राज्य कृषि समाचार (State News)

पं. दीनदयाल अंत्योदय संबल पखवाड़ा: शिविर में मिला मृदा स्वास्थ्य कार्ड और भूखंड का पट्टा, मुस्कराए किसानों के चेहरे

05 जुलाई 2025, बूंदी: पं. दीनदयाल अंत्योदय संबल पखवाड़ा: शिविर में मिला मृदा स्वास्थ्य कार्ड और भूखंड का पट्टा, मुस्कराए किसानों के चेहरे – पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के अंत्योदय दर्शन, यानी समाज के अंतिम व्यक्ति तक विकास का लाभ पहुँचाने के संकल्प को मूर्त रूप देने के लिए जिले में ‘पंडित दीनदयाल अंत्योदय संबल पखवाड़ा’ के अंतर्गत विभिन्न ग्राम पंचायतों में शिविरों का आयोजन किया गया। इसी क्रम में तलवास और आंतरदा ग्राम पंचायतों में आयोजित शिविरों ने दो परिवारों की ज़िंदगी में नई उम्मीद और आत्मसम्मान की लौ जलाई।

देवप्रकाश को मिला उपज का भरोसा

तलवास पंचायत के हीरापुरा गाँव के किसान देवप्रकाश वर्षों से पारंपरिक तरीके से खेती कर रहे थे। लेकिन अब मिट्टी की गिरती उर्वरता और बढ़ती लागत उनकी चिंता का कारण बन चुकी थी। जब उन्हें ‘पंडित दीनदयाल अंत्योदय संबल पखवाड़ा’ के शिविर की जानकारी मिली, तो वे उम्मीद लेकर पहुँचे। यहाँ उन्हें मृदा स्वास्थ्य कार्ड प्रदान किया गया, जिसमें साफ़ तौर पर बताया गया था कि उनके खेत की मिट्टी में किस पोषक तत्व की कमी है और किसकी अधिकता।

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साथ ही, अगली फसल के लिए कौन-से उर्वरक कितनी मात्रा में डालने हैं, इसका भी उल्लेख था। देवप्रकाश ने बताया, “अब अंदाज़े से नहीं, वैज्ञानिक तरीके से खेती करूँगा। उर्वरक की बचत भी होगी और फसल अच्छी भी होगी।” उनके चेहरे पर संतोष और आशा की झलक साफ देखी जा सकती थी।

प्रेमबाई को मिला आत्मसम्मान और सुरक्षा

ग्राम पंचायत आंतरदा के देवपुरा गाँव निवासी प्रेमबाई पत्नी राजाराम गुर्जर वर्षों से पुश्तैनी मकान में रह रही थीं, लेकिन उनके पास जमीन के मालिकाना हक़ का कोई प्रमाण नहीं था। शिविर में जब उन्हें स्वामित्व योजना के तहत आवासीय भूखंड का पट्टा प्रदान किया गया, तो उनकी आँखों से ख़ुशी के आँसू छलक आए। उन्होंने भावुक होकर कहा, “अब कोई कह नहीं सकता कि ये ज़मीन मेरी नहीं है। अब मेरे पास मेरा अपना घर है, कागज़ों में भी और दिल में भी।”

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विकास की राह में आशा की रौशनी

इन शिविरों में न केवल दस्तावेज़ दिए गए, बल्कि किसानों को आत्मनिर्भर बनने की दिशा में आवश्यक जानकारी और संसाधन भी उपलब्ध कराए गए। मृदा स्वास्थ्य कार्डों से जहाँ कृषि को वैज्ञानिक दिशा मिली, वहीं भूखंड पट्टों ने लोगों को सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा का अहसास कराया।
पंडित दीनदयाल जी का अंत्योदय का सपना इन शिविरों के माध्यम से साकार होता नज़र आ रहा है- जहाँ पंक्ति में खड़े अंतिम व्यक्ति को न केवल योजना का लाभ मिला, बल्कि सम्मान और स्वाभिमान की अनुभूति भी।

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