राज्य कृषि समाचार (State News)

संभावना है सिंहस्थ में आने वाले यात्रियों को मेट्रो सफर का लाभ मिल सकेगा

23 नवंबर 2024, उज्जैन: संभावना है सिंहस्थ में आने वाले यात्रियों को मेट्रो सफर का लाभ मिल सकेगा – आगामी सिंहस्थ को देखते हुए मोहन सरकार न केवल अन्य कार्यों को कर रही है वहीं मेट्रो संचालन के लिए भी मोहन सरकार ने कमर कस ली है। संभावना है कि सिंहस्थ में आने वाले यात्रियों को मेट्रो सफर का लाभ मिल सकेगा।

इधर भोपाल से प्राप्त जानकारी के अनुसार  प्रदेश में उज्जैन तीसरा ऐसा शहर होगा, जहां पर मेट्रो का संचालन किया जाएगा। इसके लिए सरकार स्तर पर तैयारियां शुरु कर दी गई हैं। नए साल में अगर सरकार इस प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान करती है तो चार साल बाद होने वाले उज्जैन महाकुंभ में श्रद्धालुओं को मेट्रो की सवार करने की सुविधा मिल सकती है। इसके लिए जरुरी है अगले साल के नए वित्त वर्ष शुरु होते ही मेट्रो के प्रस्ताव को स्वीकृति मिल जाए।  दरअसल, उज्जैन में 2028 में सिंहस्थ का आयोजन होना है। यह मेट्रो इंदौर और उज्जैन के बीच प्रस्तावित है। फिलहाल डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनाई जा रही है। मेट्रो अफसरों की माने तो दिसंबर तक रिपोर्ट बनकर तैयार हो जाएगी। कैबिनेट में मंजूरी मिलने, फंडिंग और निर्माण एजेंसी तय होते ही काम की शुरुआत हो जाएगी। इंदौर-उज्जैन के बीच प्रस्तावित मेट्रो के लिए दिल्ली मेट्रो डीपीआर बना रहा है। फिजिबिलिटी स्टडी पहले ही हो चुकी है। डीपीआर में ही लागत, स्टेशनों की संख्या तय होगी। इंदौर-उज्जैन के बीच सडक़ मार्ग की दूरी करीब 55 किलोमीटर है। इसके आसपास से ही मेट्रो गुजर सकती है। इंदौर-उज्जैन के बीच मेट्रो चलाने के लिए साल 2022-23 में फिजिबिलिटी स्टडी दिल्ली मेट्रो ने की थी, जिसे सरकार को सौंपा जा चुका है। मेट्रो ट्रेन का सेफ्टी ऑडिट पूरा हो गया है। 7 दिन में इसकी रिपोर्ट आएगी। 9 से 17 नवंबर 2024 तक गांधीनगर स्टेशन से सुपर कॉरिडोर-03 स्टेशन के बीच मुख्य लाइन ट्रैक पर टीम ने टेस्टिंग की। दरअसल, मेट्रो ट्रेन के कमर्शियल रन के पहले मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन को आरडीएसओ और सीएमआरसी की एनओसी लेना होगी, क्योंकि यात्रियों की सुरक्षा को देखते हुए रेल मंत्रालय की टीम निरीक्षण के लिए आएगी। हाल ही में रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड ऑर्गेनाइजेशन (आरडीएसओ) ने मेट्रो रोलिंग स्टॉक (ट्रेन) का निरीक्षण किया। ट्रेन की टेस्टिंग की गई। स्पीड, ब्रेक, इमरजेंसी ब्रेक, सॉफ्टवेयर, वायरिंग सहित सारी तकनीकी जांच की गई। अंतिम रिपोर्ट के बाद सीएमआरसी की टीम सिविल वर्क, ट्रेन सहित सभी सेवाओं का मुआयना कर एनओसी जारी करेगी। ऑडिट के दौरान मेट्रो रोलिंग स्टॉक (ट्रेन) के लिए दोलन (ऑसिलेशन) और इमरजेंसी ब्रेकिंग डिस्टेंस परीक्षण किया गया। इसके तहत कई महत्वपूर्ण मापदंडों जैसे राइड क्वालिटी, स्थिरता, इमरजेंसी ब्रेकिंग डिस्टेंस और सम्पूर्ण रोलिंग स्टॉक का मूल्यांकन रिकॉर्ड किया। यह डेटा इंदौर मेट्रो के वाणिज्यिक संचालन के लिए सुरक्षा प्रमाणन और तकनीकी मंजूरी प्राप्त करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इंदौर-उज्जैन के बीच कितनी दूरी, कितने स्टेशन बनेंगे, कितनी संभावित लागत होगी आदि डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट में शामिल रहेगा। एक अनुमान के अनुसार, एक से डेढ़ हजार करोड़ रुपए लागत हो सकती है। इस प्रोजेक्ट में कम समय लगने की वजह है रैपिड रेल का होना। इस प्रोजेक्ट में 2 से 3 मेट्रो स्टेशन ही बनेंगे। इंदौर-उज्जैन के अलावा बीच में एक स्टेशन और बन सकता है। इसलिए रैपिड रेल रहेगी। रैपिड रेल का उद्देश्य इंटर सिटी कनेक्टिविटी को बढ़ाना है। स्टेशन कम रहेंगे तो लागत भी कम आएगी।  भोपाल में प्रायोरिटी कॉरिडोर के सुभाष नगर से एम्स के बीच कुल 8 मेट्रो स्टेशन बन रहे हैं। एक स्टेशन की लागत 50 करोड़ रुपए से अधिक है। दूसरी ओर, इंदौर और उज्जैन के बीच मेट्रो के कम स्टेशन रहेंगे। इससे राशि बचेगी और लागत भी कम आएगी। सरकार ने सिंहस्थ से पहले इंदौर-उज्जैन के बीच मेट्रो चलाने के लिए तैयारी की है। इसके चलते दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन इंदौर के लवकुश चौराहा से उज्जैन महाकाल तक रूट का मौका मुआयना कर चुकी है। टीम ने स्टेशन, डिपो और अन्य सुविधाओं के लिए जगह देखी थी। दोनों शहरों के बीच एलिवेटेड ट्रैक बनाने की योजना है।

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