वैज्ञानिकों ने किसानों को दी सलाह, भिंडी के बारे में भी बताया
01 मार्च 2025, नई दिल्ली: वैज्ञानिकों ने किसानों को दी सलाह, भिंडी के बारे में भी बताया – भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान पूसा के वैज्ञानिकों ने देश के किसानों को कृषि संबंधी सलाह जारी की है वहीं भिंडी की बुवाई के बारे में भी बताया है। वैज्ञानिकों ने सलाह दी है कि वे किस वैरायटी की भिंडी की बुवाई कर सकते है।
वैज्ञानिकों ने कहा कि मौसम को ध्यान में रखते हुए भिंडी की अगेती बुवाई हेतु ए-4, परबनी क्रांति, अर्का अनामिका आदि किस्मों की बुवाई करें। बुवाई से पूर्व खेतों में पर्याप्त नमी का ध्यान रखें। बीज की मात्रा 10-15 कि.ग्रा./एकड़ रखें। तापमान फ्रेंच बीन, गर्मी के मौसम वाली मूली इत्यादि की सीधी बुवाई हेतु अनुकूल है क्योंकि बीजों के अंकुरण के लिए यह तापमान उपयुक्त हैं। किसान उन्नत बीजों को किसी प्रमाणित स्रोत से ही प्राप्त करें। मौसम को ध्यान में रखते हुए किसान टमाटर, मिर्च, कद्दूवर्गीय सब्जियों के तैयार पौधों की रोपाई इस सप्ताह कर सकते हैं। इस मौसम में प्याज की समय से बोयी गई फसल में नीला धब्बा रोग की निगरानी करते रहें। रोग के लक्षण पाये जाने पर डाइथेन- एम-45 @ 3 ग्रा./ली. पानी किसी चिपकने वाले पदार्थ जैसे टीपोल आदि (1 ग्रा. प्रति एक लीटर घोल) में मिलाकर छिड़काव आसमान साफ होने पर करें। मौसम को ध्यान में रखते हुए टमाटर के फलों को फली छेदक कीट से बचाव हेतु किसान खेत में पक्षी बसेरा लगाए। कीट से नष्ट फलों को इकट्ठा कर जमीन में दबा दें। साथ ही फल छेदक कीट की निगरानी हेतु फिरोमोन प्रपंश @ 2-3 प्रपंश प्रति एकड़ की दर से लगाएं। मौसम को ध्यान में रखते हुए किसान सभी सब्जियों तथा सरसों की फसल में चेपा के आक्रमण की निगरानी करें। इस कीट के नियंत्रण के लिए वे सब्जियों में इमिडाक्लोप्रिड @ 0.25-0.5 मि.ली./लीटर पानी की दर से छिड़काव सब्जियों की तुडाई के बाद आसमान साफ होने पर करें। सब्जियों की फसलों पर छिड़काव के बाद एक सप्ताह तक तुड़ाई न करें। बीज वाली सब्जियों पर चेपा के आक्रमण पर विशेष ध्यान दें।
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