राज्य कृषि समाचार (State News)

खाद्य प्र-संस्करण के क्षेत्र में मध्यप्रदेश में निवेश की अपार संभावनाएँ

प्रदेश में 8 फूड पार्क, 5 एग्रो प्रोसेसिंग क्लस्टर, 2 मेगा फूड पार्क और 2 मसाला पार्क

25 फ़रवरी 2025, भोपाल: खाद्य प्र-संस्करण के क्षेत्र में मध्यप्रदेश में निवेश की अपार संभावनाएँ – कृषि, उद्यानिकी एवं खाद्य प्र-संस्करण विभाग द्वारा इनवेस्ट मध्यप्रदेश ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट-2025 में आयोजित सीड टू सेल्फ इन लांचिंग इन्वेस्टमेंट अपार्चुनिटी इन एमपी एग्री फूड एण्ड डेयरी सेक्टर पर आयोजित सत्र में कृषि मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश निवेश के लिये आवश्यक अधोसंरचना के साथ एक लाख हैक्टेयर का लैण्ड बैंक रखने वाला देश का पहला राज्य है। उन्होंने कहा कि उद्यानिकी फसलों में  टमाटर, मटर, प्याज, लहसुन, मिर्च, गेहूँ और चावल उत्पादन में देश अग्रणी है। उन्होंने कहा कि कृषि-उद्यानिकी की प्रचुर मात्रा में उत्पादन से किसान को फसल का भरपूर दाम नहीं मिल पाता है। इसलिये प्रदेश में फूड प्रोसेसिंग को बढ़ावा जरूरी है ।

उद्यानिकी एवं खाद्य प्र-संस्करण मंत्री श्री नारायण सिंह कुशवाह ने कहा कि मध्यप्रदेश के 27 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में उद्यानिकी फसलों का उत्पादन किया जा रहा है। इसे आगामी 5 वर्षों में बढ़ाकर 32 लाख हेक्टेयर तथा उत्पादन बढ़ाकर 500 लाख टन करने का लक्ष्य रखा गया है। निवेश प्रोत्साहन के लिये सिंगल विण्डो प्रणाली रखी गयी है, जिसमें भूमि आवंटन एवं सभी प्रकार की अनुमतियां कम से कम समय में मिल सकेंगी। कृषि उत्पादन आयुक्त श्री मोहम्मद सुलेमान ने कहा कि फसल को खेत से बाजार तक पहुंचाने और उसे वाजिब दाम दिलाने  पर विस्तृत चर्चा करने की आवश्यकता है।

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प्रमुख सचिव उद्यानिकी एवं खाद्य प्र-संस्करण श्री अनुपम राजन ने कहा कि प्रदेश में निवेश का बेहतर माहौल तैयार किया जा रहा है। राज्य में  8 फूड पार्क, 2 मेगा फूड पार्क, 5 कृषि प्र-संस्करण क्लस्टर एवं एक लॉजिस्टिक पार्क निवेशकों को उत्कृष्ट अवसर देते  हैं। मिनी योजनाओं से लेकर उन्नत फ्रोजन लॉजिस्टिक अधोसंरचना तक के अनेक कदम उठाये जा रहे हैं, जिससे किसानों की आय, रोजगार एवं निर्यात में वृद्धि होगी। भारत सरकार के सहयोग से फसल आधारित क्लस्टर – निमाड़ में मिर्च, गुना-राजगढ़ में धनिया, बुंदेलखण्ड में अदरक, बघेलखण्ड में हल्दी, बुरहानपुर में केला, मटर, जबलपुर, देवास और इंदौर में आलू क्लस्टर बनाये  गये हैं। इसके लिये केन्द्र सरकार ने  500 करोड़ का प्रावधान किया है जिसमें प्रदेश सरकार आनुपातिक राशि का निवेश करेगी।

केन्द्रीय सचिव खाद्य प्रसंस्करण  डॉ. सुब्रत गुप्ता ने कहा कि फूड प्रोसेसिंग भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग है। हमारे घरों में फूड प्रोसेसिंग का लगातार उपयोग होता है। बदलते परिवेश में रेडी-टू-फूड और रेडी-टू-ईट फूड की मांग लगातार बढ़ रही है। केन्द्र सरकार द्वारा फूड प्रोसेसिंग को प्रोत्साहित करने के लिये 1000 करोड़ रुपये का प्रावधान है।

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आयुक्त उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण श्रीमती प्रीति मैथिल ने प्रदेश में उद्यानिकी और खाद्य प्र-संस्करण के उपलब्ध संसाधनों और संभावनाओं पर प्रेजेंटेशन दिया । उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश मसाला फसलों के उत्पादन में देश में प्रथम, फल उत्पादन में द्वितीय और दुग्ध उत्पादन में तृतीय स्थान पर है। प्रदेश में 11 एग्रो क्लाइमेटिक जोन हैं। परिवहन के लिये 700 रेलवे स्टेशन, 60 फ्लाइट्स तथा 9 इनलैण्ड पोर्ट स्थित हैं। साथ ही  कृषि उपज मण्डियों की सुदृढ़ श्रंखला है। इनमें एक लाख करोड़ मीट्रिक टन कृषि उत्पादन का विक्रय प्रतिवर्ष किया जाता है। वर्तमान में प्रदेश में 4 हजार फूड प्रोसेसिंग यूनिट काम  कर रही हैं।

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खाद्य प्र-संस्करण उद्योग की संभावनाओं पर निवेशकों के विचार

श्री एस. गणेश कुमार (एग्री बिजनेस आईटीसी लिमिटेड) ने कृषि, डेयरी और बागवानी के महत्व के साथ-साथ मूल्य श्रृंखला को बढ़ाने हेतु खाद्य प्रसंस्करण के अवसरों पर विचार-विमर्श किया। उन्होंने किसानों द्वारा उत्पाद को बाजार तक पहुंचाने की प्रक्रिया, परिवहन से जुड़ी चुनौतियाँ एवं तकनीकी सहायता द्वारा इसे सुगम बनाने के उपायों पर विशेष जोर दिया।

“टेक्नोलॉजिकल इंटरवेंशन एण्ड पोस्ट-हॉर्वेस्ट मैनेजमेंट” में श्री प्रतीक शर्मा (ग्रीन एण्ड ग्रेन्स) ने कटाई के बाद प्रबंधन में आने वाली समस्याओं और कोल्ड चेन जैसी तकनीकी नवाचारों के माध्यम से होने वाले सुधारों पर प्रकाश डाला। उन्होंने उपज हानि को कम करने एवं दक्षता बढ़ाने के लिए तकनीकी हस्तक्षेप की भूमिका पर भी चर्चा की।

“मार्केट ट्रेण्ड्स एण्ड कंजूमर प्रिफरेंसेस” में खाद्य प्र-संस्करण उद्योग में उपभोक्ता प्राथमिकताओं में परिवर्तन जैसे कि जैविक, ग्लूटेन-फ्री एवं प्लांट-बेस्ड उत्पादों के उदय एवं स्थिरता के महत्व को रेखांकित किया गया। “फ्रॉम फार्म-टू-वेलनेस” में श्री मोहित मल्होत्रा  (डाबर इण्डिया) ने औषधीय एवं न्यूट्रास्यूटिकल फसलों के क्षेत्र में बढ़ती मांग, हर्बल सप्लीमेंट्स तथा फंक्शनल फूड्स के बाजार एवं पर्यावरणीय प्रभावों पर चर्चा की। “फूड प्रोसेसिंग ऑपर्चुनिटीज इन बैक वॉटर एण्ड फारवर्ड लिंकेज” में श्री अनुकूल जोशी (एग्रो-पेप्सिको इण्डिया होल्डिंग ) ने सप्लाई चैन  में पारदर्शिता, गुणवत्ता एवं डिजिटल प्लेटफार्म द्वारा लिंक को मजबूत बनाने के उपाय सुझाए।

“इम्पॉवरिंग फार्मर्स : द फ्यूचर ऑफ एग्री-फायनेंस” में श्री अनिल सिन्हा (आईएफसी एवं ग्लोबल इम्पेक्ट इन्वेस्टमेंट नेटवर्क) ने कम ब्याज दर, माइक्रोफाइनेंस, क्रेडिट कार्ड्स और डिजिटल बैंकिंग के माध्यम से किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने पर जोर दिया।  डॉ. मीनश शाह (एनडीडीबी) ने डेयरी सेक्टर में तकनीकी नवाचार, स्वचालन एवं डिजिटल सप्लाई चेन के जरिए निवेश एवं लाभप्रदता बढ़ाने के अवसरों पर विस्तृत चर्चा की। उन्होंने जैविक डेयरी, लैक्टोज-फ्री विकल्प एवं टिकाऊ प्रथाओं की भूमिका पर विशेष ध्यान आकर्षित किया।

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