राज्य कृषि समाचार (State News)

मध्यप्रदेश में अब भी लोक -1 गेहूं का जलवा बरकरार

02 अप्रैल 2024, भोपाल(अतुल सक्सेना): मध्यप्रदेश में अब भी लोक -1 गेहूं का जलवा बरकरार – रबी सीजन की प्रमुख फसल गेहूं उत्पादन के क्षेत्र में म.प्र., देश में दूसरे नम्बर पर है। समय के साथ-साथ नई किस्मों एवं नई तकनीकों के कारण किसान भरपूर उत्पादन ले रहे हैं। परन्तु अब भी प्रदेश में लोक-1 किस्म का जलवा बरकरार है। राज्य के सर्वाधिक किसान इस किस्म को अपनाकर अधिक से अधिक उत्पादन ले रहे हैं। इसके बाद गेहूं की किस्म जीडब्ल्यू-322, पूसा तेजस एचआई 8759 एवं जी.डब्ल्यू.-273 किसानों की पसंदीदा किस्में हंै। प्रदेश में वर्ष 2023-24 में लगभग 92 लाख 10 हजार हे. में गेहूं की बोनी की गई है इसमें से लगभग 75 लाख हे. से अधिक क्षेत्र में विपुल उत्पादन देने वाली किस्में लोक-1, जीडब्ल्यू-322 एवं जीडब्ल्यू-273 लगाई गई है जबकि शेष 17 लाख हे. में ड्यूरम, शरबती एवं अन्य किस्मों का क्षेत्र है। प्रदेश का शरबती गेहूं विश्व प्रसिद्ध है फिर भी इसके रकबे में कमी का मुख्य कारण उत्पादन में कमी होना है। बेहतर न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलने के कारण किसान अधिक उत्पादन देने वाली किस्मों को लगाना ज्यादा पसंद करते हैं क्योंकि उनकी आमदनी में इजाफा होता है।

इस वर्ष 2023-24 में गेहूं का रकबा 92.10 लाख हे. है और उत्पादन अनुमान 329.72 लाख टन लगाया गया है। इसका मुख्य कारण बेमौसम बरसात और ओलावृष्टि के साथ-साथ दलहन-तिलहन उत्पादन बढ़ाने पर जोर देना भी माना जा रहा है।  इसके अलावा शरबती गेहूं की बुवाई में किसानों का घटता रुझान भी है। लोक-1 में जहां 50 से 55 क्विंटल प्रति हेक्टेयर, जीडब्ल्यू 322 में 55 से 60 क्विंटल, पूसा तेजस एचआई 8759 में 60 से 70 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन मिल रहा है, वहीं शरबती सी 306, सुजाता 617 आदि का उत्पादन लगभग 25 से 30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पर रह गया है।

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इन परिस्थितियों को देखते हुए कृषि अधिकारियों के मुताबिक गत रबी में लोक-1 का सबसे अधिक, लगभग 5 लाख क्विंटल से ज्यादा बीज वितरित किया गया, वहीं जीडब्ल्यू-322 का लगभग 3 लाख क्विंटल एवं जंक फूड तथा बेकरी उत्पादों के लिए उपयोगी पूसा तेजस का लगभग 2 लाख क्विंटल बीज किसानों में बांटा गया।

भोपाल के संयुक्त संचालक श्री बी.एल. बिलैया ने बताया कि संभाग में पूसा तेजस एवं शरबती 1544 किस्में अधिक मात्रा में लगाई गई हैं क्योंकि रायसेन, विदिशा, सीहोर आदि जिले शरबती गेहूं के लिए प्रसिद्ध हैं। कई किसानों ने लोक-1 भी लगाया है क्योंकि ज्यादा उत्पादन मिलता है।
ग्वालियर – चंबल में कृषि विभाग के संयुक्त संचालक श्री डी.एल. कोरी ने बताया कि क्षेत्र में लोक-1 एवं जीडब्ल्यू-322 की बोनी की गई है। लोक-1 ओल्ड इज गोल्ड है। वहीं केवीके ग्वालियर के वैज्ञानिक डॉ. राजसिंह कुशवाह एवं केवीके भिण्ड के वैज्ञानिक डॉ. आ.पी.एस. तोमर ने भी लोक-1 किस्म लगाने की बात कही।

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कृषि वैज्ञानिक की राय : शाजापुर केवीके के वैज्ञानिक डॉ. एस.एस. धाकड़, देवास केवीके के वैज्ञानिक डॉ. ए.के. बड़ाया ने बताया कि जिले में गेहूं की पूसा तेजस किस्म बहुतायत में किसानों ने लगायी है इसके साथ ही लोक-1 भी बोई गई है। बैतूल केवीके के वैज्ञानिक डॉ. विजय वर्मा ने बताया कि जिले में एचआई 1544 और जीडब्ल्यू 322 और पन्ना केवीके के वैज्ञानिक डॉ. पी.एन. त्रिपाठी के मुताबिक जिले में जीडब्ल्यू 322 किस्म लगाई गई है। श्योपुर कला के उपसंचालक कृषि श्री पी. गुजरे ने बताया कि जिले में राज 4035 किस्म लगाई गई जो 120 दिन की फसल है। वहीं जबलपुर के प्रभारी उपसंचालक श्री रवि आम्रवंशी ने बताया कि जिले में जीडब्ल्यू 322, 273 एवं एचआई-1544 किस्में लगाई गई है जिसका औसत उत्पादन लगभग 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।

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शरबती से मोहभंग : कुल मिलाकर गेहूं की शरबती किस्मों को पीछे छोड़ राज्य में अब भी लोक-1 किस्में आगे चल रही है। जबकि देश विदेश में सोने जैसी चमक और विशेष स्वाद के लिए प्रसिद्ध शरबती गेहूं की 306 वेरायटी बाजार से गायब हो सकती है। पिछले सालों में इस वेरायटी से 85 फीसदी किसानों ने किनारा कर लिया है। इसके स्थान पर किसान 1544, 322 और हर्षिता की फसल ले रहे हैं। ये तीनों किस्में शरबती जैसी दिखती है। किसानों का शरबती की 306 किस्म से इसलिए मोह भंग हो रहा है क्योंकि इसकी पैदावार कम है। जबकि अन्य किस्मों से उसी लागत में दोगुना मिल रहा है, भाव भी अच्छे मिल रहे हैं।

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