छत्तीसगढ़ की ग्रामीण महिलाएं बनीं ‘लखपति दीदी’, जैविक खेती और पशुपालन से बढ़ाई आमदनी
04 अगस्त 2025, भोपाल: छत्तीसगढ़ की ग्रामीण महिलाएं बनीं ‘लखपति दीदी’, जैविक खेती और पशुपालन से बढ़ाई आमदनी – छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (बिहान) और राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एन.आर.एल.एम.) के साझा प्रयासों से रायगढ़ जिले की ग्रामीण महिलाएं अब आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रही हैं। पहले जहां महिलाएं केवल घर तक सीमित थीं, वहीं अब वे जैविक खेती, पशुपालन और छोटे उद्यमों के जरिए ‘लखपति दीदी’ बनकर सामाजिक और आर्थिक बदलाव की मिसाल बन रही हैं।
स्व-सहायता समूहों से जुड़ रहीं महिलाएं
अब तक रायगढ़ जिले की 1 लाख 45 हजार 49 महिलाएं कुल 13 हजार 500 स्व-सहायता समूहों से जुड़ चुकी हैं। ये समूह न केवल बचत और आंतरिक ऋण प्रणाली चला रहे हैं, बल्कि सरकार की योजनाओं का लाभ उठाकर आजीविका के क्षेत्र में मजबूत कदम बढ़ा रहे हैं।
कृषि मित्र और पशु सखी बनकर कर रहीं बदलाव
पुसौर, खरसिया और धरमजयगढ़ विकासखंडों में 40-40 कृषि मित्र और पशु सखी चुनी गई हैं, जिन्हें विशेष प्रशिक्षण भी दिया गया है। कृषि मित्र महिलाएं जैविक खाद और कीटनाशक बनाकर खुद की खेती में इस्तेमाल कर रही हैं, जिससे उनकी आमदनी बढ़ रही है।
पशु सखी महिलाएं पारंपरिक इलाज की विधियों से पशुओं की देखभाल कर रही हैं। इससे दुग्ध उत्पादन बढ़ा है और पशुपालन लाभदायक व्यवसाय बन गया है।
बैंक से मिला 28 करोड़ रुपये का सहयोग
वित्तीय वर्ष 2025-26 में अब तक जिले के 1,045 समूहों को 28 करोड़ 37 लाख रुपये की बैंक क्रेडिट लिंकिंग से मदद दी गई है। माइक्रो क्रेडिट योजना के तहत ये राशि तीन किश्तों में दी जा रही है, जिसका उपयोग महिलाएं कृषि, पशुपालन, मुर्गी पालन, छोटे उद्योगों और मछली पालन जैसे कार्यों में कर रही हैं।
समन्वय से मिल रहा स्थायी मार्गदर्शन
कलेक्टर मयंक चतुर्वेदी और जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी जितेन्द्र यादव के मार्गदर्शन में महिलाओं को कम से कम तीन आजीविका गतिविधियों से जोड़ने का अभियान चलाया जा रहा है। जिला मिशन प्रबंधन इकाई द्वारा ‘बिहान’ के साथ-साथ मनरेगा, कृषि, उद्यानिकी, महिला एवं बाल विकास, पीडीएस जैसी योजनाओं के जरिये निरंतर तकनीकी प्रशिक्षण और सहयोग दिया जा रहा है।
गांवों में बदल रही तस्वीर
इन बहुआयामी प्रयासों का असर अब साफ नजर आने लगा है। रायगढ़ जिले की महिलाएं न केवल आर्थिक रूप से मजबूत हो रही हैं, बल्कि ग्राम स्तर पर नेतृत्व की भूमिका निभाकर अपने परिवार और समाज के लिए प्रेरणा बन रही हैं। जैविक खेती और पशुपालन जैसे पारंपरिक क्षेत्रों को नई सोच और तकनीक के साथ अपनाकर महिलाएं अब ग्रामीण अर्थव्यवस्था में बदलाव की प्रमुख शक्ति बन चुकी हैं।
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