State News (राज्य कृषि समाचार)

फसलों का हो रहा नुकसान, घोड़ारोज के आतंक से घबराए किसान

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18 जनवरी 2023, देपालपुर(शैलेष ठाकुर, देपालपुर): फसलों का हो रहा नुकसान, घोड़ारोज के आतंक से घबराए किसान – देपालपुर तहसील क्षेत्र के अधिकांश गांवों के किसान घोड़ारोज के आतंक से परेशान हैं । घोड़रोज  के झुंड गेहूं, चना, लहसुन, प्याज़,आलू, सरसों आदि फसलों को दिन -रात पैरो तले रौंद कर बर्बाद कर रहे हैं।  इनकी संख्या लगातार बढ़ती जा रही है, जिससे खेतों में नुकसान भी बढ़ रहा है।  किसानों के लिए 24 घंटे खेत की रखवाली सम्भव नहीं है। खेतों में लगे बिजूका (पुतलों ) को भी ये नष्ट कर देते हैं। इन्हें भगाने के लिए पटाखे भी फोड़े जाते हैं ,लेकिन अब उससे भी नहीं डरते हैं। बड़े रकबे में तार फेंसिंग भी सम्भव नहीं है। एक ओर किसानों द्वारा घोड़रोज को रोकने के सभी उपाय निष्फल साबित हो रहे हैं, वहीं दूसरी ओर वन विभाग और प्रशासन द्वारा अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।  

घोड़ारोज से मुक्ति  दिलाए प्रशासन  – उल्लेखनीय है कि  देपालपुर तहसील के बिरगोदा ,बनेडिया, मुंदीपुर, चांदेर, शिवगढ़, फरकोदा,काई, कटकोदा, मेंढकवास ,खेड़ी कडोदा,, शाहपुरा, सुमठा, बछोडा , बरोदा, सगडोद, जैसे अन्य कई गांव हैं ,जहाँ के किसान घोड़रोज द्वारा की जा रही नुकसानी से त्रस्त हैं। किसानों का कहना है कि पहले सीमित दायरे में दिखाई देते थे, लेकिन अब इनकी संख्या बढ़ती जा रही है और खेतों में झुंड के झुंड कभी भी देखे जा सकते हैं। घोडारोज का आतंक दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है। किसान भगवान भरोसे खेती करने को मजबूर हैं । प्रकृति की मार का सामना करने वाले किसानों को अब घोड़ारोज के आतंक से रोज रूबरू होना पड़ रहा है। घोड़रोज ,कृषि के लिए घातक साबित हो रहे हैं। किसानों की मांग है कि घोड़ारोज से मुक्ति के लिए प्रशासन और वन विभाग ठोस कार्रवाई करे।

किसानों का दर्द  – शिवगढ़ के श्री दिनेश चौधरी ने कृषक जगत को बताया कि हर गांव में  घोड़रोज से फसलों को नुकसान हो रहा है।हमारे यहां घोड़ारोज तो हैं ही, साथ ही जंगली सूअर भी आलू की फसल को खोद खोद कर खाकर नष्ट कर रहे हैं । घोड़ारोज को  नीलगाय का जो नाम दिया गया है ,इसमें संशोधन होना चाहिए। सरकार इन पर नियंत्रण  नही कर पा रही है, तो किसानों के लिए इन्हें मारने की सरल ,सुगम प्रक्रिया बनानी चाहिए। चित्तौड़ा के श्री रवि दयाल  का कहना था कि घोड़ारोज के आतंक से निजात पाने के लिए किसानों ने ग्राम पंचायत से लेकर राज्य प्रशासन तक गुहार लगाई ,लेकिन आज तक सरकार द्वारा कोई कारवाई नहीं की गई और घोड़ारोज रोज़ाना हरी फसल को नुकसान पहुंचा रहे हैं। संयुक्त किसान मोर्चा के श्री बबलू जाधव ने कहा कि घोडारोज से किसानों का बहुत नुकसान हो रहा है। इस समस्या के समाधान के लिए प्रतिनिधि मंडल जिला वन विभाग कार्यालय इंदौर गया था ,लेकिन उस दिन वहां जिला अधिकारी नही मिले थे ।श्री निहालसिंह पटेल चित्तौड़ा, ने घोड़रोज की समस्या से सहमति व्यक्त करते हुए सवाल किया कि यदि घोड़रोज को मारने की अनुमति मिल भी जाए, तो बंदूक वाले किसान गिनती के हैं । जो किसान चूहे मारने की हिम्मत नही करता, वह घोड़ारोज को कैसे मारेगा ? किसान बड़े क्षेत्र में तार फेंसिंग  कैसे करेंगे? अंबालिया के श्री बलराम चौधरी ने कहा कि हमारे यहां करीब 40 घोडारोज हैं।जो बहुत नुकसान करते है । किसान की स्थिति ऐसी हो गई है ये मरे या किसान मरे।अनुमति मिल जाए, तो कुछ किसान मारने की कोशिश कर सकते हैं। श्री राहुल जाधव गौतमपुरा ने अपनी व्यथा बताते हुए कहा कि घोड़ारोज से माल के साथ जान का भी नुकसान है। इन्हें  भगाने में कभी -कभी ये सामने आ जाते है। गाड़ियों से भी टकरा जाते हैं । दुर्घटना का भी भय रहता है। सरकार को इन्हें बेहोश करके कहीं जंगलों में छोड़ना चाहिए ।जलोदिया पंथ के सरपंच श्री श्री बलदेव पटेल ने बताया कि घोड़ारोज से आसपास के सभी गांव प्रभावित है। घोड़ारोज से 20 प्रतिशत के करीब नुकसान हो जाता है । घोड़ारोज के दौड़ने से किसानों के पाइप व अन्य सामान भी टूट जाते हैं । यह  रबी और खरीफ, दोनो सीजन में नुकसान पहुंचाते हैं ।

विधायक और अधिकारी का कथन  – श्री विशाल  पटेल ,विधायक, देपालपुर, ने कृषक जगत को बताया  कि किसानों की समस्या को देखते हुए  विधानसभा कृषि समिति ने इन्हें अनुमति लेकर मारने का प्रस्ताव पारित कर दिया है । मैं भी कृषि समिति में सदस्य हूं। एसडीएम से अनुमति लेकर किसान  इन्हें मार सकते हैं ,लेकिन इन्हें मारने के बाद या तो जलाना पड़ेगा या दफनाना पड़ेगा । इन्हें खुले में नही छोड़ सकते हैं । इनका आधिकारिक नाम घोड़ारोज़ और रोजड़ा है।

श्री नरेंद्र पंडवा, जिला वन अधिकारी इंदौर ने कृषक जगत से कहा कि इन्हें पकड़ना मुमकिन नहीं है। पास में कोई जंगल क्षेत्र नही है, इसलिए इन्होंने किसानों के खेतों को ही अपना निवास बना लिया है ।पास में जंगल  क्षेत्र होता तो  इन्हें डायवर्ट कर सकते थे । किसान क्षेत्रीय एस.डी.एम. को आवेदन  करें।  वो इन्हें मारने की अनुमति देने के लिए अधिकृत हैं ।अनुमति लेकर घोड़ारोज को गाइडलाइन अनुसार मार सकते हैं ।हमने भी आवेदन भोपाल दिया है। इसकी जो कानूनन गाइडलाइन है वो हम किसानों को शेयर करेंगे ।

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