राज्य कृषि समाचार (State News)

इंडस्ट्री की मांग के अनुरूप होगा अनुसंधान और कृषि शिक्षा- डॉ. बिसेन

जनेकृविवि में इंटरफेस ऑन राईस विषयक कार्यक्रम

16 नवंबर 2021, जबलपुर । इंडस्ट्री की मांग के अनुरूप होगा अनुसंधान और कृषि शिक्षा- डॉ. बिसेन – आजादी के अमृत महोत्सव के तहत जवाहरलाल नेहरू कृषि विष्वविद्यालय में उद्योगपतियों एवं कृषि वैज्ञानिकों के मध्य एक दिनी इंस्टीट्यूट इंडस्ट्री इंटरफेस ऑन राईस विषयक कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसमें प्रदेश के चावल इंडस्ट्री से जुडे़ 40 उद्योगपतियों ने हिस्सा लिया। यहां जनेकृविवि द्वारा विकसित धान की 25 लोकप्रिय किस्मों सहित 150 किस्मों का प्रदर्शन किया गया और प्रसंस्करण की विस्तृत तकनीकी जानकारी दी गई। इसमें शामिल जीआई टैग प्राप्त बालाघाट चिन्नौर धान की खूब चर्चा हुई। साथ ही खाद्य विज्ञान विभाग द्वारा चावल से निर्मित खिचड़ी मिक्स, सेव, फ्रायम, फिंगर, पापड़, रिंग, अनारसामिक्स, कुडलानी, नूडल्स्, पास्ता, वरमिसेल, सिमैया, लड्डू, इडलीमिक्स, इंस्टेंट भेलपुरी, मुरमुरा, लाई एवं पोहा आदि पकवानों को निर्माण तकनीक सहित प्रदर्षित किया गया। मुख्य अतिथि कुलपति डाॅं. प्रदीप कुमार बिसेन ने कहा कि हम इंडस्ट्री की मांग के अनुरूप कृषि षिक्षा देकर भावी कृषि वैज्ञानिक और छात्र तैयार करेंगे, ताकि इंडस्ट्री और कृषि को इनके ज्ञान का भरपूर लाभ मिले।यह इंटरफेस उद्योगपतियों को नई दिशा देगा और उनकी परिकल्पना को साकार करने में मील का पत्थर सबित होगा।

संचालक अनुसंधान सेवायें डाॅं. जी.के. कौतू ने कहा कि धान हमारे किसानों की लाईफ लाइन है। हर किसान धान का उत्पादन करता है। फसल का दाम, मूल्य संर्वद्धन एवं पैकेजिंग पर ध्यान देना जरूरी है। धान के क्षेत्र में अपार संभावनायें हैं, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उद्योग स्थापित कर बड़ा लाभ कमाया जा सकता है। इस दौरान कुलसचिव श्री रेवासिंह सिसोदिया, संचालक शिक्षण डॉ.अभिषेक शुक्ला, संचालक कृषि व्यवसाय प्रबंधन संस्थान डॉ. सुनील नहातकर, विभागाध्यक्ष डॉ.एस.एस. शुक्ला, डॉ. एन.जी. मित्रा, डॉ. अग्रवाल, दावत इंडस्ट्री के डाॅं. के.के. तिवारी, राईस एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री समय जैन, ओके फूड इंडस्ट्री के अषोक पुरयाडी, राकेष सिंह आदि मंचासीन रहे। कार्यक्रम का संचालन प्रमुख वैज्ञानिक डाॅं. मोनी थामस एवं आभार प्रदर्शन डाॅं. अनुपमा वर्मा ने किया।

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ये रहा खास

धान की फसल की गुणवत्ता पर शोध चर्चा। अन्र्तराष्ट्रीय बाजार की मांग के अनुरूप सुझाव। जैविक धान उत्पादन हेतु कार्ययोजना। फसलों की न्यूट्रीरिच, मेडीसिनल वैल्यू हेतु शोध पर फोकस। इंडस्ट्री और जनेकृविवि के मध्य एमओयू। इंडस्ट्री के अनुरूप कृषि षिक्षा और अनुसंधान पर जोर।

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