Onion Mandi Rate: मध्य प्रदेश में 50 रुपये क्विंटल तक गिरे दाम, घर लौटने का किराया भी नहीं निकला
28 मई 2025, भोपाल: Onion Mandi Rate: मध्य प्रदेश में 50 रुपये क्विंटल तक गिरे दाम, घर लौटने का किराया भी नहीं निकला – मध्य प्रदेश की मंडियों में प्याज के दाम इतने गिर गए हैं कि किसानों की मेहनत पर पानी फिर रहा है। 26 मई 2025 को कई मंडियों में प्याज की थोक कीमत 50 से 150 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गई, जो लागत से भी कम है। बारिश ने फसलों को नुकसान पहुंचाया है, और मंडियों में ज्यादा आवक के बावजूद बिक्री कम होने से किसानों का नुकसान और बढ़ गया है। किसान सरकार से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) और तत्काल राहत की मांग कर रहे हैं, लेकिन अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
उत्पादन लागत 12-15 रुपये किलो, भाव 1 रुपये किलो से भी नीचे
पिछले एक हफ्ते से मध्य प्रदेश में हो रही लगातार बारिश ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। बारिश के कारण खुले में रखी प्याज की फसल खराब हो रही है, जिससे मंडियों में दाम और गिर गए हैं।
किसानों का कहना है कि बारिश ने उनकी मुश्किलें दोगुनी कर दी हैं। संयुक्त कृषक संगठन के अनुसार प्याज की पैदावार में 12 से 15 रुपये प्रति किलो की लागत आती है, लेकिन मंडी में इससे कहीं कम दाम मिल रहे हैं। सरकार को 24 रुपये प्रति किलो के हिसाब से प्याज की खरीद शुरू करनी चाहिए।
भाड़ा भी नहीं निकल रहा, स्टोरेज की सुविधा नहीं
किसानों के सामने एक और बड़ी समस्या है स्टोरेज की कमी। कई किसान चाहकर भी अपनी फसल को स्टोर नहीं कर पा रहे, क्योंकि उनके पास उचित व्यवस्था नहीं है। प्राइवेट स्टोरेज में फसल रखने की लागत इतनी ज्यादा है कि वह भी नुकसान का सौदा बन जाता है। एक किसान ने बताया, “अगर प्याज इसी दाम में बिकता रहा, तो कर्ज चुकाना नामुमकिन हो जाएगा। सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए।”
किसानों की मांगें: MSP और सरकारी खरीद
किसान सरकार से कई मांग कर रहे हैं की उन्हें, प्याज के लिए 24 रुपये प्रति किलो का न्यूनतम समर्थन मूल्य मिले, सरकार मंडियों में प्याज की खरीद शुरू करे और बारिश से हुए नुकसान के लिए फसल बीमा के तहत मुआवजा दिया जाए।
सरकार की चुप्पी, किसानों का गुस्सा
मध्य प्रदेश के किसानों का कहना है कि न तो राज्य सरकार और न ही केंद्र सरकार ने अभी तक कोई ठोस राहत योजना की घोषणा की है। किसानों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है, क्योंकि प्याज जैसी आवश्यक फसल की कीमतें लागत से भी नीचे चली गई हैं। उज्जैन की कृषि उपज मंडी में किसानों ने बताया कि वे न सिर्फ आर्थिक नुकसान झेल रहे हैं, बल्कि उनकी आजीविका पर भी संकट मंडरा रहा है।
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