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राज्य कृषि समाचार (State News)

मध्यप्रदेश में शुरू हुआ ‘दुग्ध समृद्धि सम्पर्क अभियान’, पशुपालकों से होगा सीधा संवाद

03 अक्टूबर 2025, भोपाल: मध्यप्रदेश में शुरू हुआ ‘दुग्ध समृद्धि सम्पर्क अभियान’, पशुपालकों से होगा सीधा संवाद – मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की मंशा अनुरूप प्रदेश के किसानों की पशुपालन के माध्यम से आय बढ़ाने और दुग्ध उत्पादन को दोगुना करने के लक्ष्य को पूरा करने के उद्देश्य से प्रदेश में 2 अक्टूबर से “दुग्ध समृद्धि सम्पर्क अभियान” प्रारंभ होगा। अभियान के अंतर्गत गाँव-गाँव पशुपालकों से व्यक्तिश: सम्पर्क किया जायेगा और उन्हें पशुओं में नस्ल सुधार, पशु स्वास्थ्य एवं पोषण के संबंध में जागरूक किये जाने का आवश्यक मार्गदर्शन भी दिया जायेगा।

अभियान से मिलेगा पशुपालकों को सीधा लाभ

पशुपालन एवं डेयरी विकास राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) लखन पटेल ने कहा है कि पशुपालक किसान बंधु इस अभियान का पूरा-पूरा लाभ लें. अभियान के अंतर्गत जब पशु चिकित्सा अधिकारी/मैत्री उनके घर आएं, तब पशुपालन के संबंध में उनकी जो भी समस्या हो उन्हें बताएं और समाधान प्राप्त करें।

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तीन चरणों में चलेगा अभियान

अभियान की जानकारी देते हुए प्रमुख सचिव, पशुपालन एवं डेयरी विभाग श्री उमाकांत उमराव ने बताया कि ‘दुग्ध समृद्धि सम्पर्क अभियान’ तीन चरणों में संचालित किया जाएगा। इसकी शुरुआत 2 अक्टूबर से प्रदेश की ग्राम सभाओं में हुई है। अभियान का प्रथम चरण 9 अक्टूबर तक चलेगा, जिसमें उन पशुपालकों से संपर्क किया जाएगा, जिनके पास 10 या उससे अधिक गो-वंश हैं।

पशुपालकों के घर जाकर दी जाएगी जानकारी

इस चरण में सहायक पशु चिकित्सा अधिकारी एवं मैत्री कार्यकर्ता गाँवों में जाकर व्यक्तिगत रूप से पशुपालकों से मिलेंगे। उन्हें पशु पोषण, नस्ल सुधार, रोग प्रबंधन और टीकाकरण जैसी जानकारियाँ दी जाएँगी। इसके साथ ही पशुओं की टैगिंग की जानकारी भी जुटाई जाएगी, जिससे भविष्य में बेहतर ट्रैकिंग और योजना निर्माण संभव हो सकेगा।

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“दुग्ध समृद्धि सम्पर्क अभियान” के द्वितीय चरण में 5 या अधिक गो-वंश रखने वाले पशुपालकों और तीसरे चरण में 5 या कम गोवंश रखने वाले पशुपालकों से सम्पर्क किया जायेगा। अभियान का उद्देश्य गोवंश का समुचित पालन पोषण और दुग्ध उत्पादन को अधिक से अधिक बढ़ाना है।

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मैत्री को मिलेगा मानदेय

इस संपर्क कार्य के लिए मैत्री कार्यकर्ताओं को प्रति पशुपालक 5 रुपये का मानदेय भी दिया जाएगा। इससे न केवल स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा बल्कि पशुपालन सेवाओं में जमीनी पहुँच भी सुनिश्चित हो सकेगी।

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