राज्य कृषि समाचार (State News)

रायपुर: खस की खेती ने बदली धमतरी की महिला किसानों की किस्मत, रेतीली जमीन से कर रही लाखों की कमाई

20 नवंबर 2025, रायपुर: रायपुर: खस की खेती ने बदली धमतरी की महिला किसानों की किस्मत, रेतीली जमीन से कर रही लाखों की कमाई – कुछ समय पहले तक महानदी के किनारे की रेतीली, अनुपजाऊ भूमि गांवों के लिए किसी काम की नहीं मानी जाती थी। खेती करना तो दूर, उस पर घास तक सही से नहीं उगती थी। लेकिन इसी जमीन ने अब 368 महिलाओं के जीवन में नई उम्मीद, नई कमाई और नया आत्मविश्वास पैदा किया है।धमतरी जिले की महिलाएं आज अपनी बदली हुई ज़िंदगी पर गर्व महसूस करती हैं।

यह बदलाव संभव हुआ वन मंत्री  केदार कश्यप के निर्देशानुसार छत्तीसगढ़ आदिवासी, स्थानीय स्वास्थ्य परंपरा एवं औषधि पादप बोर्ड के अध्यक्ष श्री विकास मरकाम और जिला प्रशासन की संयुक्त पहल से। उन्होंने सोचा कि क्यों न इस अनुपयोगी रेतिली भूमि को आजीविका से जोड़ा जाए  और समाधान मिला औषधीय पौधा खस की खेती के रूप में, जो ऐसी जमीन में आसानी से पनपता है और जिसे बाजार में उच्च मांग मिलती है।

Advertisement
Advertisement

उल्लेखनीय है कि जुलाई– अगस्त माह में जिले के 20 ग्रामों की 35 महिला स्व-सहायता समूहों ने उत्साह के साथ 90 एकड़ भूमि पर खस का रोपण किया। मंदरौद से लेकर दलगहन, गाडाडीह से सोनवारा, देवरी से मेघा तक हर गांव में महिलाएं पहली बार औषधीय खेती की नई राह पर कदम रख रही थीं।

कम लागत में अधिक लाभ

औषधि पादप बोर्ड ने रोपण के लिए 17 लाख खस स्लिप्स निःशुल्क उपलब्ध कराए, वहीं तकनीकी मार्गदर्शन भी विशेषज्ञ संस्थाओं द्वारा लगातार दिया गया। धीरे–धीरे महिलाओं को समझ आने लगा कि यह खेती न केवल सरल है, बल्कि कम लागत में अधिक लाभ भी देती है।

Advertisement8
Advertisement

खस बहुपयोगी

गौरतलब है कि खस की जड़ों से बनने वाला सुगंधित तेल आज वैश्विक बाजार में बेहद महत्वपूर्ण है। पत्तियों और बची जड़ों से हस्तशिल्प उत्पाद भी तैयार किए जाते हैं। इतना ही नहीं, खस मिट्टी को कटने से बचाता है और भूमि में जैविक कार्बन बढ़ाता है, जिससे जमीन की उर्वरकता सुधरती है।

Advertisement8
Advertisement

महिलाओं डर थी कि फसल तो उगा लेंगे, लेकिन बाजार की थी चिंता

इस चिंता को भी बोर्ड ने दूर किया। 100 रुपये प्रति किलो सूखी जड़ की बायबैक गारंटी देकर महिलाओं को आय की निश्चितता प्रदान की गई। अब उन्हें विश्वास है कि प्रति एकड़ 50,000 से 75,000 रुपये तक कमाई संभव है।

महिलाओं ने दी परिवार को नई दिशा

खस की फसल 12 से 15 महीनों में तैयार होगी, लेकिन महिलाओं के चेहरे पर अभी से मुस्कान है। उन्हें भरोसा है कि यह मेहनत आने वाले वर्षों में उनकी आर्थिक स्थिति को मजबूत करेगी और परिवार को नई दिशा देगी।

खस महिला सशक्तिकरण की मिसाल बन चुकी

राज्य सरकार भी औषधीय पौधों को बढ़ावा देने के लिए तत्पर है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर जिला प्रशासन लगातार इस परियोजना के क्रियान्वयन में सहयोग कर रहा है l आज यह पहल सिर्फ खेती नहीं, बल्कि महिला सशक्तिकरण की मिसाल बन चुकी है।अनुपजाऊ भूमि को उपयोगी बनाकर आत्मनिर्भरता की राह पर बढ़ती यह 368 महिलाओं की कहानी,धमतरी जिले की नई पहचान बन रही है।

आपने उपरोक्त समाचार कृषक जगत वेबसाइट पर पढ़ा: हमसे जुड़ें
> नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़व्हाट्सएप्प
> कृषक जगत अखबार की सदस्यता लेने के लिए यहां क्लिक करें – घर बैठे विस्तृत कृषि पद्धतियों और नई तकनीक के बारे में पढ़ें
> कृषक जगत ई-पेपर पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें: E-Paper
> कृषक जगत की अंग्रेजी वेबसाइट पर जाने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें: Global Agriculture

Advertisements
Advertisement5
Advertisement