोग किया जाता है। जिसमें ग्राम के किसानों को प्राकृतिक खेती करने के तरिके, जैविक खेती का उपयोग करने की विधि, फसलों की प्राकृतिक खेती से उत्पादन बढ़ाना उद्देश्य है। इसमें मुख्य रूप से बीजामृत, जीवामृत, घनजीवामृत, जैवाच्छादन का निर्माण करने की विधियां उपयोग में लायी जाती है। साथ-ही-साथ देशी गाय के गोबर, गौ-मूत्र एवं किसान का सच्चा मित्र केंचुए का भी बड़ी संख्या में प्रयोग किया जाता है। कृषि विभाग द्वारा आयोजित संगोष्ठियों में किसानों को प्राकतिक खेती अपनाने में लाभ बतालाये जाते है। जिनमें मुख्य रूप से मिट्टी की सेहत को बनाए रखने के लिए जैविक उर्वरकों का उपयोग करने, कम्पोस्ट, गोबर की खाद के विषय में बताया जाता है। कीटों को नियंत्रित करने के लिए प्राकृतिक कीटनाशकों का उपयोग करने जैसे कि नीम का तेल, पायरेथ्रम आदि। पौधों की देखभाल करके उनकी सेहत को बनाए रखें। जल संचयन करके पानी की बचत करें। जैव विविधता को बनाए रखने के लिए विभिन्न प्रकार के पौधों और जानवरों को प्रोत्साहित करें। प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करके ऊर्जा की बचत करें।

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